राम नाम अवलंब बिनु, परमारथ की आस।
बरषत बारिद बूँद गहि, चाहत चढ़न अकास।।
भावार्थ- जो मनुष्य राम नाम का सहारा लिए विना ही परमार्थ अर्थात मोक्ष की आशा करता है, वह मानो बरसते हुए बादल की बूँद को पकड़कर आकाश में चढ़ना चाहता है।अर्थात् जैसे वर्षा की बूँद को पकड़कर आकाश पर चढ़ना असम्भव है, वैसे ही राम नाम का जप किये विना परमार्थ की प्राप्ति असम्भव है ।
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