शुक्रवार, 30 जून 2017

एक रागिनी


(कँवल भारती)
आरएसएस ने भारत में नफ़रत की आग लगा दी ।
दलितों और मुसलमानों पर भारी आफ़त ला दी।
जब जब ये सत्ता में आए, बिगड़ा भाईचारा है ।
मूंह में राम बग़ल में छूरी, इनका यह ही नारा है
पहलू खान, जुनैद, अख़लाक़ का कोई न हत्यारा है ।
किसकी क्या औक़ात, इन्हें तो आरएसएस ने मारा है ।

खुला खेल यह आरएसएस का, दिखता आतंकवादी ।1।

जिला सहारनपुर में इनकी देखो गुंडागर्दी को।
घर दलितों के फूंक दिए , देखो इनकी नामर्दी को ।
हाथ पांव पे छुरे चलाए, देखो इनकी बेदरदी को।
दलितों को ही जेल भेज दिया, देखो खाकी वर्दी को ।

आरएसएस ने रामराज्य की, अपनी मुहिम चला दी ।।2।।

गोरक्षा के हिन्दू सेवक, लाल अंगोछा धार रहे ।
दलित और मुसलमानों को ढूंढ़ ढूंढ़ के मार रहे।
ख़ाकी भगवा दोनों मिल, कर भारी अत्याचार रहे।
खोली पोल सुभाष कोली ने, कर झूठे केस तैयार रहे ।

आरएसएस ने गाय नाम पर की भारत की बर्बादी ।।3।।

इनका खेल शुरू होगा जब संविधान को बदलेंगे ।
तब आसानी से भारत को ये हिन्दू राष्ट्र बना देंगे।
कायम मनु का राज करेंगे, हिन्दू कानून चलावेंगे ।
दलितों और म्लेच्छों का सिर, उठने कभी नहीं देंगे ।
कँवल कहें खतरे में पड़गी, भारत की आज़ादी।।4।।

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