मंगलवार, 29 अगस्त 2017

सावधान रहो, संगठित रहो

    देखें ये लेटर।सत्यता आपके समक्ष है कुछ लोग इस पर भी सही उत्तर देने की बजाय लेटर पर ही सवाल उठा रहे हैं पत्रांक है निकलवाकर देख लें------------ये है सरकार की चाटुकारिता का परिणाम।मानदेय बढ़कर आ रहा है,मानदेय बन्द नही हुआ, टोकन ग्रांट आ गयी है, सेवा नियमावली तैयार है, कोर्ट ने वेतन का आदेश दे दिया है आदि कहकर आंदोलनों का विरोध व असफल करने के कुत्सित प्रयास करने वाले, फर्जी लेटर पोस्ट करने वाले कहाँ हैं।
 
  जो विरोध करते थे अब खुद अस्तित्व बचाने के लिए धरने, सम्मेलन,मिलाप,विलय कर अपनी राजनीति बचाने में लगे हैं अगर यही विलय, सम्मेलन ,धरने हो सकते थे तो पहले क्यों नही हुए ।अगर कर लेते तो सायद कानपुर व झांशी में वित्तविहीन प्रत्यासी जीत गए होते और आज सरकार दबाव में होती हमारा मानदेय बढ़कर मिलता।पर चलो अब भी ज्ञान हो जाये तो अच्छा है बेचारे शिक्षक कर्मचारी आशा में ही जीवन यापन करने को मजबूर हैं।दूसरों को करने नही देंगे खुद कुछ करेंगे नही अजीब तमासा है।इसी के विरोध में ही तो यात्रा का आयोजन हुआ।
    अगर यह सभी जो आज सम्मेलन, विलय,आंदोलन कर रहे हैं यही काम 15 मई के धरने,3 से 10  जुलाई के तालाबंदी,18 जुलाई के धरने के समय करते और विरोध न कर अलग से ही धरना देते जैसा लालबिहारी जी ने किया था तो सायद परिणाम अलग होते।पर शिक्षकों को भृमित कर राजनीति चलाना ही जिनका पेसा हो उनसे क्या अपेक्षा।
   साथियों अभी समय है हमें एकजुटता दिखाकर जागरूकता यात्रा को भरपूर समर्थन देना होगा।सरकार पर अगर दबाव नही बना पाए एक वित्तीय वर्ष सरकार ने बिना मानदेय दिए निकाल दिया तो, सेवा सुरक्षा,नियमावली,धारा परिवर्तन,कोर्ट के ऑडर धरे रह जाएंगे।सबके मूल में पैसा ही है जब वही नही मिलेगा तो हम इन सबको क्या चाटेंगे।

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