पाकिस्तानी हरामीपने नें कश्मीर में 90 के दशक वाला आतंकवाद जिन्दा कर दिया है। जब गैर इस्लामी बहन बेटियों से खुले आम बर्बरता होती थी। शुक्र है कि अब वहां गैर इस्लामी आबादी नगण्य है। भारत उनके बलोचिस्तान को सुलगा भी न सका और अपना कश्मीर बचा भी न सका। हमारे भाजपाई नेता सिर्फ बड़बोलेपन का ही परिचय देते रहे, पाकिस्तान के आठ टुकड़े बारह टुकड़े वगैरह वगैरह। यानी कश्मीर के मुद्दे पर कूटनीतिक मोर्चे पर पाकिस्तान नें हमको कूट दिया। इतना कूटा कि हम अपने ही कश्मीरियों के हाथ से पत्थर न तो भय दिखाकर छीन पाये और न प्रीति दिखाकर रखवा पाये। 125 करोड़ देशवासियों के तेवरों से लगा कि देश अब मोदी के मोद से बाहर आ रहा है। फिर क्या था पाकिस्तानी चौकियों पर धूम-धड़ाम। पता नहीं उनमें उस समय कोई था भी या खाली थीं? इस हमले में कितने पाकिस्तानी सुअर मरे ये कौन बताएगा? क्योंकि पाकिस्तान तो ऐसे किसी हमले से ही इनकार कर रहा है।
मोदी सरकार इन टोने-टटकों से जन मानस का दिल बहलाने की कोशिश न ही करे तो अच्छा है। सेना का इस्तेमाल सरकार की छवि गढ़ने में करना, मैं सुशील अवस्थी राजन इसे उचित नहीं मानता हूँ। पहले सर्जिकल स्ट्राइक का तमाशा, फिर पाकिस्तानी बंकर तबाही, ये मोदी सरकार का देश की जनता के साथ खुल्ला फरेब है। सर्जिकल स्ट्राइक और बंकर तबाही जैसी घटनाएं दोनों देशों की सीमाओं के मध्य घटने वाली बड़ी ही सामान्य और रूटीन घटनाएं हैं। अभी पाकिस्तानी bat टीम भी तो सर्जिकल स्ट्राइक जैसी ही घटना हमारी सीमा में घुसकर अंजाम दे ले गई थी। पाकिस्तानी भी तो हमारी पोस्टों को आये दिन निशाना बनाया करते हैं। मोदी सरकार के चकड़ चाणक्य इस तरह के मीडियाई करिश्मे से राष्ट्रवाद का कृत्रिम यानी बनावटी उफान पैदा करना चाहते हैं। सेना का इस्तेमाल इसलिए किया जा रहा है, ताकि कोई कुछ भी सवाल उठाये, तत्काल उसे देशद्रोही घोषित किया जा सके।
करना ही है तो इंदिरा गांधी जैसी कूटनीति से पाकिस्तान को टुकड़े टुकड़े कर डालो। 3 साल से जनता तुम्हे देख रही है साहब, अब प्रवचन से काम न लो, कुछ ठोस करो।
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