देखते देखते मोदी सरकार ने 3 साल पूरे कर लिए। अब अगर इस सरकार की उपलब्धियों और नाकामियों की चर्चा प्रारम्भ की जाय तो किसी को आपत्ति का अधिकार नहीं मिलना चाहिए। सत्ता पक्ष के पास गिनाने के लिए उपलब्धियों का अथाह भंडार है, तो विपक्ष के पास इस सरकार की नाकामियों की लंबी फेहरिस्त है। मैं दोनों की बात नहीं करूँगा। मैं बात करूँगा उस आम आदमी के अनुभव की जिसने अच्छे दिनों की कल्पना कर और मोदी जी की बात पर भरोसा कर इस सरकार को अस्तित्व दिया। पीएमओ में किस तेज़ी से फैसले हो रहे हैं? सरकार को कितना चाक चौबंद किया गया है? मुझे इन बातों से कोई लेना देना नहीं है। मेरा लेना देना उन गांवों से है, जहाँ से हमने दिल्ली को वोट भेजकर अपना भाग्यविधाता तय किया था। वह मेरा भाग्यविधाता दिल्ली से हमारे गांवों, कस्बों और शहरों को क्या भेज पाया है? हम इस पर चर्चा करेंगे।
पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक जिसके बाद पाकिस्तान और खूंखार हो गया। नोटबंदी जिसमें हमने कष्ट उठाये, और सरकार भी चिल्लाई कि उसने नोटबंदी के हथियार से नक्सलियों और आतंकवाद की कमर तोड़ दी। किसकी कमर टूटी सब जानते हैं। बुलेट ट्रेन परियोजना गुलेल से फेंकी गयी कंची की गति से चल रही है, और हमारी रेल गाड़ियां पटरी से ज्यादा बेपटरी चल रही हैं। सबका साथ तो लिया लेकिन विकास को भगवा चोला ओढ़ाकर जनता के सामने पेश किया गया। मैं तो मोदी सरकार को अभी तक फेल सरकार की श्रेणी में रखूँगा। हमारी आशाओं, अपेक्षाओं और उम्मीदों को लोकसभा चुनावों के दरमियान मोदी ने जिस तरह उचाईयों के आकाश पर चढ़ाकर वोट लिया था, उसके अनुरूप मुझे यह सरकार अभी तक की सबसे लेद्धड़ और बोगस सरकार है।
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