मायाराज में उत्तर प्रदेश को चारागाह समझ कर अनाप-शनाप लूट मचा चुके, कुछ पूर्व महामान्नीय चेहरों पर चिंता की लकीरें देख आम आदमी बहुत खुश है। कुछ संदिग्ध लुटेरों के चेहरे सीबीआई की जांच के कारन तनाव ग्रस्त हैं, तो कुछ को राज्य सरकार की जांच एजेंसियों से लगातार तनाव मिल रहा है। मेरे मन में कभी-कभी यह ख्याल आता है कि जब प्रदेश में इतनी बड़ी लूट चल रही थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री क्या कर
रही थी? क्या इतनी बड़ी लूट बगैर किसी मुख्यमंत्री
के शामिल हुए बिना संभव है? आप क्या सोंचते हैं ?
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