रविवार, 23 जुलाई 2017

जीतता भारत और हारता चीन

दोक्लम् मुद्दे पर भारत-चीन के बीच पनपी तनातनी पर विश्व के तमाम देशों की निगाहें हैं। भूमाफिया चीन का करीब-करीब अपने सभी पड़ोसियों से छत्तीस का आंकड़ा है। दोक्लम् विवाद से दुनिया के देशों में भारत के शक्तिशाली होने का सन्देश गया है। चीन को लेकर हमारी जो विदेश नीति और कूटनीति हमेशा रक्षात्मक रही है, वो अब आक्रामक हुई है। चीन को भारत की आक्रामक कूटनीति नें घुटनों के बल ला दिया है। जापान, ताइवान, वियतनाम, इंडोनेशिया, म्यांमार, फिलीपीन्स, भूटान आदि देश जो कि कहीं न कहीं चीन की दादागीरी से पीड़ित रहे हैं, वे आज भारत के वर्चश्व की छतरी की नीचे लामबंद होकर खड़े हो रहे हैं। निःसंदेह इसका श्रेय नरेंद्र मोदी की सरकार को ही जाता है। 
हिन्द महासागर में मालाबार युद्धाभ्यास जो कि भारत-अमेरिका-जापान की नौसेनाओं के मध्य हुआ है, उसने चीन की नींद उड़ाकर रख दी है। दक्षिणी चीन सागर विवाद में चीन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अदालत की अवमानना से दुनिया में उसकी साख घटी है, जबकि मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार की वजह से दुनिया में भारत का महत्त्व बढ़ा है। पाकिस्तानी आतंकवादियों को चीन का खुला समर्थन दुनिया में खुद चीन की साख को बट्टा लगाने के लिए काफी है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आज की स्थिति में भारत को चीन से कोई खतरा नहीं है बल्कि खुद चीन भारत से डरा हुआ है। अपने आका चीन को इस स्थिति में फंसा देख पाकिस्तान जरूर दंग, हताश और परेशान है।

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