संजय मिश्रा, सदस्य, विधान परिषद, यूपी |
सम्मानित साथियों,,
सादर वंदन,,
आज बड़ी ही हैरानी की बात है कि वित्त विहीन शिक्षकों के इतिहास में जो कभी भी नहीं हुआ अब देखने को मिल रहा है....... कि कुछ लोग संगठन के लोगो के विचारों में इतना विरोधाभास और भृम पैदा कर रहे हैं जो कि बेहद शर्मनाक है।
हालात तो इस तरह के लग रहे है जैसे कि कश्मीर मे चल रहे हैं जहाँ कि कुछ लोग पाकिस्तान से रुपये की मदद लेकर अपने ही लोगो पर पत्थर बरसाने काम करते हैं ...।
आज हम वित्त विहीन शिक्षकों के बीच कुछ जयचंद यही काम करने की कोशिश कर रहे हैं .....लेकिन साथियों ये वो लोग हैं जो ना तो मानदेय की परिधि मे आते है,,और ना ही मानदेय चाहिए ,, वही इस तरह की ओछी बातें कर ,,, लालची लोग मा. शिक्षक संघ से दुरभिसंधि कर ,,, कर रहें हैं.. ..
साथियों इस तरह की बातों से सिर्फ शिक्षकों का ही अहित होगा ,, जो कि हम शिक्षकों के भविष्य को अंधकार मे ले जाने का काम करेगा।
एक ग्रुप के कई संगठन होते है किंतु वे आपस में एक दूसरे का विरोध नहीं करते जैसे ..शिक्षामित्र के तीन संगठन ,,है,,,और मा. शिक्षक संघ के अट्ठारह संगठन है लेकिन आंदोलन में एक दूसरे का सहयोग करते हैं। ये आपस मे एकदूसरे का विरोध नहीं करते तभी यह लक्ष्य बिंदु तक पहुंचे।
परंतु वि.वि. के जयचंद इस समय सिर्फ आंदोलन में बाधा बनकर सरकार व मा. शिक्षक संघ की मदद कर वि. वि . शिक्षकों के हितो पर कुठाराघात कर रहे है ,,क्यों कि इनमें आंदोलन करने की क्षमता तो है ही नहीं और आज तक इनका कोई भी आंदोलन जानकारी में नही आया ...यह फेसबुक पर ही आंदोलन करने का काम कर रहे है।
शिक्षक साथियों ऐसे जयचंदो से सावधान रहे !! होशियार रहे! सजग रहे!
जय शिक्षक ,, जय महासभा
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