"सीएम #योगी के शुरुआती तेवरों से लग रहा था कि वो यूपी की भ्रष्ट और लापरवाह नौकरशाही को बदल कर रख देंगे, लेकिन अब साफ दिख रहा है कि इन नौकरशाहों के नापाक गैंग ने उनको बदल कर रख दिया है"
हज़रतगंज थाने का औचक निरीक्षण, गोमती रिवर साइड पर ऑन स्पॉट सवाल-जवाब। ये जनता को रास आ रहा था। असल में जनता जो कि सारी राजनीतिक व्यवस्था की मालिक है, भ्रष्ट नौकरशाही उसको गुलामों की तरह ट्रीट करती है। जनता की इस नौकरशाही से जातीय खुन्नस है। जब ये नौकरशाही किसी के सामने गिड़गिडाउ मुद्रा में दिखती है, तो इस व्यवस्था के असल मालिक अर्थात जनता को बड़ा सुकून मिलता है। अगर ये सुकून देने का काम उसका चुना हुआ प्रदेश का मुखिया करता है, तो जनता की अपार मेहरबानियाँ उसी पर बरसती हैं।
शुरुआत में #मायावती ने भी जनता और नौकरशाहों के बीच स्थापित इसी मनो भड़ास का पूरा फायदा उठाया था, तभी तो वो औचक निरीक्षण में सार्वजानिक रूप से अधिकारी से कहती थी, कि ऊपर मुंह क्या देखता है, नीचे नाली देख कितनी गन्दी है? मायावती नें अपने ये तेवर एक दो महीने नहीं बल्कि सालों तक बरकरार रखे थे। एक समय नौकरशाही उनके नाम से काँपती थी। वो अलग बात है कि कालान्तर में वो खुद भी इसी भ्रष्ट नौकरशाही की कठपुतली बन गयी थी।
असल में यह नौकरशाही आज भी अंगरेजी मानसिकता के कीटाणुओं,जीवाणुओं और विषाणुओं से युक्त है। ये ईमानदार को ईमानदार और बेईमानों को बेईमान नहीं रहने देना चाहती है। ऐसा नहीं है कि मैं सुशील अवस्थी राजन योगी विरोधी हूँ। बल्कि मुझे इसी योगी में यह आशा की किरण दिख रही है कि वह असल मालिक यानी जनता को उसका मालिकाना हक़ दिला सकता है, और नौकर को नौकर बना सकता है। मेरी यह आशा जब मरती हुई दिखती हैं तो तकलीफ होती है। मिशन 2019 साधने के लिए योगी को वही करना होगा, जो मैं यानी जनता चाहती है।
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