बुधवार, 7 जून 2017

चीन बना सकता है पाकिस्तान में अपना सैन्य अड्डा

 

चीन चीन अपना एक मिलिट्री बेस पाकिस्तान में बना सकता है।  यूएस डिफेंस हेडक्वार्टर पेंटागन की रिपोर्ट में ये दावा किया गया है। एक्सपर्ट की मानें तो चीन के इस कदम से भारत की स्ट्रैटजिक और डिप्लोमैटिक चुनौतियां बढ़ जाएंगी। वो पहले ही हिंद महासागर के कई देशों में पोर्ट्स डेवलप कर रहा है। उसका इकोनॉमिक कॉरिडोर भी पाकिस्तान से गुजरने वाला है। चीन भारत को जमीन और समंदर में घेरने की हर मुमकिन कोशिश करने में लगा है। इससे भारतीय के सामने सीमा सुरक्षा का खतरा पैदा हो सकता है। बता दें कि चीन अफ्रीकी देश जिबोटी में पहले ही आर्मी बेस बना चुका है। PAK चीनी हथियारों को बड़ा खरीदार...
 
- पेंटागन ने मंगलवार को अमेरिकी कांग्रेस में 97 पेज की रिपोर्ट पेश की। इसमें कहा गया कि 2016 में चीनी आर्मी का बजट 180 बिलियन डॉलर के पार जा चुका है। जबकि अलॉटेड डिफेंस बजट 140 बिलियन डॉलर है।
- रिपोर्ट के मुताबिक- अगर चीन, पाकिस्तान में मिलिट्री बेस बनाता है तो फिर इससे भारत की मुश्किलें ज्यादा बढ़ जाएंगी। इसके पहले वो अफ्रीकी देश जिबोटी में यही कर चुका है। खास बात ये है कि जिबोटी हिंद महासागर और लाल सागर के काफी नजदीक है। 
- पाकिस्तान एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के हथियारों का बड़ा खरीदार है। चीन ने 2011 से 2015 के बीच कुल 12 खरब रुपए के हथियार एक्सपोर्ट किए। जिसमें से करीब 6 खरब रुपए के हथियार अकेले पाकिस्तान ने खरीदे। पिछले साल पाकिस्तान ने 8 सबमरीन खरीदने के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया था। 
 
हिंद महासागर पर कब्जा करना चाहता है चीन: एक्सपर्ट
- विदेश मामलों के एक्सपर्ट रहीस सिंह ने DainikBhaskar.com से कहा- चीन जमीन और समुद्र में भारत को घेरने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। एक ओर वह पाकिस्तान से चीन तक इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) बना रहा है तो दूसरी ओर, हिंद महासागर में कई देशों के पोर्ट्स (बंदरगाह) को डेवलप करने में लगा है। भारत के पूर्व और पश्चिम में हिंद महासागर है। 
- दरअसल, चीन एक पॉलिसी पर काम कर रहा है। इसे स्टिंग ऑफ पल्स (मोतियों की माला) पॉलिसी कहते हैं। पाकिस्तान का ग्वादर, मालदीव का मारो, श्रीलंका का हम्बनटोटा, बांग्लादेश का चिटगांव, म्यांमार का सित्तबय और थाईलैंड के क्रॉनहर पोर्ट को डेवलप करना उसकी इस पॉलिसी का हिस्सा है। खबर तो यह भी है कि श्रीलंका का कोलम्बो पोर्ट भी उसे मिलने वाला है।
 
क्या है चीन की प्लानिंग?
- रहीस सिंह के मुताबिक, कई देशों में पोर्ट्स डेवलप कर चीन हिंद महासागर से भूमध्य सागर तक कब्जा करना चाहता है। अब पाकिस्तान में मिलिट्री बेस बनाकर वह भारत के पड़ोसी देशों खासकर, मध्य एशिया में अपनी सैन्य पकड़ मजबूत करना चाहता है। इस इलाके में सैन्य दवाब बढ़ने पर चीन आगे चलकर डिप्लोमैटिक फायदा ले सकता है। भारत को पोर्ट्स के जरिए समंदर और इकोनॉमिक कॉरिडोर से जमीन पर घेरने की कोशिश हो रही है। 
- चीन अफ्रीका के जिबोटी में भी पोर्ट डेवलप कर रहा है, जिसे ग्वादर से जोड़ने का प्लान है। भारत पहले ही कह चुका है कि वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट चीन के उपनिवेशवाद का हिस्सा है। वह श्रीलंका की तरह पाकिस्तान को कर्ज तले दबाकर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करेगा।
 
चीनी नीतियों से हमें क्या नुकसान होगा?
- एक्सपर्ट ने कहा कि चीन के पोर्ट्स डेवलपमेंट, वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट और मिलिट्री बेस बनने से भारत को तीन तरह का नुकसान हो सकता है।
 
1. आर्थिक- हिंद महासागर में चीन के पोर्ट्स बनने के बाद भारत के पड़ोसी देशों तक चीन की पहुंच आसान होगी। वह आसानी से अपना माल पहुंचा सकेगा और इससे इकोनॉमिक तौर पर उसे फायदा होगा। जबकि चीन के दखल से भारत को नुकसान झेलना पड़ेगा। 
2. कूटनीतिक- इंडियन सबकॉन्टिनेंट में पाकिस्तान का ऑर्थिक और सैन्य दबदबा बढ़ने से भारत को नए सिरे से पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने पर विचार करना होगा। क्योंकि कारोबार और सैन्य तौर पर मजबूत होने में चीन उन देशों की मदद करेगा। 
3. सामरिक- यह दूसरे देशों के साथ रक्षा रणनीति बनाना है। चीन पाकिस्तान और दूसरे देशों को कर्ज दे रहा है तो जाहिर है वह उन्हें भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। भारतीय सीमा की सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है। अपना एक मिलिट्री बेस पाकिस्तान में बना सकता है।  यूएस डिफेंस हेडक्वार्टर पेंटागन की रिपोर्ट में ये दावा किया गया है। एक्सपर्ट की मानें तो चीन के इस कदम से भारत की स्ट्रैटजिक और डिप्लोमैटिक चुनौतियां बढ़ जाएंगी। वो पहले ही हिंद महासागर के कई देशों में पोर्ट्स डेवलप कर रहा है। उसका इकोनॉमिक कॉरिडोर भी पाकिस्तान से गुजरने वाला है। चीन भारत को जमीन और समंदर में घेरने की हर मुमकिन कोशिश करने में लगा है। इससे भारतीय के सामने सीमा सुरक्षा का खतरा पैदा हो सकता है। बता दें कि चीन अफ्रीकी देश जिबोटी में पहले ही आर्मी बेस बना चुका है। PAK चीनी हथियारों को बड़ा खरीदार...
 
- पेंटागन ने मंगलवार को अमेरिकी कांग्रेस में 97 पेज की रिपोर्ट पेश की। इसमें कहा गया कि 2016 में चीनी आर्मी का बजट 180 बिलियन डॉलर के पार जा चुका है। जबकि अलॉटेड डिफेंस बजट 140 बिलियन डॉलर है।
- रिपोर्ट के मुताबिक- अगर चीन, पाकिस्तान में मिलिट्री बेस बनाता है तो फिर इससे भारत की मुश्किलें ज्यादा बढ़ जाएंगी। इसके पहले वो अफ्रीकी देश जिबोटी में यही कर चुका है। खास बात ये है कि जिबोटी हिंद महासागर और लाल सागर के काफी नजदीक है। 
- पाकिस्तान एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के हथियारों का बड़ा खरीदार है। चीन ने 2011 से 2015 के बीच कुल 12 खरब रुपए के हथियार एक्सपोर्ट किए। जिसमें से करीब 6 खरब रुपए के हथियार अकेले पाकिस्तान ने खरीदे। पिछले साल पाकिस्तान ने 8 सबमरीन खरीदने के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया था। 
 
हिंद महासागर पर कब्जा करना चाहता है चीन: एक्सपर्ट
- विदेश मामलों के एक्सपर्ट रहीस सिंह ने कहा- चीन जमीन और समुद्र में भारत को घेरने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। एक ओर वह पाकिस्तान से चीन तक इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) बना रहा है तो दूसरी ओर, हिंद महासागर में कई देशों के पोर्ट्स (बंदरगाह) को डेवलप करने में लगा है। भारत के पूर्व और पश्चिम में हिंद महासागर है। 
- दरअसल, चीन एक पॉलिसी पर काम कर रहा है। इसे स्टिंग ऑफ पल्स (मोतियों की माला) पॉलिसी कहते हैं। पाकिस्तान का ग्वादर, मालदीव का मारो, श्रीलंका का हम्बनटोटा, बांग्लादेश का चिटगांव, म्यांमार का सित्तबय और थाईलैंड के क्रॉनहर पोर्ट को डेवलप करना उसकी इस पॉलिसी का हिस्सा है। खबर तो यह भी है कि श्रीलंका का कोलम्बो पोर्ट भी उसे मिलने वाला है।
 
क्या है चीन की प्लानिंग?
- रहीस सिंह के मुताबिक, कई देशों में पोर्ट्स डेवलप कर चीन हिंद महासागर से भूमध्य सागर तक कब्जा करना चाहता है। अब पाकिस्तान में मिलिट्री बेस बनाकर वह भारत के पड़ोसी देशों खासकर, मध्य एशिया में अपनी सैन्य पकड़ मजबूत करना चाहता है। इस इलाके में सैन्य दवाब बढ़ने पर चीन आगे चलकर डिप्लोमैटिक फायदा ले सकता है। भारत को पोर्ट्स के जरिए समंदर और इकोनॉमिक कॉरिडोर से जमीन पर घेरने की कोशिश हो रही है। 
- चीन अफ्रीका के जिबोटी में भी पोर्ट डेवलप कर रहा है, जिसे ग्वादर से जोड़ने का प्लान है। भारत पहले ही कह चुका है कि वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट चीन के उपनिवेशवाद का हिस्सा है। वह श्रीलंका की तरह पाकिस्तान को कर्ज तले दबाकर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करेगा।
 
चीनी नीतियों से हमें क्या नुकसान होगा?
- एक्सपर्ट ने कहा कि चीन के पोर्ट्स डेवलपमेंट, वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट और मिलिट्री बेस बनने से भारत को तीन तरह का नुकसान हो सकता है।
 
1. आर्थिक- हिंद महासागर में चीन के पोर्ट्स बनने के बाद भारत के पड़ोसी देशों तक चीन की पहुंच आसान होगी। वह आसानी से अपना माल पहुंचा सकेगा और इससे इकोनॉमिक तौर पर उसे फायदा होगा। जबकि चीन के दखल से भारत को नुकसान झेलना पड़ेगा। 
2. कूटनीतिक- इंडियन सबकॉन्टिनेंट में पाकिस्तान का ऑर्थिक और सैन्य दबदबा बढ़ने से भारत को नए सिरे से पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने पर विचार करना होगा। क्योंकि कारोबार और सैन्य तौर पर मजबूत होने में चीन उन देशों की मदद करेगा। 
3. सामरिक- यह दूसरे देशों के साथ रक्षा रणनीति बनाना है। चीन पाकिस्तान और दूसरे देशों को कर्ज दे रहा है तो जाहिर है वह उन्हें भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। भारतीय सीमा की सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है।

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