शनिवार, 3 दिसंबर 2011

"बच्चे तो भगवान की मूरत होते हैं"

बच्चे तो भगवान की मूरत होते हैं.... किसी नें यूँ ही नहीं कहा| दुनिया से आगे निकल जानें की हमारी आपकी जिद और जद्दो-जहद नें हमारी आपकी निश्छलता छीन ली, वर्ना हम भी धरती पर ऐसी ही मुस्कान लेकर आये थे| यकीन न हो तो एक बार अपनें बचपन की कोई पुरानी फोटो निकाल कर उसे निहारिये| आप जान जायेंगे कि  पिछले कुछ वर्षों में आप कितना बदल गए हैं| इस बदलाव को क्या हम अपना उत्थान कहेंगे? 









 

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