बाबा राम रहीम प्रकरण नें हमारे धर्म गुरुओं के अधर्म में लिप्त होनें का एक और स्पष्ट प्रमाण उपस्थित किया है | अब ये हम पर है कि हम इस सच को स्वीकारते हैं, या फिर अभी भी सच को नज़रअंदाज़ करते हैं | अगर हम स्वीकारेंगे तो फायदा होगा नहीं स्वीकारेंगे तो आगे कोई और ढोंगी हमें और हमारी आस्था को छलेगा| इन ढोंगी बाबाओं को ताकत देनें का काम हमारी अंधभक्ति ही करती है, इस तथ्य को हम जल्द स्वीकारें तभी हम ऐसे ठगों से बच पाएंगे | अन्यथा कल कोई और आशाराम और राम रहीम हमें फिर से छलेगा |
भारत सदा से अध्यात्म की जन्मभूमि रही है, आम भारतीय सदैव निश्छल, निष्कपट, भोला और धार्मिक रहा है | हमारी आस्था निष्ठा श्रद्धा विश्वास और भक्ति सदैव हमारी ताकत रही है | लेकिन ठग प्रवत्ति के लोग सदियों से हमारी इन्हीं अच्छाइयों को अपना हथियार बनाकर हमें ठगते भी आये हैं, आज हमें इस कटु सत्य को भी स्वीकारना होगा | ईश्वर नें हमें मनुष्य बनाते वक्त विवेक नाम की भी एक अमूल्य निधि से नवाज़ा है, यदि हम उसका भी इस्तेमाल करें तो इस तरह के धर्म गुरु कभी भी हमें ठग नहीं सकेंगे | अन्यथा यह सिलसिला आगे भी निरंतर रूप से जारी रहेगा |
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