शनिवार, 17 जून 2017

मौका-मौका "रे दुश्मन" छक्का-चौका


भारत-पाक की आईसीसी चैम्पियन ट्रॉफी की क्रिकटीय भिड़ंत दोनों देशों के लोगों पर सर चढ़कर बोल रही है। यहाँ हार का मतलब सबकुछ ख़त्म जैसा है। मानो हारने वाले देश पर विजेता राष्ट्र कब्ज़ा कर लेगा। दोनों देशों के टीवी चैनल राष्ट्रीय भावनाएं उभार-उभार कर माहौल को और जंगी बना रहे हैं। भारत विरोधी भावना वाले पाकिस्तानी राष्ट्रवादी क्रिकेट की जंग को हर हालत में इसलिए जीतना चाहते है, क्योंकि वो इस बात को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि उनका देश आमने-सामने के युद्ध में कभी भी भारत जैसे शक्तिशाली देश से नहीं जीत सकता। भारत के राष्ट्रवादी पाक के "आतंकवाद समर्थक राष्ट्र" होने की पीड़ा घुटघुटकर जी रहे हैं। भारत सरकार से ये राष्ट्रवादी तत्व जिस तरह के जंगी प्रतिकार की अपेक्षा रखते हैं, वो कोई भी भारत सरकार नहीं कर सकती, इस बात को भारतीय राष्ट्रवादी भी अच्छी तरह से समझते हैं। इसलिए दोनों देशों के राष्ट्रवादी इस तरह की क्रिकेटीय स्पर्धाओं को जंगी जहर से भर देते हैं, और फिर अपने-अपने काल्पनिक बख्तरबंद वाहनों में सवार हो इसे असल युद्ध मान कर एक दूसरे को सिर्फ और सिर्फ परास्त होते हुए ही देखना चाहते हैं।
यहाँ खेल अब खेल नहीं रह जाता बल्कि युद्ध हो जाता है। जिसे मैं ठीक नहीं मानता। युद्ध में विजय सिर्फ वह देश पाता है, जो समग्र रूप से ताकतवर हो, जबकि खेल में विजय समग्र रूप से कमजोर देश भी पा सकता है। क्रिकेट जैसे अनिश्चितता भरे खेल से देश की प्रतिष्ठा को इस तरह से नत्थी कर देना भारत के राष्ट्रवादियों के लिए घाटे का सौदा है, क्योंकि भारत की प्रतिष्ठा अनमोल है, जबकि पाकिस्तान की दुनिया में कोई औकात नहीं। उसकी पहचान सिर्फ आतंकवाद निर्यातक देश के अलावा कुछ भी नहीं है। हमें खेल को सिर्फ खेल नजरिये से देखना चाहिए, जंगी नजरिये से नहीं। हाँ पाकिस्तानियों को इन स्पर्धाओं को युद्धोन्मादी भाव से ही लेना चाहिए, क्योंकि उन्हें सिर्फ इस तरह की स्पर्धाओं में ही भारत के खिलाफ जीत के दर्शन हो सकते हैं, असल युद्ध में नहीं। हालाँकि यहाँ भी उन्हें यह मौका कब मिलेगा, सारे पाकिस्तानी आपस में सिर्फ यही विचार कर रहे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

योगी का एक मंत्री.. जिसे निपटाने के लिए रचा गया बड़ा षडयंत्र हुआ नाकाम

  सुशील अवस्थी 'राजन' चित्र में एक पेशेंट है जिसे एक सज्जन कुछ पिला रहे हैं। दरसल ये चित्र आगरा के एक निजी अस्पताल का है। पेशेंट है ...