अगर मोदी सरकार में साध्वी प्रज्ञा मालेगांव विस्फोट कांड से बाहर हो सकती हैं, तो फिर आडवाणी, जोशी, उमा आदि बाबरी विध्वंस कांड से क्यों नहीं बाहर हो सकते? कौन नहीं जानता कि सीबीआई भी दबावों के बीच ही अपने कर्तव्य तय करती है। मुझे लगता है भाजपा धार्मिक ध्रुवीकरण का राजनीतिक खेल खेलना चाह रही है, क्योंकि उसे लग गया है कि सुशासन की राह आसान नहीं है। अब जब मुस्लिम सर्वाधिक दुविधाग्रस्त स्थिति में है, तब धार्मिक ध्रुवीकरण का सबसे अधिक लाभ भाजपा को ही मिलेगा। हो सकता है कि ऐसे माहौल में योगी बाबा अयोध्या से ही विधायक बनना पसंद करें।
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