ऐसा लगता है कि राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार श्रीमती स्वाति सिंह की मति मंत्री बनते ही भ्रष्ट हो गयी है। मैडम एक बीयर बार का उद्घाटन कर बैठी। लगता है कि मंत्री बनने के बाद वो खुद को महरानी समझ बैठी है। स्वाति सिर्फ किस्मत कनेक्शन से मंत्री बनी है, यह कौन नहीं जानता? उनके पति का माया को अपशब्दों से नवाजना, फिर एकदम से भारतीय नारी का यूपी के राजनीतिक क्षितिज पर उभरना, एकदम फ़िल्मी पटकथा सा लगता है। उनमे विधायक बनने और उस दायित्व को निभाने तक की क्षमताये तो विद्यमान है, लेकिन पता नहीं क्यों, उन्हें मंत्री पद से नवाज़ा गया? बाबा योगी की शंकरी बारात जैसे मंत्रिमंडल में ऐसे तमाम नमूने और भी मौजूद है, आशा है समय समय पर वो अपनी छुपी प्रतिभा का उद्घाटन करते रहेंगे। इस बीयर शाप के उद्घाटन के दो और प्रमुख पात्रों पर भी आप की नज़रे इनायत हो। एक रायबरेली के एसपी गौरव पाण्डेय, दूसरी उन्नाव की एसपी नेहा पाण्डेय की उपस्थिति ने तो कार्यक्रम में चार क्या चालीस चाँद लगा दिए। शायद आप जानते हों कि ये दोनों पुलिस अधिकारी पति-पत्नी हैं। ख़ुशी की बात ये है कि बाबा योगीनाथ को इस तरह दारू प्रमोशन का इनका काम रास नहीं आया। स्वाति,गौरव,नेहा में से किसी न किसी के सिर बाबा ठीकरा जरूर फोड़ेंगे।
इस प्रकरण के बाद पियक्कड़ों में गज़ब की मायूसी देखी जा रही है। लगता है बीयर बार के उद्घाटन के बाद से तड़ियालों को ये लगने लगा था कि हो न हो स्वाति सिंह जैसी मंत्री की वजह से उनके दारू पीते रहो आंदोलन को बाबा योगी की सरकार से सामाजिक मान्यता प्राप्त हो जायेगी। ससुरे नशेड़ी सोंच रहे थे कि सब्जी वालों की तरह अब दारू विक्रेता भी मुहल्लों की गलियो में चिल्लाते फिरेंगे "दारु ले लो.... दारु" भला दारू और बीयर में फर्क ही कितना है?
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