बुक्कल नवाब को पार्टी में लेने के बाद भाजपा सोंचती है कि वो भाजपाई होइ गवा, लेकिन मैं और मेरे मित्र मानते हैं कि बुक्कलवा तो सत्ताई होइ गवा। गोमती नदी का अवैध कब्जाधारी, जब सत्ताधारी होइगा तो वहिके पापन का नाश तो होइ जइहै, काहेकि भाजपा अब पार्टी नहीं, बल्कि राजनीति कै पवित्तर गंगा जो बनिगई है। अगर अगली सरकार कम्युनिस्टों की होगी तो इस चित्र के दो महापुरुष उसमें भी मौजूद रहेंगे।
जब बहुत ज्यादा गंदे नाले गिरने से गंगा की जलधारा दूषित हो सकती है, तो फिर गलीच लोगों के लगातार भाजपा में गिरने से उसकी विचारधारा दूषित कैसे न होगी? खैर ये नमामि गंगे कहकर सत्ता हथियाना और छलामि गंगे का आचरण करते हुए सत्ता से बाहर हो जाना तो अब राजनीतिक विधान बन चुका है।
मुझे न एक डर यह है कि अखिलेश सरकार में इसकी जमीन गोमती नदी में निकल आयी थी, अब योगी सरकार में कहीं इसकी जमीन गंगा में न निकल आये, क्योंकि "गोमती रिवर फ्रंट" अगर सपा का ड्रीम प्रोजेक्ट था तो "नमामि गंगे" भी तो भाजपा का ड्रीम प्रोजेक्ट जो है।मतलब ये कि सत्ताधारी पार्टियों के ड्रीम से ही इसका अपना ड्रीम संवरेगा। अब अगर ऐसे कहा जाए कि ड्रीम गर्ल (हेमा मालिनी) वाली पार्टी को अपना ड्रीम ब्वाय भी मिल गया तो क्या गलत होगा?
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