रविवार, 4 दिसंबर 2011

ऐसा क्यूँ ?

        उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मार्ग, एअरपोर्ट से मुख्यमंत्री आवास तक जानें वाली रोड है, जो कि वी.आई.पी. रोड कहलाती है| आये दिन हमारे सूबे की मुखिया इसी मार्ग का इस्तेमाल करती हैं| जिस कारण यह रोड सजा संवार कर रखी जाती है| धुली-पुंछी इस रोड पर फर्राटे भरनें का अपना अलग मज़ा है| लेकिन यही मज़ा तब सजा बन जाती है, जब सुश्री बहन जी का काफिला इस मार्ग पर अपनी शानों-शौकत से गुजरता है| उनके आगमन से पूर्व सभी आनें-जानें वालों को अपनी गति पर विराम जो लगाना होता है| कभी-कभी यह विराम इतना लम्बा हो जाता है कि आम आदमी घंटों जाम में ही फंसा रहता है| कहनें को तो प्रशासन कहता रहता है, कि ५ मिनट से ज्यादा आवागमन नहीं रोका जाता है, लेकिन सच्चाई एकदम इसके विपरीत है| आज आपके सामनें इसी महत्वपूर्ण मार्ग पर पड़नें वाले बाराबिरवा चौराहे के दो चित्र, मैं आपके सामनें प्रस्तुत कर रहा हूँ|पहला  जब सुश्री जी इस मार्ग से नहीं गुजरी थी, तब सड़क कितनी सुगम थी| फिर दूसरा चित्र उनके काफिले के गुजर जानें के बाद लगे भीषण जाम का है| जिसमें आम आदमी संघर्ष कर रहा है| यह कैसा लोकतंत्र है, जिसमें एक विशिष्ट के लिए इतना ताम-झाम, लेकिन हम बहुत सारे लोगों के लिए कुछ भी नहीं, ऐसा क्यूँ ? 





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