मंगलवार, 9 मई 2017

क्या बसपा में अब सिर्फ मायावती बचेंगी?

आज मायावती ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को पार्टी से बाहर कर दिया। आरोप ये कि चुनाव के नाम पर नसीम नें कई लोगों से पैसा लिया। जबकि हम सभी लोग ठीक से जानते हैं टिकट के नाम पर पैसा वसूलने की परंपरा खुद माया ने ही शुरू की थी। मुझे नहीं लगता कि सिर्फ पैसा वसूलने के लिए नसीमुद्दीन को बाहर किया गया, बल्कि वह पैसा माया तक न पहुचाना उनके निष्कासन की वजह हो सकती है। तब नसीम के पार्टी से बाहर जाने का क्या नुकसान होगा, जब पार्टी में वैसे ही बसपा छोंड़कर जाने वालों की होड़ लगी हो। स्वामी प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक जैसे बड़े नेता मायावती को कबका छोंड़कर जा चुके हैं। जहाँ एक ओर बहुजन समाज पार्टी का ढाँचा पहले ही चरमराया हुआ है, ऐसे में नसीमुद्दीन जैसे बड़े मुस्लिम नेता को खुद माया द्वारा निकाला जाना, यह दर्शा रहा है कि बसपा अब ख़त्म होने के कगार पर खड़ी है। अब तो ऐसा लग रहा है कि बसपा में सिर्फ मायावती सुप्रीमों रह जाएँगी, और एससी मिश्रा कार्यकर्त्ता।
    सच्चाई यह है कि मायावती गज़ब की बेवकूफ, और मूर्ख हैं। मान्यवर कांसीराम के संपर्क में आने और मान्यवर साहब द्वारा उन्हें अपना अति विश्वासपात्र मान लेने के सिवा इस महिला के जीवन में मुझे और कुछ भी खास नहीं लगता। इस प्रकरण में भी मुझे संयोग और किस्मत का ही सारा कमाल नज़र आता है। अब माया और एससी में मुझे कांसीराम जी जैसा वह संघर्ष का माद्दा भी नहीं नज़र आता कि कहा जा सके कि ये लोग पार्टी का पुनर्निर्माण कर सकेंगे। क्योंकि अब बगैर उस पुराने काँशीरामी संघर्ष के इस पार्टी को पुनः जीवित कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। इसलिए ये वक्त मुझे बसपा के अंतिम संस्कार का वक्त लगता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

योगी का एक मंत्री.. जिसे निपटाने के लिए रचा गया बड़ा षडयंत्र हुआ नाकाम

  सुशील अवस्थी 'राजन' चित्र में एक पेशेंट है जिसे एक सज्जन कुछ पिला रहे हैं। दरसल ये चित्र आगरा के एक निजी अस्पताल का है। पेशेंट है ...