वित्तविहीन शिक्षकों पर लाठीचार्ज.....मतलब मेरे को मारना है। देख लीजियेगा इन 2 लाख लाचार और मज़बूर शिक्षकों की हाय और संघर्ष यूपी की इस संवेदनहीन सरकार के पतन की पटकथा लिखेगी। संभवतः योगी सरकार के माध्यमिक शिक्षा मंत्री नें अपनी प्राथमिक शिक्षा में यह पंक्ति नहीं पढ़ी है कि "मुई खाल की स्वांस सो सार भष्म होइ जाय" आशय ये कि जब मरी खाल की धौकनी लोहा भष्म कर सकती है, तो फिर किसी सरकार की क्या बिशात?
माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा के अध्यक्ष और वर्तमान में एमएलसी उमेश द्विवेदी की संघर्ष जिजीविषा को नौसिखिया और अनुभवहीन मंत्रीमंडली के सीएम योगीनाथ शयद अभी नहीं भांप पाये हैं। पिछली सपा सरकार नें भी वित्तविहीन शिक्षकों को मानदेय कोई खैरात में नहीं दिया था, बल्कि उमेशजी के नेतृत्व में वित्तविहीन शिक्षकों के संगठित संघर्ष का नतीजा था। बाबा भी देंगे, लेकिन झेलने और झिलाने के बाद। मेरी जब भी इन शिक्षकों और उनके नेताओं से बात हुई तो उनके हावभाव और वाणी नें मुझे सिर्फ और सिर्फ यही एहसास कराया मानों वो कह रहे हो कि "देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है"
सराहनीय लेख।
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