लगते अब दल से जुदा जुदा
यहाँ गधे पंजीरी पेल रहे
वो आज भी दुर्दिन झेल रहे
सन्नाटे में आवाज़ बने
जीरो से आगाज़ बने
खुब कष्ट सहे
कुछ भी न कहे
अब उन पर कोई निगाह नही
लानत भी नही कोई वाह नही
तुम जियो मरो या कट जाओ
बस 5 साल को हट जाओ
तुम आना भीड़ जब छट जावे
सत्ता के चिन्ह जब मिट जावें
तब तेरी याद उठेगी ही
जब सत्ता ठाठ लूटेगी ही
झंडा, बिल्ला, पोस्टर , बस्ता
मांगेंगे एक लेबर सस्ता
तब तुम्हें छोंड़ होगा ही कौन
पार्टी को समर्पित रहा जौन
फिर खून पसीना बहा देना
पार्टी का कमल खिला देना
विपक्षी दल को हिला देना
मैं फिर सत्ता में आऊँगा
नए मतलबी खोज के लाऊँगा
तुम फिर से नया विश्राम करो
हमसे बोलो खूब काम करो
"राजन" हम मूरख तर्पित है
पर खुश कि चलो समर्पित हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें