शुक्रवार, 30 जून 2017

चीन जानता है, अब असंभव है उसके लिए 1962 दुहरा पाना

चीन भारत को 1962 की याद 2017 में क्यों दिला रहा है? कहीं उसे भारत ज्यादा आगे बढ़ता तो नहीं दिख रहा है? चीन की अर्थव्यवस्था के अब सुस्ती की ऒर बढ़ने, और भारतीय अर्थव्यवस्था के हुंकारने की भविष्यवाणियां आये दिन दुनिया के कोने कोने में बैठे अर्थशास्त्री प्रायः दुहराते रहते हैं। इस बात का एहसास चीन को होने लगा है। जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान से गहराते हमारे रिश्ते भी चीन के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। अमेरिका से हमारी दांतों काटी रोटी चीन को उसकी चौधराहट नियंत्रित रखने को विवश कर रही है। 1962 की याद दिलाना वास्तव में उसका मानसिक दिवालियापन है। हमारे रक्षामंत्री जेटली नें जो कहा है कि 1962 के और 2017 के भारत में बड़ा अंतर है, एकदम सही बात है। चीन की ताकत उसकी धोखेबाज़ी है। धोखा वही खाता है जो भरोसा करता है। ख़ुशी की बात ये है कि अब भारत नें चीन पर भरोसा करना बंद कर दिया है, इसलिये अब उसकी सबसे बड़ी ताकत धोखेबाज़ी बेअसर हो चुकी है। भारत और चीन दोनों ही जानते हैं कि युद्ध दोनों के तरक्की के मार्ग को अवरुद्ध कर देगा, इसलिए दोनों के बीच अब युद्ध तो असंभव है, लेकिन कूटनीतिक टकरावों और सीमा पर कुछ हिंसक झड़पों से इंकार कर पाना थोडा कठिन कार्य है।
चीनी चौधराहट की हवा निकालने के लिए जहाँ भारत सरकार लगातार कूटनीतिक प्रयास कर रही है, वहीं हम आम भारतीयों को भी इसमें सहयोग करना होगा। व्यक्ति हो या देश हर किसी की चौधराहट उसके पास मौजूद धन पर आधारित होती है। जाने अनजाने चीनी सामान खरीदकर कहीं न कहीं हम भारतीय चीन की चौधराहट के लिए ईंधन ही मुहैया कराते हैं। भारत दुनिया का बड़ा बाजार है, और हम करोड़ों भारतीय उपभोक्ता। अगर हम करोड़ों लोग यह तय कर लें कि जहाँ तक संभव हो सकेगा हम चीनी सामान का बहिष्कार करेंगे तो फिर चीन की हेंकड़ी भी दुरुस्त होने लगेगी। वैसे भी यह किसी सच्चे भारतीय के लिए कैसे संभव है कि जो देश हिंदुस्तान के लिए खतरा हो उसे हम जाने अनजाने में ताकत मुहैया कराने के कारण बन जाँय?

सबसे सटीक राशिफल


राशिफलः 1 जुलाई 2017

मेष (Aries): आज आपके उपर गणेशजी के आशीर्वाद रहेंगा, इसलिए दिन भर मानसिकरूप से स्वस्थ रहेंगे। पारिवारिक जीवन सुखी रहेगा। साथ में प्रवास का और सुरुचिपूर्ण भोजन का भी योग है। कोई खोई हुई वस्तु आज मिलने की संभावना अधिक है। फिर भी अपने विचारों और आवेश को अंकुश में रखिएगा। विदेशी व्यापार से जुडे़ हुए लोगों को सफलता और लाभ मिलेगा। गणेशजी की सलाह है कि बौद्धिक चर्चा में विवाद टालकर समाधानकारी व्यवहार अपनाइएगा।

वृषभ (Taurus): आज दिनभर आनंद मन पर छाया रहेगा। अपने कार्य में व्यवस्थितरूप से आप आगे बढ़ा पाएंगे और योजना के अनुसार कार्य भी कर पाएंगे। अपूर्ण कार्यो को सफलतापूर्वक पूर्ण कर पाएंगे। कार्यालय में सहकर्मियों का सहयोग अच्छा मिलेगा। मायके से शुभ समाचार मिलने की संभावना अधिक है। मानसिकरुप से भी आप आनंदित रह पाएंगे। आप का स्वास्थ्य आज अच्छा रहेगा।

मिथुन (Gemini): आज का दिन मध्यम रहेगा। नए कार्य का प्रारंभ न करने की गणेशजी की सलाह है। जीवनसाथी और संतान के विषय में चिंता रहेगी। जिसके कारण मन में उद्वेग बना रहेगा। पेट में अजीर्णता रहने के कारण स्वास्थ्य भी कुछ नरम-गरम रहेगा। खर्च की भी मात्रा आज कुछ अधिक रहेगी।
कर्क (Cancer): आज आप संभलकर चलें। शारीरिक स्फूर्ति और मानसिक प्रसन्नता बनाए रखने के लिए आज कष्ट का अनुभव होगा। छाती में पीड़ा अथवा अन्य विकार से भी कष्ट की अनुभूति होगी। घर में सदस्यों के साथ उग्र चर्चा या वाद-विवाद हो जाने से भी मन में दुख बना रहेगा।

सिंह (Leo): कार्य सफलता और प्रतिस्पर्धियों पर विजय मिलने से आप के मन में प्रसन्नता छाई रहेगी ऐसा गणेशजी कहते हैं। भाई-बहनों के साथ संबंधो में मिठास भी बनी रहेगी। मित्रो और स्नेहीजनो के साथ किसी रमणीय पर्यटनस्थल पर घूमने-फिरने का आनंद उठा सकेंगे।

कन्या (Virgo): आपके लिए आज का दिन शुभ रहेगा ऐसा गणेशजी कहते हैं। वाणी की मधुरता से दूसरे लोगों के मन पर अपनी सकारात्मक छाप छोड़ सकेंगे। पारिवारिक वातावरण भी अच्छा रहेगा। फिर भी वाणी पर संयम बरतने से वाद-विवाद की संभावना कम हो जाएगी। आर्थिक कार्य भी आज सुखपूर्वक संपन्न होंगे। नकारात्मक विचारो से आप दूर रहिएगा। मित्रो और स्नेहीजनों से भेंट होगी। छोटा प्रवास हो सकता है।

तुला (Libra): आपके प्रत्येक कार्य में आत्मविश्वास छलकता हुआ दिखेगा ऐसे गणेशजी के आशीर्वाद हैं। आर्थिक योजनाएं भी सरलतापूर्वक बना सकेगें। शारीरिक तथा मानसिक रूप से प्रसन्नता का अनुभव होगा। वस्त्राभूषण और आनंद-प्रमोद के पीछे खर्च होगा। वैचारिकरुप से दृढता रहेगी। सृजनात्मक प्रवृत्तियों में मन लगा रहेगा।

वृश्चिक (Scorpio): गणेशजी कहते हैं कि आज के दिन मौज-शौक और मनोरंजन के पीछे खर्च होगा। स्वास्थ्य के सम्बंध में शिकायत रहेगी। मन के अंदर चिंता की भावना रहेगी। दुर्घटना से बचे। परिवार और सगे- संबंधियों के साथ गलतफहमी या अनबन हो सकती है। कोर्ट-कचहरी संबंधी कार्यों में सावधानी रखें। हरेक विषय में संयमित व्यवहार अनर्थ होने से बचा लेंगे।

धनु (Sagittarius):आर्थिक लाभ और सामाजिक प्रतिष्ठा मिलने के साथ आप पारिवारिक जीवन में भी सुख-संतोष की भावना अनुभव करेंगे। गणेशजी की कृपा से आय में वृद्धि और व्यापार में लाभ मिलेगा। मनपसंद पात्र के साथ सुखद क्षण बितेगा। मित्रों के साथ रमणीय स्थानों में पर्यटन का आयोजन होगा। अविवाहितों के लिए वैवाहिक योग बनेंगे। पत्नी तथा पुत्र द्वारा लाभ प्राप्ति की संभावना है।

मकर (Capricorn): परिवार और संतानों के विषय में आपको आनंद के साथ-साथ संतोष का भी अनुभव होगा। मित्रों और स्नेहीजनों के साथ हुई भेंट से आपका मन प्रसन्न हो उठेगा। व्यापार में धन की उगाही के लिए बाहर जाना पडे़गा जो कि लाभप्रद रहेगा। व्यवसायिक क्षेत्र में धन तथा मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। उच्च अधिकारियो की प्रसन्नता आप पर बनी रहेगी। व्यवसाय में भी आपको पदोन्नति मिलने की पूरी संभावना है। अकस्मात से बचकर चलिएगा।

कुंभ (Aquarius): प्रतिस्पर्धियों के साथ वाद-विवाद न करने की सलाह गणेशजी देते हैं। शारीरिक रुप से अस्वस्थता बनी रहेगी। शिथिलता और आलस्य बना रहेगा। फिर भी मानसिकरुप से प्रसन्नता बनी रहेगी। व्यवसाय में उच्च अधिकारी के साथ कार्य करते समय संभलकर रहें। आनंद-प्रमोद के पीछे आज धन का खर्च हो सकता है।

मीन (Pisces):आज अनैतिक कार्यों में न उलझने की गणेशजी सलाह देते हैं। क्रोध और वाणी पर संयम बरतिएगा। आरोग्य के विषय में सावधानी रखिएगा। सरकार-विरोधी प्रवृत्तियों से दूर रहिएगा। रोगों के इलाज के पीछे धन के खर्च होने की संभावना है। मानसिक रूप से आप अस्वस्थ रहेंगे। परिजनो के साथ संबंधो में नकारात्मकता का प्रवेश न हो जाए इसका ध्यान रखिएगा।

एक रागिनी


(कँवल भारती)
आरएसएस ने भारत में नफ़रत की आग लगा दी ।
दलितों और मुसलमानों पर भारी आफ़त ला दी।
जब जब ये सत्ता में आए, बिगड़ा भाईचारा है ।
मूंह में राम बग़ल में छूरी, इनका यह ही नारा है
पहलू खान, जुनैद, अख़लाक़ का कोई न हत्यारा है ।
किसकी क्या औक़ात, इन्हें तो आरएसएस ने मारा है ।

खुला खेल यह आरएसएस का, दिखता आतंकवादी ।1।

जिला सहारनपुर में इनकी देखो गुंडागर्दी को।
घर दलितों के फूंक दिए , देखो इनकी नामर्दी को ।
हाथ पांव पे छुरे चलाए, देखो इनकी बेदरदी को।
दलितों को ही जेल भेज दिया, देखो खाकी वर्दी को ।

आरएसएस ने रामराज्य की, अपनी मुहिम चला दी ।।2।।

गोरक्षा के हिन्दू सेवक, लाल अंगोछा धार रहे ।
दलित और मुसलमानों को ढूंढ़ ढूंढ़ के मार रहे।
ख़ाकी भगवा दोनों मिल, कर भारी अत्याचार रहे।
खोली पोल सुभाष कोली ने, कर झूठे केस तैयार रहे ।

आरएसएस ने गाय नाम पर की भारत की बर्बादी ।।3।।

इनका खेल शुरू होगा जब संविधान को बदलेंगे ।
तब आसानी से भारत को ये हिन्दू राष्ट्र बना देंगे।
कायम मनु का राज करेंगे, हिन्दू कानून चलावेंगे ।
दलितों और म्लेच्छों का सिर, उठने कभी नहीं देंगे ।
कँवल कहें खतरे में पड़गी, भारत की आज़ादी।।4।।

गुरुवार, 29 जून 2017

जयचंदो से सावधान रहे !!

संजय मिश्रा, सदस्य, विधान परिषद, यूपी
सम्मानित साथियों,,
 सादर वंदन,,
 आज बड़ी ही हैरानी की बात है कि वित्त विहीन शिक्षकों के इतिहास में जो कभी भी नहीं हुआ अब देखने को मिल रहा है....... कि कुछ लोग संगठन के लोगो के विचारों में इतना विरोधाभास और भृम पैदा कर रहे हैं  जो कि बेहद शर्मनाक है।
    हालात तो इस तरह के लग रहे है जैसे कि कश्मीर मे चल रहे हैं जहाँ कि कुछ लोग पाकिस्तान से रुपये की मदद लेकर  अपने ही लोगो पर पत्थर बरसाने काम करते हैं ...।
   आज हम वित्त विहीन शिक्षकों के बीच कुछ जयचंद यही काम करने की कोशिश कर रहे हैं .....लेकिन साथियों ये वो लोग हैं जो ना तो मानदेय  की परिधि मे  आते है,,और ना ही मानदेय चाहिए ,, वही इस तरह की ओछी बातें कर ,,, लालची लोग मा. शिक्षक संघ से दुरभिसंधि कर ,,, कर रहें हैं.. ..
   साथियों इस तरह की बातों से सिर्फ शिक्षकों का ही अहित होगा ,, जो कि हम शिक्षकों के भविष्य को अंधकार मे ले जाने का काम करेगा।
   एक ग्रुप के कई संगठन होते है किंतु वे आपस में एक दूसरे का विरोध नहीं करते जैसे ..शिक्षामित्र के तीन संगठन ,,है,,,और  मा. शिक्षक संघ  के अट्ठारह संगठन है लेकिन आंदोलन में एक दूसरे का सहयोग करते हैं।  ये आपस मे एकदूसरे का विरोध नहीं करते तभी यह लक्ष्य बिंदु तक पहुंचे।
   परंतु वि.वि. के जयचंद इस समय सिर्फ आंदोलन में बाधा बनकर सरकार व मा. शिक्षक संघ की मदद कर वि. वि . शिक्षकों के हितो पर कुठाराघात कर रहे है ,,क्यों कि इनमें आंदोलन करने की क्षमता तो है ही नहीं  और आज तक इनका कोई भी आंदोलन जानकारी में नही आया  ...यह फेसबुक पर ही आंदोलन करने का काम कर रहे है। 
    शिक्षक साथियों ऐसे जयचंदो से सावधान रहे !! होशियार रहे! सजग रहे!
     
       जय शिक्षक ,, जय महासभा

निकलो बंद मकानों से जंग लड़ो बेईमानों से

अजय द्विवेदी (उमेश) 
सदस्य, विधान परिषद, यूपी, 
योगी सरकार बनने के बाद से ही जिस तरह से वित्तविहीन स्कूलों, उनके शिक्षकों व उत्तीर्ण छात्रों पर तंज कसा जाने लगा, उसी से साफ़ होने लगा था कि मानदेय बन्द करने का इनका इरादा है, लेकिन सरकार धोखेबाज़ी करेगी यह विश्वास नही था। 15 मई की विकराल गरमी में प्रदेश के हज़ारों-हज़ार शिक्षक धूप में धरने पर बैठे थे, वहाँ उप मुख्यमन्त्री के भेजने पर विशेष सचिव अनिल बाजपेयी ने आकर आश्वस्त किया था कि पिछला मानदेय तो मिलता ही रहेगा बाक़ी पर भी विचार किया जाएगा 
    अब आज मैं 100% कह सकता हूँ कि मानदेय ग़ायब हो गया है, हम शिक्षकों के साथ हैं, सड़क से सदन तक लड़े हैं, फिर लड़ेंगे। 3 जुलाई को सभी Dios कार्यालयों पर ताला पड़ेगा। सरकार में दम हो तो जेल भेज कर दिखाए, वरना सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को सेवा नियमावाली बना कर सम्मान जनक मानदेय दे 
   निकलो बन्द मकानों से जंग लड़ो धोखेबाज़ो से

बुधवार, 28 जून 2017

सूबे का सीएम "योगी" तो उसकी पुलिस "हठयोगी"

नही थम रही लखनऊ पुलिस की गुंडई। साहब ये कौन सा चेकिंग अभियान। चेकिंग के दौरान ic गल्ला मंडी अलिगंज ने युवक को दौड़ा दौड़ाकर पीटा। कागज उपलब्ध न होने की मिली इतनी बड़ी सजा। गली का कूकुर बनाकर दारोगा ने जमकर धुना
गल्ला मंडी चौकी इंचार्ज दिलीप मिश्र है ।।
साभार- आदर्श शुक्ला

त्रिशूल पर नहीं बल्कि मानो शिवलिंग पर बसी है काशी

हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार काशी को भगवान शिव के त्रिशूल पर बसा हुआ माना गया है, परंतु हाल ही में लिए गए एक ड्रोन कैमरे के चित्र से ऐसा लग रहा कि मानों काशी त्रिशूल पर नहीं बल्कि शिवलिंग पर स्थित है। धर्म और आस्था तर्क वितर्कों से परे है, इसलिए बहुत कुछ लिखने पढ़ने की कोई जरुरत नहीं है, आप खुद ड्रोन से लिए गए इस चित्र को देखिये और सोचिये कि जो मैं सोंच रहा हूँ, वह आप भी सोंच रहे हैं, या नहीं।

काश्मीर भारत का अभिन्न अंग है या सियासत का???

धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला हमारा कश्मीर आतंक की भेंट चढ़ने को मजबूर हो गया है एक तरफ पाकिस्तान के नापाक मंसूबे वहां के अमन चैन के दुश्मन हो गए हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ हमारे देश की सियासत ने उसे बद से बदत्तर स्थिति में पहुंचाने का काम किया है इसी मसले पर इन दिनो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी खूब डिबेट करता नजर आ रहा है जिसमे एंकर का रुख तो स्पष्ट रहता है पर सियासतदार लोग राजनीती ही करते नज़र आते हैं।

आज़ादी के बाद से ही कांग्रेस पार्टी ने हमारे देश की बागडोर संभाली हुई थी तभी से पाकिस्तान ने खतरनाक मंसूबो की शुरुआत हुई और काश्मीर में आतंक का साम्राज्य स्थापित होने लगा धीरे धीरे पाकिस्तान ने काश्मीर का कुछ हिस्सा भी हथिया लिया और वही से आतंकवाद को बढ़ावा देने लगा पर हमारी सरकार तब भी मौन थी और आज भी मौन ही है।

पहले भी विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को खरी खोटी सुनाता था और आज भी ये सिलसिला बदस्तूर जारी है डिबेट में पक्ष विपक्ष दोनों के प्रतिनिधि आ कर अपनी सरकारों का बखान करते नही थकते बात तू तू मे में पर आ जाती है और डिबेट का समय खत्म हो जाता है पर मसले का हल निकलता नही दिखता ऐसा इसलिए होता है कि कोई चाहता ही नही के मसले का हल निकले अगर निकल गया तो मुद्दा हाथ से निकल जायेगा फिर वोट किस आधार पर मांगे जाएंगे।

कांग्रेस कहती है कि हमारे शासनकाल में इतनी शहादत नही हुई सैनिको की और ना ही अलगाव वादियों के हौसले मज़बूत होने दिए हमने वही भाजपा कहती है कि हमने अलगाव वादियों पर कार्यवाही शुरू कर दी है और पाकिस्तान को अलग थलग कर रखा है अभी प्रधानमंत्री जी अमेरिका गए तो वहां एक को अंतरष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया गया तो सभी मीडिया चेनल ने इसे भारत की आतंकवाद के खिलाफ बड़ी जीत करार दे दिया।

अब बात ये समझ नही आती की पिछली सरकार की करनी अगर इतनी ही वाजिब थी तो आज ये नोबत कैसे आ गई आप कुछ बताते हैं पर आंकड़े कुछ और बयान करते हैं दूसरी बात क्या अंतराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग थलग करने से ही काश्मीर का हल निकल जायेगा जबकि काश्मीर में हमारे जवान शहीद हो रहे हैं ना के अमेरिका के।

मेरा जहां तक मानना है कि इस मुद्दे पर भाजपा सरकार को सख्त रुख अपनाने की ज़रूरत है जितना ध्यान पाकिस्तान को अलग थलग करने में लगाया जा रहा है उतना ध्यान सेना की सुरक्षा और स्वाभिमान पर लगे तो शायद शहीदों की शहादत में कमी आ जायेगी वहां भी आपकी ही सरकार है फिर भी आप दूसरे देश पर टकटकी लगाए बैठे हैं ये बात किसी हिंदुस्तानी के पल्ले नही पड़ रही एक बार सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद इतना लंबा ब्रेक लेने की क्या आवश्यकता थी जबकि हालात में कोई फर्क ही नही पड़ा था।

तो कहना यही है कि बहाने बाज़ी और बयान बाज़ी से ऊपर उठकर सेना के जवानों और वहां के नागरिकों के बारे में भी गंभीरता से सोचिए शायद समस्या सुलझने के बाद वोट खुदबखुद आपकी झोली में आ जाये।मुद्दे देश मे बहुत हैं पर जहां बात सम्मान और स्वाभिमान की हो वहां राजनीती करना मेरे हिसाब से उचित नही होगा।

 साभार            
अनूप त्रिपाठी, पत्रकार

योगी सरकार की नीयत और नीति की दिशा और दशा बयां करते 100 दिन


100 दिन काफी कम समय होता है। लेकिन इतने भी कम नहीं कि किसी के स्वभाव या नजरिए का आंकलन न हो सके। यह तो नहीं कहा जा सकता कि योगी सरकार फेल हो गई क्योंकि अभी तो इस सरकार की शुरूआत हुई है। गौर करें तो, इन 100 दिनों में कुछ भी नहीं बदला। बिजली वैसे ही आती जाती है, हत्यारे और चोर उचक्के अभी भी पुरानी सरकार के जाने और नई सरकार के आने के जश्न में डूबे हैं, महिलाओं पर अत्याचार उसी तरह से जारी हैं जैसे पुरानी सरकार में थे, अधिकारी अभी भी जनता को आॅफिस आॅफिस चक्कर लगवा रहे हैं। भ्रष्टाचार बिल्कुल कम नहीं पडा है। सूबे के अन्य शहर तो क्या राजधानी तक अभी भी गंदगी के ढेर पर सवार है, जब कि नगर निगम का मुखिया अब उपमुख्यमंत्री है।
हालांकि योगी जी पूरी ईमानदारी से अपना फर्ज निभा रहे हैं फिर समस्या कहां है!
समस्या निचले स्तर पर है। योगी जी ने नौकरशाही के उपरी हिस्से पर तो काम किया लेकिन नीचे बैठी काई पर हथौडा नहीं चलाया है। पुलिस विभाग के निचले स्तर के कर्मचारी कई वर्षों से एक ही थाने में ​जमे हैं। चपरासी और सफाई कर्मी एक ही जगह वर्षों से जमे हैं। यह भी विकास के लिए बाधक हैं। इन पर भी काम करना जरूरी है।
                         
अश्विनी त्रिवेदी, पत्रकार

मंगलवार, 27 जून 2017

अमेरिका से हिजबुल सरगना सलाहुद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित करवाना मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि

जैसा कि हम सब जान चुके हैं कि भारत सरकार नें हिजबुल सरगना सैयद सलाहुद्दीन को अमेरिका द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित करवा लिया है। मेरे अनुसार ये मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि है। हालाँकि अपने देश भारत में वैश्विक अर्थात विदेश नीति से सम्बंधित उपलब्धियों को ज्यादा गभीरता से नहीं लिया जाता फिर भी मैं भारत सरकार की इस उपलब्धि की सराहना किये बिना नहीं रह सकता।
काश्मीर में बुरहान बानी की मौत के बाद से पाकिस्तान विश्व मंचों पर भारत सरकार और सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन का मिथ्या दोष लगाकर उसे कटघरे में खड़ा करने का गंभीर प्रयास कर रहा था। अब हिजबुल सरगना सलाहुद्दीन का ही आतंकवादी घोषित हो जाना भारत सरकार और सेना को वैश्विक प्रमाणिकता की पुष्टि है। कश्मीर में सलाहुद्दीन का आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन काफी मज़बूत स्थिति में है। अब भारतीय सेना को वहां इससे जुड़े आतंकियों की कब्रें खोदने में ज्यादा आसानी होगी।

रविवार, 25 जून 2017

देश में मोदी, प्रदेश में योगी

 
  योगी समर्थक भाजपाइयों द्वारा 2017 के विधानसभा चुनाव में एक नारा खूब गूंजा था, और वह है "देश में मोदी, प्रदेश में योगी। इस नारे को सच हुए करीब 100 दिन हो चुके हैं। नरेंद्र मोदी सरकार से तकरीबन देश की अधिकांश जनता संतुष्ट  है, लेकिन बाबा योगी के 100 दिन यूपी के लोगों को किसी तरह का आश्वासन दे पाने में बुरी तरह से फेल हो चुके हैं। यहाँ यूपी के लोगों को सिर्फ घोषणाबाज़ी के अलावा कुछ भी होता नहीं दिख रहा है।
  योगी बाबा कुछ लोगों तक सरकार की पहुँच कायम कर ले गए हैं, जिनमे से अधिकांश लोग भाजपा मुख्यालय से जुड़े हैं। अभी कह सकते हैं कि एक व्यक्ति कुछ चुनिंदा व्यक्तियों के लिये सरकार चला रहा है, न कि यूपी की जनता के लिए कोई सीएम। मेरा मानना है कि कुछ चुनिंदा व्यक्तियों को लाभ देने के लिए एक व्यक्ति पर्याप्त है, जबकि सभी यूपी वासियों तक लाभ पहुचाने के लिए सिस्टम इज़ाद करने की जरुरत है। दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि बाबा की सरकार में नित्य प्रति घोषणाओं के सिवा के कुछ भी नहीं हो रहा है।
  हम सबने देखा कि योगीजी के सीएम बनते ही यूपी एसटीएफ ने किस तरह पेट्रोल-डीजल चोर पम्प मालिकों के खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू की थी। जो आम आदमी के लिए फायेदमंद थी। योगी सरकार नें पेट्रोल-डीज़ल चोट्टों को बचाने के लिए जो दांव बाज़ी की उसे हम यूपी वासियों नें बड़ी गंभीरता से लिया है। अब जब हाई कोर्ट नें योगी सरकार के गाल पर जोरदार तमाचा जड़ा तब जाकर यह सरकार चोट्टों के खिलाफ ड्रामा करने के लिए विवश हुई, लेकिन चूँकि सरकार की शह पर चोरी चल रही है, इसलिए आम आदमी को कोई लाभ नहीं होगा। जाहिर सी बात है कि जिन आशाओं और आकांक्षाओं को मन में रखकर यूपी के लोगों ने भाजपा की सरकार चुनी वो आशाएं अब मिटटी में मिलती दिख रही हैं।

शुक्रवार, 23 जून 2017

राम पिया मेरी रंग दे चुनरिया

अयोध्या के दशरथ महल में भजन संध्या कार्यक्रम में शिरकत करती मेरी धर्म पत्नी श्रीमती सोनी अवस्थी और ऊपर मैं।

गुरुवार, 22 जून 2017

आखिर बार-बार मोदी के कान में क्या कहते हैं मुलायम?

हम सबको योगी सरकार की ताजपोशी के वक्त का एक मंचीय सीन तो ठीक से याद ही होगा, जिसमें मुलायम सिंह यादव देश के पीएम नरेंद्र मोदी के कान में कुछ फुसफुसाते हैं, और मोदी आश्वाशन युक्त मुद्रा में उसकी हामी भरते दिखते हैं। तब से यह सवाल राजनीतिक फिजाओं में तैर रहा है कि आखिर मुलायम नें मोदी के कान में क्या कहा होगा? लोगों को अभी इस सवाल का जवाब मिला भी न था कि मुलायम नें फिर से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी के मुख्य अतिथि बने मोदी जी के कान में फिर से कुछ फुसफुसा दिया।
सवाल यह उठता है कि बार-बार मोदी के कान में क्या कहते हैं मुलायम? यह कि मेरे बेटे अखिलेश का ख्याल रखियेगा? सबसे ज्यादा लोगों नें यही अनुमान लगाया है। दूसरा अनुमान यह कि नेता जी अवस्थागत मानसिक बीमारियों से ग्रसित हैं। जैसे अपने परिवार या प्रियजनों को लेकर सदैव असुरक्षित महसूस करना। लोगों को लगता है कि आज भी उनकी चिंता के केंद्र

आखिर कब तक बजेगी दलितवाद की पीपड़ी?

हिंदुस्तान के लोकतंत्र का एक और महा मुकाबला अब देश और दुनिया देखेगी। दुनिया में सामाजिक न्याय का पितामह देश भारत अब दुनिया को अपने राष्ट्रपति चुनाव में दलित वॉर के दर्शन करायेगा। एक तरफ एनडीए के रामनाथ कोविन्द प्रत्याशी होंगे तो दूसरी तरफ यूपीए की मीरा कुमार। इस राष्ट्रपति चुनाव में दलितवाद की पहली पीपड़ी भाजपा नें तब बजायी, जब उसने रामनाथ कोविन्द को अपना प्रत्याशी बनाया, जबकि उसके पास और बेहतरीन विकल्प मौजूद थे। दरसल 2019 में होने वाला आम चुनाव भाजपा के निशाने पर है। विकासवाद की राष्ट्रीय फ्रेंचाइजी सँभालने वाली भाजपा जानती है कि अच्छे दिन का वादा करके एक बार सत्ता हासिल की जा चुकी है, फिर से वह राग अब देश की जनता कहाँ सुनेगी? कांग्रेस भी दलित दलित चिल्लाकर रोना चाहती है ताकि राहुल बाबा द्वारा की गयी कांग्रेस की सत्यानाशी से लोगों का ध्यान हट जाये।
मीरा कुमार जैसी बड़ी नेता का अब भी दलित ही बने रहना, क्या उन दलितों के साथ घोर मज़ाक नहीं है, जो आजतक आरक्षण का सक्षम फायदा न उठा सके हों। अब आरक्षण जैसी बीमारी से देश को मुक्त होना चाहिए। वास्तव में यह सामाजिक न्याय के नाम पर भारतीय संविधान का सबसे बड़ा अन्याय है। सबको समानता देने का दावा करने वाला हमारा संविधान ही असमानता को बढ़ावा देता है। अब अगर देश का सबसे बड़ा मुखिया और राष्ट्राध्यक्ष भी दलितवाद की भट्टी से निकलेगा, तो फिर देश का राम ही मालिक है।

मेरी अयोध्या यात्रा

एक बार फिर मैं अयोध्या में हूँ। लोकल लखनऊ का निवासी होने के कारण अयोध्या आना-जाना मेरे लिए बेहद सामान्य प्रक्रिया है। तब भी मैं कभी झुनकी घाट नहीं गया था। इस बार गया हूँ। ये बेहद खूबसूरत घाट है। यहाँ गज़ब की शांति और सुकून है। नया घाट पर जो भक्तों का रेला-ठेला बना रहता है, उसका यहाँ नितांत आभाव है, जिसकी वजह से यहाँ सुकून और शांति की मात्रा ज्यादा है।
अयोध्या दर्शन प्रत्येक हिन्दू धर्मावलंबी की मनोकामना होती है। कुछ की पूरी होती है तो कुछ को बगैर अयोध्या दर्शन के ही शरीर त्यागना पड़ता है। अयोध्या  भले ही लखनऊ से मात्र 120 किलोमीटर की दूरी पर क्यों न हो परंतु लखनऊ में ही तमाम ऐसे राम भक्त निवास करते हैं जो अब तक के अपने लंबे जीवनकाल में कभी अयोध्या नहीं आ सके, ऐसा तब है जबकि वो अयोध्या आना चाहते हैं। इसलिए तो कहा जाता है कि राम बुलाएंगे तभी तो जायेंगे। खैर।
अयोध्या में कनक भवन, हनुमानगढ़ी और राम जन्मभूमि ऐसे पवित्र स्थान हैं, जिनके दर्शन प्रायः सभी दर्शनार्थी करते हैं। कनक भवन की संध्या आरती के क्या कहने? मद्धिम स्वर में बगैर किसी साउंड सिस्टम के श्री रामचंद्र कृपालु.... जैसे एक से एक मनभावन भजनों की तबले और मंजीरे की बेहतरीन जुगलबंदी के साथ भगवान कनक बिहारी जू के दर्शन एक अनोखे आनंद का एहसास कराते हैं, जिसका वर्णन असंभव है।
सरयू स्नान यहाँ का सबसे दिव्य कर्म है। कहते हैं समय की करवट नें यहाँ के हर निर्माण को कई-कई बार उल्टा-पुल्टा है, किन्तु सिर्फ सरयू ही भगवान राम के समय की वह निशानी है जो यथावत है। इसलिए सरयू का स्पर्श मतलब अपने आराध्य का स्पर्श है।

मंगलवार, 20 जून 2017

ये है योगा, करने से होगा

   अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सारी दुनिया में योग की धूम मची है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मोदी और योगी के संयुक्त प्रयासों नें योग को नई ऊंचाई दी है। बात एकदम दुरुस्त है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से योग को अंतर्राष्ट्रीय पहचान हासिल हुई। योग और भारत दोनों का एक दूसरे से चोली दामन का रिश्ता है। योग की अन्तर्राष्ट्रीय पहचान और महत्त्व बढ़ने का सीधा आशय भारत का दुनिया में महत्त्व बढ़ना है। इसके लिए मोदी और उनकी सरकार निसंदेह बधाई की पात्र है।
    "निष्काम क्रिया... योग है, जबकि सकाम क्रिया ही भोग है" मुझे महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण में उल्लिखित योग और भोग की यही परिभाषा सर्वाधिक उपयुक्त लगती है। यहाँ निष्काम और सकाम को आप स्वार्थ और निःस्वार्थ समझिये। इस तरह कह सकते हैं कि स्वार्थ भाव से किया गया कर्म या क्रिया भोग है, जबकि निःस्वार्थ भाव से की गयी क्रिया ही योग कहलाती है। इस तरह से अगर देखा जाय तो भारत के आधुनिक योग प्रवर्तक योग का बेहतरीन भोग या उपभोग कर रहे हैं। फिर चाहे वो बाबा रामदेव हों, या मोदी। 

सोमवार, 19 जून 2017

मायावती और शशिकला नें करायी हैं कांशीराम और जयललिता की हत्याएं



जयललिता की मौत और बसपा संस्थापक मान्यवर कांशीराम की मौत में बड़ी समानताएं हैं। कांसीराम की मौत जहाँ मायावती की मेडिकल (कस्टडी)हिरासत में हुई, वहीं जयललिता को #शशिकला नें मौत के समय अपनी मेडिकल हिरासत (कस्टडी)में ले रखा था। न तो कांशीराम के परिजनों को मायावती ने उनसे मिलने दिया और न ही अम्मा के परिजनों को शशिकला ने उनसे मिलने का अवसर दिया। कांशीराम के पास भी मरते समय बसपा के रूप में एक बड़ी राजनैतिक विरासत थी तो अम्मा के पास भी एआईएडीएमके के रूप में कोई साधारण विरासत नहीं थी। कांशी की मौत के बाद माया नें उनकी विरासत का भरपूर लुत्फ़ लिया तो शशिकला भी उसी राह का अनुसरण करती दिख रही हैं। मुझे दोनों विभूतियों की मौत सुनियोजित हत्या लग रही है, जिनमे धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों की बड़ी भूमिका है। इन दोनों की मौत की अगर संभव हो सके तो निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। आप सबका क्या अभिमत है? निडर होकर स्पष्ट करें।

कोविन्द ही क्यों? आडवाणी,जोशी,श्रीधरन व स्वामीनाथन क्यों नहीं?

कोविन्द सिर्फ इसलिए क्योंकि वे संघी दलित हैं। नहीं तो स्वामीनाथन से ज्यादा किसानों की समस्या को कौन समझ सकता है, और मेट्रोमैन ई श्रीधरन समयबद्ध विकास के खुद प्रतिमान हैं। पार्टी के लिए त्याग तपस्या अगर राष्ट्रपति होने के लिए जरुरी शर्त हो तो आडवाणी जोशी भला कैसे राष्ट्रपति न होते? 
भाजपा में अब युग परिवर्तन हो चुका है। मोदी युग ने इस पार्टी की यति-गति सब बदल दी है, जिससे पार्टी की नीति और नियति तक सबमें आमूल-चूल परिवर्तन दिख रहा है। मोदी युग में भाजपा को कार्यकर्त्ता नहीं कार्यवक्ता और विजयी योद्धा चाहिए। अब ये पार्टी नहीं वाहिनी बन चुकी है, जहाँ विजय के सिवा और कोई कर्म नहीं बचा है। कोविन्द नाम को भी मोदी एंड कंपनी दलितों के बीच में गोविन्द नाम की तरह भेजकर 2019 की वैतरिणी पार करना चाहती है। अगर विकास इनका वास्तविक एजेण्डा होता तो ई श्रीधरन से बेहतर कौन होता? यदि किसान को लेकर इनकी पीड़ा असली होती तो भला एमएस स्वामीनाथन का सामना कौन कर सकता था? पार्टी के प्रति निष्ठां और समर्पण को यदि ये सम्मान देना चाहते तो भला आडवाणी और जोशी का मुकाबला कौन कर सकता था?

शनिवार, 17 जून 2017

मौका-मौका "रे दुश्मन" छक्का-चौका


भारत-पाक की आईसीसी चैम्पियन ट्रॉफी की क्रिकटीय भिड़ंत दोनों देशों के लोगों पर सर चढ़कर बोल रही है। यहाँ हार का मतलब सबकुछ ख़त्म जैसा है। मानो हारने वाले देश पर विजेता राष्ट्र कब्ज़ा कर लेगा। दोनों देशों के टीवी चैनल राष्ट्रीय भावनाएं उभार-उभार कर माहौल को और जंगी बना रहे हैं। भारत विरोधी भावना वाले पाकिस्तानी राष्ट्रवादी क्रिकेट की जंग को हर हालत में इसलिए जीतना चाहते है, क्योंकि वो इस बात को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि उनका देश आमने-सामने के युद्ध में कभी भी भारत जैसे शक्तिशाली देश से नहीं जीत सकता। भारत के राष्ट्रवादी पाक के "आतंकवाद समर्थक राष्ट्र" होने की पीड़ा घुटघुटकर जी रहे हैं। भारत सरकार से ये राष्ट्रवादी तत्व जिस तरह के जंगी प्रतिकार की अपेक्षा रखते हैं, वो कोई भी भारत सरकार नहीं कर सकती, इस बात को भारतीय राष्ट्रवादी भी अच्छी तरह से समझते हैं। इसलिए दोनों देशों के राष्ट्रवादी इस तरह की क्रिकेटीय स्पर्धाओं को जंगी जहर से भर देते हैं, और फिर अपने-अपने काल्पनिक बख्तरबंद वाहनों में सवार हो इसे असल युद्ध मान कर एक दूसरे को सिर्फ और सिर्फ परास्त होते हुए ही देखना चाहते हैं।
यहाँ खेल अब खेल नहीं रह जाता बल्कि युद्ध हो जाता है। जिसे मैं ठीक नहीं मानता। युद्ध में विजय सिर्फ वह देश पाता है, जो समग्र रूप से ताकतवर हो, जबकि खेल में विजय समग्र रूप से कमजोर देश भी पा सकता है। क्रिकेट जैसे अनिश्चितता भरे खेल से देश की प्रतिष्ठा को इस तरह से नत्थी कर देना भारत के राष्ट्रवादियों के लिए घाटे का सौदा है, क्योंकि भारत की प्रतिष्ठा अनमोल है, जबकि पाकिस्तान की दुनिया में कोई औकात नहीं। उसकी पहचान सिर्फ आतंकवाद निर्यातक देश के अलावा कुछ भी नहीं है। हमें खेल को सिर्फ खेल नजरिये से देखना चाहिए, जंगी नजरिये से नहीं। हाँ पाकिस्तानियों को इन स्पर्धाओं को युद्धोन्मादी भाव से ही लेना चाहिए, क्योंकि उन्हें सिर्फ इस तरह की स्पर्धाओं में ही भारत के खिलाफ जीत के दर्शन हो सकते हैं, असल युद्ध में नहीं। हालाँकि यहाँ भी उन्हें यह मौका कब मिलेगा, सारे पाकिस्तानी आपस में सिर्फ यही विचार कर रहे हैं।

गुरुवार, 15 जून 2017

तुम मुझे धन दो, मैं तुम्हे वाह-वाही दूंगा

मैं बतौर पत्रकार लंबे समय से देखता आ रहा हूँ, कि यूपी के सीएम का सूचना परिसर प्रतिदिन सैकड़ों दावों का खर्रा मीडिया संस्थानों को भेजता है। ये हो गया है, वो होने वाला है, आदि अनादि। परंतु बहुत कम ही दावे ऐसे होते हैं, जिन पर यकीन होता है। एक अघोषित अंडर स्टैंडिंग मीडिया संस्थानों व सरकार के बीच पनप उठती है। उन्हें रिलीज़ भेजना है, और हमें छापते जाना है। मतलब मीडिया संसथान के मालिकान का यूपी के सीएम से सिर्फ इतना सा अफ़साना रहता है कि "तुम मुझे धन दो, मैं तुम्हे वाह वाही दूंगा" 
सरकार और मीडिया मालिकान के बीच हुई इन अघोषित दुरभि संधियों से प्रदेश के मुख्यमंत्रियों और उनकी पार्टियों को आज तक कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। अखिलेश यादव की दुर्दशा हम सबको ठीक से याद है। एक सांध्य अखबार के तेज़ तर्रार मालिक ने अपनी तर्रारी बेंच खूब माल कमाया, पर अखिलेश बाबू के हिस्से कुछ न आया। मतलब सीएम की रिलीज़ न बोले, काम बोलना चाहिए। कौन नहीं मानता कि योगी सीएम बनने के बाद सिर्फ चार दिन ही डायनामिक सीएम रह पाये थे। उसके बाद फिर जैसे सब वैसे ही वो भी। उन चार दिनों की कितनी रिलीज़ जारी हुई थी, लेकिन काम बोलने लगा था। कौन नहीं जानता कि बाबा योगी की सरकार पेट्रोल और डीज़ल चोट्टों के आगे अपना पिछवाड़ा खोल के लेट गयी। इसकी कितनी रिलीजें जारी हुई हैं? हाँ इस सरकार का सिर्फ एक दावा जनता भी सही मान रही है, और वह है गड्ढा मुक्त सड़क का। सड़कों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, और वह दिख भी रहा है।

काम, क्रोध, मद, लोभ सब, नाथ नरक के पंथ

विभीषण द्वारा रावण को समझाने के लिए तुलसीदास अपने महाकाव्य राम चरित मानस के सुन्दरकाण्ड में यह सुन्दर चौपाई लिखते है-
काम, क्रोध, मद, लोभ, सब,
नाथ नरक के पंथ।
सब परिहरि रघुबीरहि,
भजहुँ भजहिं जेहि संत।
इसका शाब्दिक अर्थ एकदम स्पष्ट है। वह ये कि काम क्रोध मद मतलब अहंकार और लोभ अर्थात लालच ये सब नरक के रास्ते हैं। इसलिए रावण तू इन सबका बहिष्कार कर सिर्फ राम का भजन कर, जिसका कि संत लोग भजन करते हैं।
यहाँ काम क्रोध मद लोभ आदि कारकों से विभीषण हमेशा के लिए रावण को मुक्त होने के लिए नहीं कहता है। क्योंकि वह जानता है कि सफल राजनीतिक जीवन के लिये काम क्रोध मद लोभ इत्यादि स्वाभाविक तत्वों का होना आवश्यक है। काम संतानोत्पत्ति, क्रोध दुश्मनों के दमन, मद याने स्वाभिमान स्वत्व की वृद्धि, लोभ व्यवसाय वृद्धि में महत्त्व पूर्ण भूमिका अदा करता है। इसलिए वह इन तत्वों को नरक नहीं कहता बल्कि नरक के पंथ कहता है। 

पाकिस्तान में न जल पायेगी बजरंगी भाईजान की ट्यूबलाइट

सलमान खान की फिल्म 'ट्यूबलाइट' को पाकिस्तान में ईद के मौके पर रिलीज करने पर रोक लग सकती है. दरअसल पाकिस्तान के कई फिल्मकार और संगठन ईद के मौके पर इस फिल्म को रिलीज होने से रोकने की मांग कर रहे हैं.
पाकिस्तान फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन और पाकिस्तान फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अलावा कुछ स्थानीय फिल्म निर्देशक 'ट्यूबलाइट'की रिलीज को रोकने की कोशिश कर रहे हैं.
ट्यूबलाइट से व्यापार पर पड़ सकता प्रभाव
उनका मानना है कि इसी समय पाकिस्तानी फिल्में भी रिलीज होनी हैं. ऐसे में 'ट्यूबलाइट' से उनकी फिल्मों का व्यापार प्रभावित हो सकता है.
'ट्यूबलाइट' को ईद पर रिलीज नहीं करने की मांग करने वालों का कहना है कि 2010 में सरकार ने यह निर्णय लिया था कि पाकिस्तान में मुस्लिम अवकाश के दिन कोई भी भारतीय फिल्म रिलीज न की जाए.
विरोध करने वाले फिल्मकारों ने इस मामले में जरूरत पड़ने पर अदालत जाने की भी धमकी दी है.
इस बार पाकिस्तान में दो स्थानीय फिल्में 'यलगार' और 'शोर शराबा' 2017 में रिलीज होने वाली हैं. कबीर खान द्वारा निर्देशित 'ट्यूबलाइट' में चीन की अभिनेत्री झू झू भी मुख्य भूमिका में हैं.

बुधवार, 14 जून 2017

बकरे की अम्मा आखिर कब तक खैर मनाएगी पाहवा जी?

 जैसा कि आप सब जानते हैं कि किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के प्रो0 एचएस पाहवा को मैं सिर्फ सस्पेंड होते हुए नहीं, बल्कि बर्खास्त होते हुए देखना चाहता हूँ। इसलिए नहीं कि मेरी उनसे कोई दुश्मनी है, बल्कि इसलिए कि यह व्यक्ति उन गरीब मरीजों की जान से खिलवाड़ करता है, जो उसे भगवान मानते हैं। 4 अप्रैल 2017 को मैंने मुख्यमंत्री योगी के कार्यालय में इस मनमौजी डॉक्टर की लिखित शिकायत की, फलस्वरूप  जाँच प्रारम्भ। रजिस्ट्रार kgmu के ढुलमुल रवैये और पाहवा को बचाने के उनके नित नए व अभिनव प्रयासों की वजह से जाँच में देरी। फलस्वरूप मुख्यमंत्री के विशेष सचिव सैम्फिल रिग्जियान को जारी करना पड़ा नया आदेश। 

मुझे न आजकल एकदम नई फीलिंग आ रही है। वह ये कि कहीं ऐसा न हो जाये कि मेरी इस शिकायत पर  प्रो0 पाहवा बच जाएँ, और पाहवा को बचाने वाले  एक दो लपरझण्डिस न निपट जाये। ऐसा होगा जरूर, क्योंकि मैं मेडिकल यूनिवर्सिटी में चल रहे लूट और मनमौजी के खिलाफ चुप नहीं होऊंगा। लगा रहूँगा। देखता हूँ कि आखिर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी?

आखिर "मौत से पहले मौत" का चुनाव क्यों

तम्बाकू कैंसर का एक प्रमुख़ कारण है। पता नहीं मेरे मित्रों में से कितने मित्र इस सत्य से वाकिफ हैं, कि मैं पिछले कई सालों से तम्बाकू का नियमित इस्तेमाल कर रहा हूँ। पिछले कई महीनों से मैं इससे मुक्ति के लिए प्रयास कर रहा हूँ। आप सबको यह जानकार शायद ताज़्ज़ुब हो कि जिस तम्बाकू से मैं एक घंटा भी दूर नहीं रह पाता था, पिछले 7 दिनों में मैंने उसका स्पर्श तक नहीं किया है। मेरे तम्बाकू छोंडो अभियान में इन 7 दिनों की क्या कीमत है, इसे बहुत कम लोग समझ सकेंगे। पिछले 7 दिनों में मैंने तनाव, घबराहट, छटपटाहट, बेचैनी, और तलब की कितनी ऊँची लहरों का सामना किया है, यह बात या तो मैं जानता हूँ, या फिर मेरी अर्धांगिनी। पत्नी इसलिए क्योंकि वह भी मुझे तम्बाकू के चंगुल से मुक्त होते हुए देखना चाहती हैं। इन शुरूआती 7 दिनों का मेरी तम्बाकू विरोधी जंग में बहुत खास महत्त्व है। अब मुझे विश्वास हो रहा है कि मैं जल्द ही तम्बाकू मुक्त पुरुष हो जाऊंगा।
   
आप सोंच रहे होंगे कि सालों तक तम्बाकू की मन वचन और कर्म से उसकी सेवा करने वाला मैं सुशील अवस्थी "राजन" आज एकाएक उसके खिलाफ बगावत की मुद्रा में क्यों हूँ? कहाँ और किससे मुझे यह प्रेरणा मिली कि मैं तम्बाकू के खिलाफ इतना हमलावर हो गया? पहला और महत्वपूर्ण कारण यह कि मुख कैंसर से पीड़ित अपनी धर्म पत्नी के संघर्ष का मैं बहुत निकट साक्षी रहा हूँ। यह भी ईश्वर की और डॉ0 आशीष सिंहल जी की बड़ी कृपा है कि उनके हौसले और साहस के आगे कैंसर नें खुद हार मान ली।  हालाँकि उन्हें मुख कैंसर बगैर किसी तम्बाकू उत्पाद का इस्तेमाल किये हुआ था। मुझे पता है कि उन्होंने कभी भी किसी भी तम्बाकू उत्पाद का इस्तेमाल नहीं किया है, इसके बावजूद भी उन्होंने मुख कैंसर जैसी यातना को सहा। फिर मैं तो लगातार कई सालों से तम्बाकू उत्पादों का सेवन कर अनवरत रूप से कैंसर को आमंत्रित कर रहा हूँ, वो अलग बात है कि उसने मेरे आमंत्रण को कभी नहीं स्वीकारा। मैं और आप सब इस बात को मानेंगे कि जिसको कैंसर होगा वह भी मरेगा और जिसको नहीं होगा वह भी मरेगा, लेकिन शायद कम ही लोग जानते होंगे कि कैंसर पेशेंट मौत से पहले हज़ार मौते मरता है। उसके साथ उसके चाहने वाले करीबियों को भी मौत सरीखी ही वेदना से गुज़रना पड़ता है। "मौत से पहले मौत" के दुष्चक्र से मुक्ति के लिए यह जरुरी है कि हम सब तम्बाकू उत्पादों का परित्याग करें। इस लेख को लिख कर अपने अनुभवों को आप तक पहुचाने के पीछे मेरा उद्देश्य यही है कि आपमें से जो भी लोग तम्बाकू उत्पादों के मेरी तरह गुलाम हैं, वो भी इन उत्पादों के खिलाफ बगावत का आगाज़ करें। मुझसे किसी भी तरह के सहयोग के लिए इन मोबाइल  नंबरों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 
9454699011
9044719011

शनिवार, 10 जून 2017

चीन में झंडे गाड़ रही आमिर की दंगल


आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी पसंद आई है. यह बात ख़ुद जिनपिंग ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताई है. दोनों नेता अभी हाल में ही कज़ाख़िस्तान की राजधानी अस्ताना में एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) सम्मेलन के दौरान मिले थे.
इस मुलाकात के बाद विदेश सचिव एस जयशंकर प्रसाद ने मीडिया को बताया, ‘उन्होंने (जिनपिंग ने) प्रधानमंत्री से कहा है कि दंगल चीन में अच्छा कारोबार कर रही है. उन्होंने ख़ुद यह फिल्म देखी है. उन्हें फिल्म और उसके कलाकार बेहद पसंद आए.’ प्रसाद ने बताया कि दोनों नेताओं ने सांस्कृतिक सहयोग बढ़ाने पर भी बात की. साथ ही इसी महीने मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर चीन में होने वाले आयोजनों के बारे में भी चर्चा की गई.
ग़ौरतलब है कि दंगल चीन में बीती पांच मई को रिलीज़ हुई थी. तब से अब तक यह फिल्म वहां 1,100 करोड़ रुपए की कमाई कर चुकी है. यही नहीं ‘दंगल’ चीन में दिखाई जाने वाली 33वीं ऐसी फिल्म बन गई है जिसने एक अरब युआन (करीब 14.7 करोड़ डॉलर) से ज़्यादा की कमाई की है. यह फिल्म अब भी चीन के 7,000 से ज़्यादा सिनेमाघरों में दिखाई जा रही है. ग़ैर-हाॅलीवुड फिल्मों में भी यह सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन चुकी है.

गुरुवार, 8 जून 2017

"सबका साथ, खुद का विकास"

 "सबका साथ, सबका विकास" 
इस नारे के दो भाग हैं। पहला भाग है "सबका साथ" और दूसरा भाग है "सबका विकास" मतलब ये कि नारे का पहला भाग जनता को साथ देने के लिए प्रेरित करता कि सभी लोग भाजपा का साथ दो। वहीं दूसरा भाग "सबका विकास" ये बीजेपी की प्रतिबद्धता, कसम या कहें कि संकल्प को दर्शाता है।पहले भाग में देश के आम लोगों को जो करना था वह उन्होंने किया। अब करीब करीब पूरे भारत पर भाजपा का आधिपत्य स्थापित हो चुका है। अर्थात जनता ने अपना कर्तव्य निभाया, अब भाजपा की बारी है। उसे सबका विकास वाला अपना संकल्प ईमानदारी से पूरा करना होगा। परंतु अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि भाजपा सबका साथ लेकर खुद का विकास वाली नीति पर चल पड़ी है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लक्षण तो यही दर्शाते हैं।
 
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में अब योगी सरकार धीरे धीरे चल पड़ी है। परंतु दुखद बात यह है कि बाबा योगी की सरकार व अन्य गई गुज़री यूपी सरकारों में कोई खास अंतर नहीं दिख रहा है। हाँ मुख्यमंत्री बनने के दो चार शुरुआती दिनों में तो जनता को कुछ सुखद एहसास हुए थे। लोगों को लगने लगा था कि यह बाबा बिलकुल नायक फ़िल्म के अनिल कपूर सरीखा काम करेगा। लेकिन अफ़सोस कि मामला टांय टांय फिस्स हो गया। प्रदेश की भ्रष्ट नौकरशाही अब बाबा के निर्देश से नहीं, बल्कि बाबा खुद भ्रष्ट नौकरशाही के आदेश पर दौड़ने लगे हैं। सीमा पर शहीद हुए जवान के घर बाबा की तेलू नौकरशाही बाबाजी के स्वागत में एसी लगाती है, और उनके जाते ही उखाड़ ले जाती है। कहने को तो यह बड़ी सामान्य घटना है, परंतु समझने पर ये बड़ी निर्मम, क्रूर, निर्दयी घटना है। ये घटना सरकार और उसकी मशीनरी की मंशा व कार्यप्रणाली की संवेदनहीनता को उद्घाटित करती है। यह घटना बाबा योगी के पसीने को एक जवान के खून व बलिदान से भी ऊपर व बड़ा स्थापित करती है।
    बाबा योगी जब किसी पिछड़े व दलित गांव में दौरा करते हैं, तब यही उनकी तेलू नौकरशाही उस गांव के गरीबों व मेहनत कशों को शैम्पू व नहाने का साबुन बांटती है, ताकी उनके पसीने की बदबू कहीं योगी जी के महकते पसीने की बेइज़्ज़ती न कर दे। जब बाबा जी किसी दूर दराज़ के सुविधा विहीन अस्पताल में दौरा करते हैं, तो यही तेलू नौकरशाही उस अस्पताल में आनन् फानन में कूलर लगा देती है, लेकिन उनके जाते ही तुरंत उखाड़ लिए जाते हैं। ये घटनाये आम आदमी का सत्ता द्वारा उपहास हैं। और आम आदमी यह सब पुरे पांच साल तक सहने को विवश है। लेकिन जिस दिन उसे बोलने का अवसर मिलेगा, वह बोलेगा जरूर। इसीलिए मैं सुशील अवस्थी कहता हूँ 
ऐ सत्ता तू न कर गुरुर। मैं जिस दिन बोलूंगा तेरा उड़ जायेगा शुरुर।

बुधवार, 7 जून 2017

चीन बना सकता है पाकिस्तान में अपना सैन्य अड्डा

 

चीन चीन अपना एक मिलिट्री बेस पाकिस्तान में बना सकता है।  यूएस डिफेंस हेडक्वार्टर पेंटागन की रिपोर्ट में ये दावा किया गया है। एक्सपर्ट की मानें तो चीन के इस कदम से भारत की स्ट्रैटजिक और डिप्लोमैटिक चुनौतियां बढ़ जाएंगी। वो पहले ही हिंद महासागर के कई देशों में पोर्ट्स डेवलप कर रहा है। उसका इकोनॉमिक कॉरिडोर भी पाकिस्तान से गुजरने वाला है। चीन भारत को जमीन और समंदर में घेरने की हर मुमकिन कोशिश करने में लगा है। इससे भारतीय के सामने सीमा सुरक्षा का खतरा पैदा हो सकता है। बता दें कि चीन अफ्रीकी देश जिबोटी में पहले ही आर्मी बेस बना चुका है। PAK चीनी हथियारों को बड़ा खरीदार...
 
- पेंटागन ने मंगलवार को अमेरिकी कांग्रेस में 97 पेज की रिपोर्ट पेश की। इसमें कहा गया कि 2016 में चीनी आर्मी का बजट 180 बिलियन डॉलर के पार जा चुका है। जबकि अलॉटेड डिफेंस बजट 140 बिलियन डॉलर है।
- रिपोर्ट के मुताबिक- अगर चीन, पाकिस्तान में मिलिट्री बेस बनाता है तो फिर इससे भारत की मुश्किलें ज्यादा बढ़ जाएंगी। इसके पहले वो अफ्रीकी देश जिबोटी में यही कर चुका है। खास बात ये है कि जिबोटी हिंद महासागर और लाल सागर के काफी नजदीक है। 
- पाकिस्तान एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के हथियारों का बड़ा खरीदार है। चीन ने 2011 से 2015 के बीच कुल 12 खरब रुपए के हथियार एक्सपोर्ट किए। जिसमें से करीब 6 खरब रुपए के हथियार अकेले पाकिस्तान ने खरीदे। पिछले साल पाकिस्तान ने 8 सबमरीन खरीदने के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया था। 
 
हिंद महासागर पर कब्जा करना चाहता है चीन: एक्सपर्ट
- विदेश मामलों के एक्सपर्ट रहीस सिंह ने DainikBhaskar.com से कहा- चीन जमीन और समुद्र में भारत को घेरने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। एक ओर वह पाकिस्तान से चीन तक इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) बना रहा है तो दूसरी ओर, हिंद महासागर में कई देशों के पोर्ट्स (बंदरगाह) को डेवलप करने में लगा है। भारत के पूर्व और पश्चिम में हिंद महासागर है। 
- दरअसल, चीन एक पॉलिसी पर काम कर रहा है। इसे स्टिंग ऑफ पल्स (मोतियों की माला) पॉलिसी कहते हैं। पाकिस्तान का ग्वादर, मालदीव का मारो, श्रीलंका का हम्बनटोटा, बांग्लादेश का चिटगांव, म्यांमार का सित्तबय और थाईलैंड के क्रॉनहर पोर्ट को डेवलप करना उसकी इस पॉलिसी का हिस्सा है। खबर तो यह भी है कि श्रीलंका का कोलम्बो पोर्ट भी उसे मिलने वाला है।
 
क्या है चीन की प्लानिंग?
- रहीस सिंह के मुताबिक, कई देशों में पोर्ट्स डेवलप कर चीन हिंद महासागर से भूमध्य सागर तक कब्जा करना चाहता है। अब पाकिस्तान में मिलिट्री बेस बनाकर वह भारत के पड़ोसी देशों खासकर, मध्य एशिया में अपनी सैन्य पकड़ मजबूत करना चाहता है। इस इलाके में सैन्य दवाब बढ़ने पर चीन आगे चलकर डिप्लोमैटिक फायदा ले सकता है। भारत को पोर्ट्स के जरिए समंदर और इकोनॉमिक कॉरिडोर से जमीन पर घेरने की कोशिश हो रही है। 
- चीन अफ्रीका के जिबोटी में भी पोर्ट डेवलप कर रहा है, जिसे ग्वादर से जोड़ने का प्लान है। भारत पहले ही कह चुका है कि वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट चीन के उपनिवेशवाद का हिस्सा है। वह श्रीलंका की तरह पाकिस्तान को कर्ज तले दबाकर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करेगा।
 
चीनी नीतियों से हमें क्या नुकसान होगा?
- एक्सपर्ट ने कहा कि चीन के पोर्ट्स डेवलपमेंट, वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट और मिलिट्री बेस बनने से भारत को तीन तरह का नुकसान हो सकता है।
 
1. आर्थिक- हिंद महासागर में चीन के पोर्ट्स बनने के बाद भारत के पड़ोसी देशों तक चीन की पहुंच आसान होगी। वह आसानी से अपना माल पहुंचा सकेगा और इससे इकोनॉमिक तौर पर उसे फायदा होगा। जबकि चीन के दखल से भारत को नुकसान झेलना पड़ेगा। 
2. कूटनीतिक- इंडियन सबकॉन्टिनेंट में पाकिस्तान का ऑर्थिक और सैन्य दबदबा बढ़ने से भारत को नए सिरे से पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने पर विचार करना होगा। क्योंकि कारोबार और सैन्य तौर पर मजबूत होने में चीन उन देशों की मदद करेगा। 
3. सामरिक- यह दूसरे देशों के साथ रक्षा रणनीति बनाना है। चीन पाकिस्तान और दूसरे देशों को कर्ज दे रहा है तो जाहिर है वह उन्हें भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। भारतीय सीमा की सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है। अपना एक मिलिट्री बेस पाकिस्तान में बना सकता है।  यूएस डिफेंस हेडक्वार्टर पेंटागन की रिपोर्ट में ये दावा किया गया है। एक्सपर्ट की मानें तो चीन के इस कदम से भारत की स्ट्रैटजिक और डिप्लोमैटिक चुनौतियां बढ़ जाएंगी। वो पहले ही हिंद महासागर के कई देशों में पोर्ट्स डेवलप कर रहा है। उसका इकोनॉमिक कॉरिडोर भी पाकिस्तान से गुजरने वाला है। चीन भारत को जमीन और समंदर में घेरने की हर मुमकिन कोशिश करने में लगा है। इससे भारतीय के सामने सीमा सुरक्षा का खतरा पैदा हो सकता है। बता दें कि चीन अफ्रीकी देश जिबोटी में पहले ही आर्मी बेस बना चुका है। PAK चीनी हथियारों को बड़ा खरीदार...
 
- पेंटागन ने मंगलवार को अमेरिकी कांग्रेस में 97 पेज की रिपोर्ट पेश की। इसमें कहा गया कि 2016 में चीनी आर्मी का बजट 180 बिलियन डॉलर के पार जा चुका है। जबकि अलॉटेड डिफेंस बजट 140 बिलियन डॉलर है।
- रिपोर्ट के मुताबिक- अगर चीन, पाकिस्तान में मिलिट्री बेस बनाता है तो फिर इससे भारत की मुश्किलें ज्यादा बढ़ जाएंगी। इसके पहले वो अफ्रीकी देश जिबोटी में यही कर चुका है। खास बात ये है कि जिबोटी हिंद महासागर और लाल सागर के काफी नजदीक है। 
- पाकिस्तान एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के हथियारों का बड़ा खरीदार है। चीन ने 2011 से 2015 के बीच कुल 12 खरब रुपए के हथियार एक्सपोर्ट किए। जिसमें से करीब 6 खरब रुपए के हथियार अकेले पाकिस्तान ने खरीदे। पिछले साल पाकिस्तान ने 8 सबमरीन खरीदने के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया था। 
 
हिंद महासागर पर कब्जा करना चाहता है चीन: एक्सपर्ट
- विदेश मामलों के एक्सपर्ट रहीस सिंह ने कहा- चीन जमीन और समुद्र में भारत को घेरने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। एक ओर वह पाकिस्तान से चीन तक इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) बना रहा है तो दूसरी ओर, हिंद महासागर में कई देशों के पोर्ट्स (बंदरगाह) को डेवलप करने में लगा है। भारत के पूर्व और पश्चिम में हिंद महासागर है। 
- दरअसल, चीन एक पॉलिसी पर काम कर रहा है। इसे स्टिंग ऑफ पल्स (मोतियों की माला) पॉलिसी कहते हैं। पाकिस्तान का ग्वादर, मालदीव का मारो, श्रीलंका का हम्बनटोटा, बांग्लादेश का चिटगांव, म्यांमार का सित्तबय और थाईलैंड के क्रॉनहर पोर्ट को डेवलप करना उसकी इस पॉलिसी का हिस्सा है। खबर तो यह भी है कि श्रीलंका का कोलम्बो पोर्ट भी उसे मिलने वाला है।
 
क्या है चीन की प्लानिंग?
- रहीस सिंह के मुताबिक, कई देशों में पोर्ट्स डेवलप कर चीन हिंद महासागर से भूमध्य सागर तक कब्जा करना चाहता है। अब पाकिस्तान में मिलिट्री बेस बनाकर वह भारत के पड़ोसी देशों खासकर, मध्य एशिया में अपनी सैन्य पकड़ मजबूत करना चाहता है। इस इलाके में सैन्य दवाब बढ़ने पर चीन आगे चलकर डिप्लोमैटिक फायदा ले सकता है। भारत को पोर्ट्स के जरिए समंदर और इकोनॉमिक कॉरिडोर से जमीन पर घेरने की कोशिश हो रही है। 
- चीन अफ्रीका के जिबोटी में भी पोर्ट डेवलप कर रहा है, जिसे ग्वादर से जोड़ने का प्लान है। भारत पहले ही कह चुका है कि वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट चीन के उपनिवेशवाद का हिस्सा है। वह श्रीलंका की तरह पाकिस्तान को कर्ज तले दबाकर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करेगा।
 
चीनी नीतियों से हमें क्या नुकसान होगा?
- एक्सपर्ट ने कहा कि चीन के पोर्ट्स डेवलपमेंट, वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट और मिलिट्री बेस बनने से भारत को तीन तरह का नुकसान हो सकता है।
 
1. आर्थिक- हिंद महासागर में चीन के पोर्ट्स बनने के बाद भारत के पड़ोसी देशों तक चीन की पहुंच आसान होगी। वह आसानी से अपना माल पहुंचा सकेगा और इससे इकोनॉमिक तौर पर उसे फायदा होगा। जबकि चीन के दखल से भारत को नुकसान झेलना पड़ेगा। 
2. कूटनीतिक- इंडियन सबकॉन्टिनेंट में पाकिस्तान का ऑर्थिक और सैन्य दबदबा बढ़ने से भारत को नए सिरे से पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने पर विचार करना होगा। क्योंकि कारोबार और सैन्य तौर पर मजबूत होने में चीन उन देशों की मदद करेगा। 
3. सामरिक- यह दूसरे देशों के साथ रक्षा रणनीति बनाना है। चीन पाकिस्तान और दूसरे देशों को कर्ज दे रहा है तो जाहिर है वह उन्हें भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। भारतीय सीमा की सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है।

जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी


सत्तासीन रामवादी कृपया प्रजा और राजा के संबंधों के लिए तुलसीदास की इस चौपाई का दिन में एक बार अवश्य स्मरण करें।

जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृपु अवसि नरक अधिकारी।

मतलब ये कि जिस राजा के राज्य में जनता दुखी रहती है, वह नरकगामी होता है। अर्थात राज्य के कल्याणकारी तत्व का पैमाना जनता का सुख होना चाहिए न कि राजा के लोगों का उच्च स्वर उवाच।

रविवार, 4 जून 2017

मंत्री स्वाति के बाद फिर से सत्यदेव पचौरी... ये सुधरेंगे नहीं क्या?

    योगी सरकार की प्रतिभावान मंत्री स्वाति सिंह के कारनामों की चर्चा अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि अलबेले सत्यदेव पचौरी की वजह से लोहिया संस्थान की एमआरआई मशीन सत्यानाश हो गयी। हुआ ये कि मंत्री जी अपनी जांच कराने के लिए गोमती नगर, लखनऊ के डॉ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान जा पहुचे। उनके सुरक्षा कर्मी भी जबरदस्ती एमआरआई चेंबर में घुस गए। आप सब जानते हैं कि एमआरआई कक्ष में धातु निर्मित कोई चीज़ ले जाना मना होता है, लेकिन मंत्री के गार्ड किसकी सुनते। फिर क्या था, असलहा मशीन में चिपक गया। जिसकी वजह से मशीन सत्यानाश हो गयी।
     संसथान के निदेशक दीपक मालवीय का कहना है कि कुछ एक दिनों तक अब आम मरीजों की जाँचे नहीं हो सकेंगी, और मशीन को फिर से चालू हालत में लाने के लिए लाखों रुपया भी खर्च करना पड़ेगा। जब एक आम आदमी का इस संस्थान में एमआरआई जाँच के लिए महीनों बाद नंबर आता है, फिर मंत्री जी का नंबर तुरंत कैसे? इस सवाल पर निदेशक महोदय बगलें झांकने लगे। आपको बताते चले कि ये वही सत्यदेव पचौरी हैं, जिन्होंने अपने विभाग के एक दिव्यांग कर्मचारी का सार्वजानिक रूप से अपमान कर अपने नए नए मंत्री पद की हेकड़ी चेक की थी। लगता है कि 14 साल के वनवास के बाद सत्ता में वापस आये ये भाजपाई नेता सत्ता का नशा बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं, बाबाजी इनको संभालो अन्यथा मुझे तो इन नशेड़ियों की हरकते भाजपा को 140 साल के वनवास पर भेजने के लिये काफी लग रही हैं। 

भारत-पाक की क्रिकेट जंग

   
      जब पाकिस्तान भारतीय जवानों के सर काट रहा हो, तब भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना चाहिए या नहीं? यह एक सवाल आज बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। भारत और पाकिस्तान दोनों तरफ लोग भारत-पाक क्रिकेट मैच का विरोध कर रहे हैं। आईसीसी चैम्पियन ट्रॉफी में आज जब भारत पाक की टीमें इंग्लॅण्ड में भिड़ रही हैं, वहीं इस मुद्दे पर भारत में सरकार और जनता के बीच भी एक लोकतान्त्रिक तरीके की भिड़ंत जारी है। पाकिस्तानी विषयों पर हमेशा आक्रामक रुख रखने वाले दो भारतीय टीवी चैनलो ज़ी न्यूज़ और सुदर्शन न्यूज़ भी इस मैच का खुला विरोध कर रहे है।
     मेरा मानना है कि पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्ज़ा बरकरार रखने वाली भाजपा की मोदी सरकार से ऐसे किसी बैन की उम्मीद करना कि वह भारत-पाक के बीच के क्रिकेट संबंध पूरी तरह से खारिज कर पायेगी, मूर्खता से ज्यादा कुछ नहीं है। पाकिस्तान से हमारे सम्बन्ध हमेशा चार कदम आगे, तो बीस कदम पीछे वाले रहे हैं। हम दुनिया से तो कहते हैं कि वह पाक को आतंकी देश घोषित करे, लेकिन हम खुद नहीं करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि अमरीका उस पर दबाव बनाये, पर हम खुद उस पर दबाव नहीं बढ़ाते है। इसका प्रमुख कारण है कि दोनों देशों की राजनीती में भारत-पाक के तनाव पूर्ण या तनाव विहीन सम्बन्ध वोटों का संतुलन साधने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। प्रायः दोनों देशो के घरेलू हालात जब उनकी सरकारों पर भारी पड़ने लगते हैं, तब दोनों तरफ की सरकारें देश भक्ति की भावनाओं का ज्वार उठाकर जनता का ध्यान बटाने के लिए इन संबंधों का बतौर ट्रम्प कार्ड इस्तेमाल करती हैं।

योगी का एक मंत्री.. जिसे निपटाने के लिए रचा गया बड़ा षडयंत्र हुआ नाकाम

  सुशील अवस्थी 'राजन' चित्र में एक पेशेंट है जिसे एक सज्जन कुछ पिला रहे हैं। दरसल ये चित्र आगरा के एक निजी अस्पताल का है। पेशेंट है ...