बुधवार, 28 जून 2017

काश्मीर भारत का अभिन्न अंग है या सियासत का???

धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला हमारा कश्मीर आतंक की भेंट चढ़ने को मजबूर हो गया है एक तरफ पाकिस्तान के नापाक मंसूबे वहां के अमन चैन के दुश्मन हो गए हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ हमारे देश की सियासत ने उसे बद से बदत्तर स्थिति में पहुंचाने का काम किया है इसी मसले पर इन दिनो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी खूब डिबेट करता नजर आ रहा है जिसमे एंकर का रुख तो स्पष्ट रहता है पर सियासतदार लोग राजनीती ही करते नज़र आते हैं।

आज़ादी के बाद से ही कांग्रेस पार्टी ने हमारे देश की बागडोर संभाली हुई थी तभी से पाकिस्तान ने खतरनाक मंसूबो की शुरुआत हुई और काश्मीर में आतंक का साम्राज्य स्थापित होने लगा धीरे धीरे पाकिस्तान ने काश्मीर का कुछ हिस्सा भी हथिया लिया और वही से आतंकवाद को बढ़ावा देने लगा पर हमारी सरकार तब भी मौन थी और आज भी मौन ही है।

पहले भी विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को खरी खोटी सुनाता था और आज भी ये सिलसिला बदस्तूर जारी है डिबेट में पक्ष विपक्ष दोनों के प्रतिनिधि आ कर अपनी सरकारों का बखान करते नही थकते बात तू तू मे में पर आ जाती है और डिबेट का समय खत्म हो जाता है पर मसले का हल निकलता नही दिखता ऐसा इसलिए होता है कि कोई चाहता ही नही के मसले का हल निकले अगर निकल गया तो मुद्दा हाथ से निकल जायेगा फिर वोट किस आधार पर मांगे जाएंगे।

कांग्रेस कहती है कि हमारे शासनकाल में इतनी शहादत नही हुई सैनिको की और ना ही अलगाव वादियों के हौसले मज़बूत होने दिए हमने वही भाजपा कहती है कि हमने अलगाव वादियों पर कार्यवाही शुरू कर दी है और पाकिस्तान को अलग थलग कर रखा है अभी प्रधानमंत्री जी अमेरिका गए तो वहां एक को अंतरष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया गया तो सभी मीडिया चेनल ने इसे भारत की आतंकवाद के खिलाफ बड़ी जीत करार दे दिया।

अब बात ये समझ नही आती की पिछली सरकार की करनी अगर इतनी ही वाजिब थी तो आज ये नोबत कैसे आ गई आप कुछ बताते हैं पर आंकड़े कुछ और बयान करते हैं दूसरी बात क्या अंतराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग थलग करने से ही काश्मीर का हल निकल जायेगा जबकि काश्मीर में हमारे जवान शहीद हो रहे हैं ना के अमेरिका के।

मेरा जहां तक मानना है कि इस मुद्दे पर भाजपा सरकार को सख्त रुख अपनाने की ज़रूरत है जितना ध्यान पाकिस्तान को अलग थलग करने में लगाया जा रहा है उतना ध्यान सेना की सुरक्षा और स्वाभिमान पर लगे तो शायद शहीदों की शहादत में कमी आ जायेगी वहां भी आपकी ही सरकार है फिर भी आप दूसरे देश पर टकटकी लगाए बैठे हैं ये बात किसी हिंदुस्तानी के पल्ले नही पड़ रही एक बार सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद इतना लंबा ब्रेक लेने की क्या आवश्यकता थी जबकि हालात में कोई फर्क ही नही पड़ा था।

तो कहना यही है कि बहाने बाज़ी और बयान बाज़ी से ऊपर उठकर सेना के जवानों और वहां के नागरिकों के बारे में भी गंभीरता से सोचिए शायद समस्या सुलझने के बाद वोट खुदबखुद आपकी झोली में आ जाये।मुद्दे देश मे बहुत हैं पर जहां बात सम्मान और स्वाभिमान की हो वहां राजनीती करना मेरे हिसाब से उचित नही होगा।

 साभार            
अनूप त्रिपाठी, पत्रकार

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