मुझे आज भी ठीक से याद है कि मनमोहन सरकार में पेट्रोल-डीजल मूल्यवृद्धि पर भाजपा किस तरह से हाय-तौबा मचाती थी। जबकि यूपीए सरकार में पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से बढ़ाये जा रहे थे। अब जब सारी दुनिया में कच्चे तेल की कीमत जमीन पर है तब हम भारतीय उसे ऊंची कीमत चुका कर खरीद रहे हैं। इसे अगर सरकारी डकैती न कहा जाय तो फिर क्या कहा जाय?
आजकल पेट्रोल - डीजल के दाम अपने उच्चतम स्तर तक पहुंच चुके है। यह स्थिति तब है जब दुनिया में इन पदार्थों के दाम बिल्कुल भी नहीं बढ़ रहे हैं। केंद्र सरकार पेट्रोलियम पदार्थों पर ऊंचा टैक्स लगाकर जहां अपना खजाना भर रही है, वहीं गरीब आदमी को तानाशाही पूर्वक लूटने का भी काम कर रही है। बात बात में अपनी सरकार को गरीबों की सरकार बताने वाले हमारे पीएम मोदी जी क्या कभी देश की जनता को बताएंगे, कि उनके इस कदम से देश के आम आदमी का कैसे भला हो सकता है?
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