शनिवार, 15 जुलाई 2017

ये शिक्षक है, सब जानता है

प्रिय शिक्षक साथियों !
वित्तविहीन शिक्षकों के मानदेय पर सरकार चुप है, लिख कर दे रही है कि मानदेय देने की हमारी कोई नीति नहीं है। इस पर मैं स्वयं उप मुख्य मंत्री जी व मुख्यमंत्री जी से कई बार मिला। वो कह रहे हैं कि किसानो की क़र्ज़ माफ़ी में सारा बजट काट कर देना पड़ गया, अतः आप लोग थोड़ा रुकिए, मतलब चुनावी वर्ष का इंतज़ार करिए। इससे आक्रोशित लाखों शिक्षक 18 जुलाई 17 को विधान सभा घेरने आ रहे है। इस पर सरकार का कोई सकारात्मक बयान नही आ रहा है। 
    दुर्भाग्य की बात यह है कि कल तक शिक्षकों के मशीहा कहलाने वाले कुछ तथाकथित शिक्षक नेता ही सरकारी घोषणा व अनाप - सनाप ओछी बयानबाज़ी कर  शिक्षकों को गुमराह कर रहे हैं। उनका ये कृत्य निंदनीय है। अरे बूढ़े हो गए, लड़ने की सामर्थ्य खो चुके हो तो कम से कम लड़ने वालों को तो हतोत्साहित न करो।
   बाक़ी "ये शिक्षक है सब जानता है"

आपका अपना- उमेश द्विवेदी, शिक्षक एमएलसी, यूपी,
                               

1 टिप्पणी:

  1. इस सरकार ने केवल खाने का ध्यान दिया ताकि वो जी सके।राष्ट को बनाने वाले शिक्षक का ध्यान कहाँ हैं।सभी शिक्षक बन्धुओं से अनुरोध है कि ये धन्धा छोड दे।Thanks

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