सार्क (दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन) शिखर सम्मेलन लगातार दूसरे साल टलने की आशंका ज़ताई जा रही है. और पिछली बार की तरह इस बार भी इसकी वज़ह पाकिस्तान ही है. द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान के असहयोगी रवैए की वज़ह से यह आशंका बनी है.
ख़बर के मुताबिक न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की साधारण सभा की बैठक से इतर भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सार्क देशाें के अपने समकक्षों से मिली हैं. इस दौरान उन्होंने साफ तौर पर कहा, ‘सार्क अपने उद्देश्यों को हासिल करने में विपल रहा है. संगठन के सदस्य देशों के बीच अब तक मुक्त व्यापार की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं बन पाई है. इसीलिए दक्षिण एशिया क्षेत्र दुनिया में सबसे कम आपसी संपर्क वाले क्षेत्रों में शुमार किया जा रहा है.’
हालांकि उन्होंने इसके साथ ही सार्क को मज़बूत करने के लिए भारत की ओर से किए जा रहे प्रयासों को भी गिनाया. इनमें सार्क उपग्रह का प्रक्षेपण सबसे अहम था. उन्होंने कहा, ‘यह परियोजना क्षेत्र के लोगों के जीवन पर सकारात्मक रूप से असर डालेगी.’ लेकिन गौर करने लायक बात यह रही कि उन्होंने इन बैठकों के दौरान हर साल अमूमन नवंबर में होने वाले सार्क सम्मेलन के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा. किसी अन्य देश ने भी इसका ज़िक्र नहीं किया.
यहां बता दें कि साल 2016 में इस्लामाबाद में आयोजित होने वाला सार्क शिखर सम्मेलन भी टल गया था. आतंकवाद के मुद्दे पर ही उस वक़्त भारत सहित बांग्लादेश और अफग़ानिस्तान ने इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया था. तीनों देश पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के शिकार हैं. और यहीं पर ग़ौरतलब यह भी है कि संयुक्त राष्ट्र में अभी एक दिन पहले ही भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद के मुद्दे पर तीखी बहस हुई है.
सूत्र बताते हैं कि भारत अब पाकिस्तान को किनारे कर सार्क के भीतर ही बने बीबीआईएन (बांग्लादेश, भूटान, इंडिया, नेपाल) समूह को मज़बूत करने के मूड में है. इन देशों के बीच रेल, सड़क और ऊर्जा संपर्क बढ़ाने की कोशिशें की जा रही हैं. इसके अलावा बिम्सटेक (बांग्लादेश, भूटान, इंडिया, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड और नेपाल का तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग संगठन) को मज़बूती देने की कोशिश भी भारत की ओर से की जा रही है.
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