जब पाकिस्तान भारतीय जवानों के सर काट रहा हो, तब भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना चाहिए या नहीं? यह एक सवाल आज बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। भारत और पाकिस्तान दोनों तरफ लोग भारत-पाक क्रिकेट मैच का विरोध कर रहे हैं। आईसीसी चैम्पियन ट्रॉफी में आज जब भारत पाक की टीमें इंग्लॅण्ड में भिड़ रही हैं, वहीं इस मुद्दे पर भारत में सरकार और जनता के बीच भी एक लोकतान्त्रिक तरीके की भिड़ंत जारी है। पाकिस्तानी विषयों पर हमेशा आक्रामक रुख रखने वाले दो भारतीय टीवी चैनलो ज़ी न्यूज़ और सुदर्शन न्यूज़ भी इस मैच का खुला विरोध कर रहे है।
मेरा मानना है कि पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्ज़ा बरकरार रखने वाली भाजपा की मोदी सरकार से ऐसे किसी बैन की उम्मीद करना कि वह भारत-पाक के बीच के क्रिकेट संबंध पूरी तरह से खारिज कर पायेगी, मूर्खता से ज्यादा कुछ नहीं है। पाकिस्तान से हमारे सम्बन्ध हमेशा चार कदम आगे, तो बीस कदम पीछे वाले रहे हैं। हम दुनिया से तो कहते हैं कि वह पाक को आतंकी देश घोषित करे, लेकिन हम खुद नहीं करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि अमरीका उस पर दबाव बनाये, पर हम खुद उस पर दबाव नहीं बढ़ाते है। इसका प्रमुख कारण है कि दोनों देशों की राजनीती में भारत-पाक के तनाव पूर्ण या तनाव विहीन सम्बन्ध वोटों का संतुलन साधने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। प्रायः दोनों देशो के घरेलू हालात जब उनकी सरकारों पर भारी पड़ने लगते हैं, तब दोनों तरफ की सरकारें देश भक्ति की भावनाओं का ज्वार उठाकर जनता का ध्यान बटाने के लिए इन संबंधों का बतौर ट्रम्प कार्ड इस्तेमाल करती हैं।
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