मन के मन को जानना,
और उसे पहचानना,
बहुत कठिन है यार|
कभी बहुत खुश,
कभी दुखी है,
कारन का कुछ पता नहीं है,
कभी वहां है कभी यहीं है,
मन की गति का पता नहीं है,
मन की मन-मन,
सुननेवाला,
व्यग्र व्यथित बनता मतवाला,
मन को मार,
कहाँ कोई जीता,
मन के मन में रावण बसता,
बसते लछिमन, राम व सीता|
मन के जाल से उबरा,
वही सुह्रद सुजन,
राम नाम की "मनका"
घूमे जिसके मन|
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