शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

" जाग रही है जनता अब "

               भ्रष्टाचार, कुशासन पर अब, आये दिन होता है वार,
               जाग रही है जनता अब, इस खातिर जारी प्रतिकार|
राजनीति और नेताओं से, उठा भरोसा अपना,
ये रोंकेंगे लम्पटता को, लगता सबको सपना|
जन-जन में है क्रोध, व्यग्रता करती हमें अधीर,
कोई आये और चुरा ले, जन मानस की पीर|
रामदेव और अन्ना में, दिख रहा हमें था नायक,
पर भ्रष्ट,लुटेरे जुटे हैं, साबित करनें को नालायक|
               घुप्प अँधेरा बता रहा, अब  भोर हमारे द्वार,
               जाग रही है जनता अब, इस खातिर जारी प्रतिकार|
कहें अवस्थी "राजन" अब तो, सबको जागना होगा,
किसी एक को दे नहीं सकते, दुक्ख हरण का ठेका|
लोकतंत्र को अश्त्र, शस्त्र  मतदान बनायेंगे,
जिसके दम हम क्रांति, भारतवर्ष में लायेंगे|
दिग्विजयी रावणों का दंभ हमें, अब करना होगा चूर,
भीख नहीं अधिकार माँगते, हम न मूरख मजबूर|
                छिड़ी लड़ाई वही लडेगा, जिसको भारत से प्यार,
                जाग रही है जनता अब, इस खातिर जारी प्रतिकार|

1 टिप्पणी:

  1. छिड़ी लड़ाई वही लडेगा, जिसको भारत से प्यार,

    दुआ है हर भारतवासी के दिल mein यह प्यार बना रहे .....

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