मंगलवार, 20 जून 2017

ये है योगा, करने से होगा

   अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सारी दुनिया में योग की धूम मची है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मोदी और योगी के संयुक्त प्रयासों नें योग को नई ऊंचाई दी है। बात एकदम दुरुस्त है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से योग को अंतर्राष्ट्रीय पहचान हासिल हुई। योग और भारत दोनों का एक दूसरे से चोली दामन का रिश्ता है। योग की अन्तर्राष्ट्रीय पहचान और महत्त्व बढ़ने का सीधा आशय भारत का दुनिया में महत्त्व बढ़ना है। इसके लिए मोदी और उनकी सरकार निसंदेह बधाई की पात्र है।
    "निष्काम क्रिया... योग है, जबकि सकाम क्रिया ही भोग है" मुझे महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण में उल्लिखित योग और भोग की यही परिभाषा सर्वाधिक उपयुक्त लगती है। यहाँ निष्काम और सकाम को आप स्वार्थ और निःस्वार्थ समझिये। इस तरह कह सकते हैं कि स्वार्थ भाव से किया गया कर्म या क्रिया भोग है, जबकि निःस्वार्थ भाव से की गयी क्रिया ही योग कहलाती है। इस तरह से अगर देखा जाय तो भारत के आधुनिक योग प्रवर्तक योग का बेहतरीन भोग या उपभोग कर रहे हैं। फिर चाहे वो बाबा रामदेव हों, या मोदी। 

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