पाकिस्तान और अमेरिका की यारी में अब दरार पड़ चुकी है| यह दरार आनें वाले दिनों में और चौड़ी होगी| कारण, बदली हुई परिस्थितियों में दोनों को अब एक दूसरे की जरुरत का न होना है| अमेरिका नें जिस दिन पाकिस्तान में घुसकर लादेन वध किया था, उसी दिन उसका राष्ट्रीय लक्ष्य हासिल हो गया था| पाकिस्तान का राष्ट्रीय लक्ष्य था रईश अमेरिका की जेब से गिरते डालर बटोरना, और एक विश्व दरोगा से यारी कर, अपनें परम्परागत शत्रु भारत पर दबाव बनाये रखना| पकिस्तान को बदली परिस्थितियों में अपना लक्ष्य पूरा होते हुए नहीं दिख रहा था, इसलिए उसनें दुनिया के दूसरे उभरते दरोगा चीन से गलबहियां कर ली| अमेरिका भी इस बदनाम दोस्त से निजात पानें की ही फिराक में था| भारत, पाकिस्तान और चीन दोनों का दुश्मन है, सो दुश्मन का दुश्मन यानि दोस्त, वाले फार्मूले पर दोनों दोस्ती की पींगे मार रहे हैं|
ऐसी परिस्थितियों में भारत-अमेरिका को और पास आनें की जरुरत है| हमें यह समझनें की जरुरत है कि लाख आर्थिक संकटों के बावजूद, अमेरिका आज भी दुनिया की एकमात्र महाशक्ति है, जबकि चीन संभावित महाशक्ति| यदि आज भारत-अमेरिका हाथ मिला लें, (जिसकी प्रबल संभावना है) तो न चीन दुनिया की महाशक्ति बन सकेगा, और न ही पकिस्तान भारत से अपनी शत्रुता निभा पायेगा| आर्थिक संकटों से घिरे अमेरिका को हम सहारा दे सकते हैं, तो दुनिया के शक्तिशाली मंचों और संगठनों तक वह अपनें प्रभाव का इस्तेमाल कर हमें सम्मानजनक स्थान| अब तो ऐसा ही होनें के प्रबल आसार हैं|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें