थे क्या तुम अब दिल को जताने लगे हो,
अखिलेश तुम फिर याद आने लगे हो।
थे अच्छे तुम सीएम, दिल "राजन" का बोले,
जब कुछ ही माह जनता ई योगी को झेले ।
था बदलना जरूरी सो बदले हम सत्ता
यही तो है बाबू लोकतंत्र की महत्ता।
पर लगा अब ये टीपू क्या हमने किया है,
न जाने इन दिनों हमने क्या क्या जिया है।
मरे लाल मेरे इक कतरा हवा बिन
चले हॉस्पिटल अब यहां हैं दवा बिन
कहाँ गुम हुई है अब बड़की लफ़ाज़ी
चोरकट बने हैं अब शहरों के काज़ी।
जानवर बड़ा यहां इंशा है छोटा
न कार्ड न राशन और गायब है कोटा।
तेरे विकास के खंडहरों पर नया रंगरोगन
तुझसे ही लेना फिर भी दोषों का रोपन।
हूँ जनता मैं बेबस पर सब देखता हूँ
खुद के करम पर भी खुब सोंचता हूँ।
है ताकत मेरी वोट मेरे ही हिस्से
मैं फिर से लिखूंगा बदलावों के किस्से।
तब तक तुम सोंचो कहाँ तुम हो चूके
खाएंगे तो ही चौदह वर्ष के ये भूंखे।
तुम फिर से अपना डंका बजाने लगे हो
अखिलेश तुम फिर याद आने लगे हो।
Insaan ki pahchan Insaan se hi hoti hai
जवाब देंहटाएंNahi hota koi bhi chota bada
Faqat uski shan uske kaam se hi hoti hai
Kar diya Tu ne apne ko buland itna
Ki Bas ab bulandi ki pahchan akhilesh se hi hoti hai.