मैं अगर यूपी का सीएम होता तो अपने आवास और आफिस में बैठकर चाटुकार अफसरों से "राज्य के क्या समाचार है" बिलकुल भी न पूंछता, और न ही मीडिया चैनलों और अख़बारों की बातों पर पूरा भरोसा करता। बल्कि वेश बदलकर गुपचुप तरीके से अपने राज्य में भ्रमण करता, और जानता कि राज्य और सरकार के क्या समाचार हैं? हफ़्तों पहले जब अधिकारियों और कर्मचारियों को पहले से ही पता हो कि अमुक दिन हमारा मुखिया हमारा काम देखने आएगा, तब तक ऐसा कौन सा मुर्ख अधिकारी और कर्मचारी होगा जोकि अपनी कमियों को न ढक लेगा। ऐसे आकस्मिक दौरों को मैं सिर्फ जनता के ही साथ धोखा मानता हूँ।
आखिर क्यों कोई सीएम आकस्मात और वेश बदलकर अपनी सरकार और राज्य के हालचाल जानने जनता के बीच नहीं जाता, जबकि पूर्व के अनेंक राजा इस तरह की ट्रिकों का इस्तेमाल राज्य के समाचार जानने के लिए किया करते थे।
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