हम सभी नव वर्ष (2013) की बधाइयों के आदान प्रदान में लगे हैं, लेकिन इस बार पिछले वर्षों की भांति का उल्लास नदारद है। दिल्ली बलात्कार कांड की पीडिता का दर्द हम सभी भारत वासियों के दिलो- दिमाग में घर सा कर गया है। हम प्रत्येक वर्ष नव वर्ष के प्रथम दिन मंगल कामना करते हैं कि हम सभी का नूतन वर्ष खुशियों और उल्लास से परिपूर्ण हो, लेकिन खुशियों के बीच छुपी दुश्वारियां भी सूर्प नखा की तरह हमारे आपके जीवन में प्रवेश कर अपना कुरूप चेहरा दिखा ही जाती हैं। हमें हमारे व्यक्तित्व के लक्ष्मण को सदैव सावधान रखना होगा जिससे इस कुरूप और विभत्स सूर्प नखा को कठोर दंड दिया जा सके। आप सभी मित्रों को नव वर्ष 2013 की हार्दिक शुभ कामनाओं सहित आपका अपना- सुशील अवस्थी "राजन" पूर्व विधायक प्रत्याशी, 175, कैंट विधान सभा क्षेत्र, लखनऊ, यूपी, मोबाइल- 09454699011
सोमवार, 31 दिसंबर 2012
बुधवार, 5 दिसंबर 2012
विरोध और समर्थन करना सिखा देगी जनता
नेता हो तो मुलायम जैसा निडर ...धरती पुत्र ....fdi पर क्या राष्ट्रीय हित का निर्णय लिया है। विरोध क्या होता है कोई आपसे सीखे। बहिन मायावती जी को भी हार्दिक धन्यवाद् ...... आइयेगा 2014 के लोकसभा चुनाव में ....। जनता भी आपको ऐसा ही सबक देगी ... फिर आप भी कह उठोगे कि वाह री यूपी की जनता ..... समर्थन कैसे किया जाता है ...कोई इससे सीखे।
मंगलवार, 4 दिसंबर 2012
jai jai ram katha
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित राम कथा में प्रेम भूषण जी महराज द्वारा राम कथा की महिमा का वर्णन करता एक सुन्दर भजन
सोमवार, 3 दिसंबर 2012
शुक्रवार, 30 नवंबर 2012
हमारी शिक्षा प्रणाली
उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे युवाओं पर बहुत दबाव होता है। इसी दबाव का सामना कर पानें में अक्षम तमाम युवा आये दिन आत्म हत्याएं कर रहे हैं। ये हम कैसी शिक्षा प्रणाली अंगीकार करते जा रहे हैं, जहाँ सफलता न हासिल कर पानें के सामनें जीवन असफल हो जाता है। असफलता के बाद भी सफल जीवन जिया जा सकता है। यदि ऐसी ही शिक्षा प्रणाली से हमारे आराध्य भगवान् राम भी शिक्षित हुए होते तो सोंचिये कि क्या राज्यारोहन से असफल हुए राम आत्महत्या न किये होते? लेकिन असफलता के बाद भी उन्होंने सफलता की जो कहानी गढ़ी उसके पीछे तत्कालीन शिक्षा प्रणाली का ही कमाल था। क्या आज हम उस तरह शिक्षा प्रणाली को नहीं अपना सकते?
बुधवार, 28 नवंबर 2012
आध्यात्म की जन्म भूमि भारत
भारत आध्यात्म की जन्म भूमि है। पाश्चात्य चमक-दमक से ऊब चुके लोग सदा ही यहाँ ज्ञान- वैराग्य और भक्ति की त्रिवेणी में डुबकी लगानें को आतुर रहे हैं। राम- कृष्ण - गौतम और नानक देव की लीला भूमि रही इस भारत भूमि का कण-कण उनके अनुयाइयों के लिए दिव्य है। जो सम्पूर्ण विश्व में फैले हुए हैं। हमारे महाकुम्भ में एक समय एक जगह लोगों की महा जुटान का मर्म सारी दुनिया समझना चाहती है। हम ऐसे महान देश के नागरिक हैं, हम लोगों के दिलो - दिमाग से इसका एहसास ख़त्म सा होता जा रहा है, जो सर्वथा चिंतनीय है। एक ओर हमारी राष्ट्रीयता की पहचान गंगा आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है, तो दूसरी ओर हमारे तीर्थ स्थल अव्यवस्था और गंदगी के पर्याय बनते जा रहे हैं। जिसके जिम्मेदार हम सभी हैं। क्योंकि हमारी उदासीनता को हमारी सरकारें पहचानती हैं। आइये दुनिया की आध्यात्मिक जन्म भूमि को हम सभी सजा संवार कर रखनें का संकल्प व्यक्त करें, ताकि दुनिया हमें सम्मान भाव से देखे।
आपका अपना - सुशील अवस्थी "राजन" मो0- 09454699011
मंगलवार, 27 नवंबर 2012
हानि, लाभ, जीवन, मरण,यश, अपयश विधि हाँथ
वशिष्ठ जी भगवान् राम के वनवास प्रकरण पर भरत जी को समझाते हैं, इस अवसर पर बाबा तुलसीदास जी एक चौपाई द्वारा बहुत ही सुन्दर ढंग से लिखते हैं कि "सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहुँ मुनिनाथ। हानि, लाभ, जीवन, मरण,यश, अपयश विधि हाँथ।"
इस प्रकरण पर एक संत बड़ा ही सुन्दर विवेचन प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि "भले ही लाभ हानि जीवन, मरण ईश्वर के हाँथ हो, परन्तु हानि के बाद हम हारें न यह हमारे ही हाँथ है, लाभ को हम शुभ लाभ में परिवर्तित कर लें यह भी जीव के ही अधिकार क्षेत्र में आता है, जीवन जितना भी मिले उसे हम कैसे जियें यह सिर्फ जीव अर्थात हम ही तय करते हैं, मरण अगर प्रभु के हाँथ है, तो उस परमात्मा का स्मरण हमारे अपनें हाँथ है "
शनिवार, 17 नवंबर 2012
शुक्रवार, 16 नवंबर 2012
गुरुवार, 15 नवंबर 2012
मैं कैसा भक्त हूँ राम का?
वनवास नहीं महलों का आदी,
भोगविलासी और प्रमादी,
स्वारथ का मैं पुतला हूँ,
धीरज धैर्य से उथला हूँ,
रामायण मानस जानता हूँ,
राम को ईश्वर मानता हूँ,
नहि मातु-पिता के काम का।
मैं कैसा भक्त हूँ राम का?
भ्रात भरत पर शक करता हूँ,
लछिमन से भी मैं डरता हूँ,
सीता पर संदेह बडे है,
रिश्ते सभी खिलाफ खड़े हैं,
हे राम मुझे कुछ शक्ति दो,
अपनें चरणों की भक्ति दो,
मैं "सुशील" रहा बस नाम का।
मैं कैसा भक्त हूँ राम का?
रावण का वैभव जचता है,
नखा का यौवन मन मथता है,
अहिल्या-शबरी में जान नहीं,
गुह-केवट प्रति सम्मान नहीं,
सुग्रीव दिखा कमजोर जभी,
बाली को सखा कह दिया तभी,
निज चिंतन सुबहो शाम का।
मैं कैसा भक्त हूँ राम का?
सच राम नहीं बन सका कोई,
चल एक कदम या फिर दोई,
सीता चाहे मिले न भरत लखन,
भले पाप पले दशरथ के मन,
सब फ़र्ज़ निभाएंगे घुस कर,
खुद राम बनन की कोशिश कर,
नहि किया जाप हनुमान का।
मैं कैसा भक्त हूँ राम का?
सुशील अवस्थी "राजन" आलमबाग, लखनऊ,मो0- 9454699011
सोमवार, 5 नवंबर 2012
वो राम हमारे हैं
जो कण-कण में
जो प्रतिक्षण में,
छिति,जल,पावक
वायु, गगन में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
दशरथ के जो आयन में,
वाल्मीकि रामायण में,
तुलसी के जो मानस में,
भक्तों के जनमानस में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
"राजन" कैकय दुर्बुद्धी में,
निषादराज मनशुद्धी में,
भरत खड़ाऊ गद्दी में,
और केवट की सदबुद्धी में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
सीता के जो पतिव्रत में,
अनुसुइया के भी सत में,
लछिमन के सेवारत में,
जो भारत के जनमत में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
जो गीध जटायू सद्गति में,
शबरी आतिथ्य की सदमति में,
जो हनुमत की सेवागति में,
गाँधी बाबा की सन्मति में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
सुशील अवस्थी "राजन" मोबाइल- 09454699011
हमें प्राण से प्यारे हैं।
दशरथ के जो आयन में,
वाल्मीकि रामायण में,
तुलसी के जो मानस में,
भक्तों के जनमानस में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
"राजन" कैकय दुर्बुद्धी में,
निषादराज मनशुद्धी में,
भरत खड़ाऊ गद्दी में,
और केवट की सदबुद्धी में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
सीता के जो पतिव्रत में,
अनुसुइया के भी सत में,
लछिमन के सेवारत में,
जो भारत के जनमत में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
जो गीध जटायू सद्गति में,
शबरी आतिथ्य की सदमति में,
जो हनुमत की सेवागति में,
गाँधी बाबा की सन्मति में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
सुशील अवस्थी "राजन" मोबाइल- 09454699011
बुधवार, 31 अक्तूबर 2012
इंदिरा जी को श्रद्धांजलि
आज इंदिरा जी की पुण्यतिथि है। आज के ही दिन हमारी जनप्रिय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा जी की उनके ही सुरक्षाकर्मियों नें हत्या कर दी थी। आज हम सब उन्हें कृतज्ञता पूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनकी पार्टी कांग्रेस और उनके परिवार के लोग उनके महान व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर काम करें, जिससे देश का कुछ भला हो सके।
सोमवार, 29 अक्तूबर 2012
श्री सीताराम
28 अक्तूबर को एक बार फिर मैं चित्रकूट में था। मन्दाकिनी स्नान और कामदगिरी पर्वत की परिक्रमा इन दो कामों को करते हुए मुझे कुछ ऐसी दिव्य अनुभूति होती है, जिसका वर्णन कर पाना मुझे संभव नहीं लगता। कामदगिरी की परिक्रमा करनें के बाद सदैव मेरे मन की अशांति कम हो जाती थी। मेरे प्रिय मित्र सर्वेश पाण्डेय जी नें सहसा एक दिन छिड़ी चर्चा में जब संत तुलसीदास जी की यह पंक्ति सुनाई "कामदगिरी भे राम प्रसादू, अवलोकत अपहरत विषादू" तब मेरी समझ में आया कि क्यों चित्रकूट स्थित इस परम पुनीत पर्वत की परिक्रमा कर लेनें के बाद मेरे मन की अशांति में हमेशा कमी आ जाया करती थी। क्योंकि तुलसी बाबा की इस पंक्ति का मतलब है कि सिर्फ इस पर्वत को अवलोकत अर्थात देखनें मात्र से ही मन के विषाद का अपहरण हो जाता है, अर्थात मन के विषाद का यह पर्वत अपहरण (चोरी) कर लेता है। जय हो कामतानाथ भगवन की।
इस बार की अपनी चित्रकूट यात्रा के कुछ महत्वपूर्ण चित्र मैं आप लोगों से बाँट रहा हूँ। कृपया निगाह डालिए। भगवान राम नें अपनें 14 वर्ष वनवास के जहाँ करीब 11-12 वर्ष इस पर्वत के आस-पास बिताये, वहीं आप लोग भी अपनी व्यस्त जिंदगी से पिंड छुड़ाकर अपनी जिंदगी के कुछ घंटे बिताइए, मुझे पूरा विश्वास है, कि आप खुद पर प्रभु श्री राम की असीम कृपा अनुभव करेंगे। एक बार श्रद्धा पूर्वक कहिये "श्री सीताराम"
आपका अपना- सुशील अवस्थी "राजन" मो0- 9454699011
चित्रकूट में कामदगिरी परिक्रमा मार्ग पर एक जगह सजा भव्य राम दरबार |
कामदगिरी की परिक्रमा करते सुशील अवस्थी "राजन" |
वानरों के समूह से घिरे रहनें वाले कामदगिरी का एक भव्य द्रश्य |
कामदगिरी के इन्हीं में से किसी न किसी पत्थर को कभी भगवान श्री राम का स्पर्श अवश्य मिला होगा |
चित्रकूट के लेटे हनुमान की जय ...... |
चित्रकूट की लक्ष्मण पहाड़ी से एक विहंगम दृश्य |
मेरी इस पूरी चित्रकूट यात्रा में संग-संग रहे मेरे अभिन्न मित्र श्री सर्वेश पाण्डेय जी |
शनिवार, 27 अक्तूबर 2012
प्रेम से बोलिए जय श्री राम......
मैं आज चित्रकूट जा रहा हूँ। वहां वनवासी भगवान् श्री रामचन्द्र जी, मैया सीता व लक्ष्मण जी के दर्शन करूँगा। साथ ही मन्दाकिनी स्नान, गुप्त गोदावरी, स्फटिक सिला, अनुसुइया व सीताकुंड आदि दर्शनीय स्थलों की भी तमन्ना है। आप लोगों का कोई सुझाव हो तो प्रस्तुत करनें की कृपा करें। साथ ही एक बार प्रेम से बोलिए जय श्री राम .......
मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012
सोमवार, 22 अक्तूबर 2012
अशफाकउल्लाह खान को जन्मदिन पर सलाम !
एक मुसलसल ईमान मुसलमान अमर शहीद अशफाकउल्लाह खान को जन्मदिन पर सलाम ! पंडित बिस्मिल के इस जाबांज साथी को आखरी रात इस बात का गिला रहा की मादर ए वतन पर कुर्बान होने के लिए बस एक ही बार पैदा हो सकेगा ! अल्लाह से ज़न्नत के बदले हिन्द पर फ़िदा होने के लिए दूसरा जनम मांगने की खवाहिश रखने वाले इस सितारे को सौ-सौ सलाम !स्वर्गीय अग्निवेश शुक्ल की अप्रतिम कविता का एक अंश सादर समर्पित...
"जाऊँगा खाली हाथ मगर ये दर्द साथ ही जायेगा,
जाने किस दिन हिन्दोस्तान आज़ाद वतन कहलायेगा?
बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं "फिरआऊँगा,फिर आऊँगा,
फिर आकर के ऐ भारतमाँ तुझको आज़ाद कराऊँगा".
"जाऊँगा खाली हाथ मगर ये दर्द साथ ही जायेगा,
जाने किस दिन हिन्दोस्तान आज़ाद वतन कहलायेगा?
बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं "फिरआऊँगा,फिर आऊँगा,
फिर आकर के ऐ भारतमाँ तुझको आज़ाद कराऊँगा".
जी करता है मैं भी कह दूँ पर मजहब से बंध जाता हूँ,
मैं मुसलमान हूँ पुनर्जन्म की बात नहीं कर पाता हूँ;
हाँ खुदा अगर मिल गया कहीं अपनी झोली फैला दूँगा,
और जन्नत के बदले उससे एक पुनर्जन्म ही माँगूंगा........!"
मैं मुसलमान हूँ पुनर्जन्म की बात नहीं कर पाता हूँ;
हाँ खुदा अगर मिल गया कहीं अपनी झोली फैला दूँगा,
और जन्नत के बदले उससे एक पुनर्जन्म ही माँगूंगा........!"
रविवार, 21 अक्तूबर 2012
कुछ नया करिए सीएम् साहब
उत्तर प्रदेश की जनता अब अखिलेश यादव की सरकार से भी नाउम्मीद होती जा रही है। एक युवा मुख्यमंत्री के तौर पर वह सिर्फ अपनें पिता मुलायम सिंह का अपग्रेड वर्जन मात्र बनकर रह गए हैं। उनके फैसलों और कार्यप्रणाली में कहीं कोई नयापन नहीं है। जबकि आम प्रदेश वासी उनसे काफी नयेपन की उम्मीद लगाये बैठा था। पिता श्री के दिए हुए बूढ़े बुझते दिए टाइप के अंकल मंत्रियों के सामनें हमारे सुकुमार मुख्यमंत्री आम आदमी को कुछ ज्यादा ही लाचार और बेबस नजर आ रहे हैं। बस एक बात है जो उनके पक्ष को काफी मजबूती दे रही है, वह यह कि आम आदमी उन्हें समाजवादी पार्टी का सबसे बेदाग़ चेहरा मानता है। लेकिन ज्यादा दिन ऐसे ही सरकार लुढ़कती रही तो उनकी भी स्थिति इमानदार मनमोहन जैसी बन जाएगी, जो खुद तो इमानदार हैं, लेकिन उनके मंत्रियों की कार गुजारियां उनका बंटाधार किये जा रही हैं।
सुशील अवस्थी "राजन" मोबाइल- 09454699011
बुधवार, 17 अक्तूबर 2012
लूट सको तो लूट सिद्धांत की सर्वोत्कृष्ट विवेचना
हमारे देश के कानून मंत्री महा माननीय श्रीमान सलमान खुर्शीद जी नें आज बड़ी ही क़ानूनी बात की है। राष्ट्र द्रोही खलनायक निर्लज्ज कीड़े अरविन्द केजरीवाल को धमकाते हुए उन्होंने कहा कि "फरुखाबाद पहुँच तो जाओगे लेकिन सही सलामत वापस नहीं आ पाओगे" क्योंकि हमारा कानून मंत्री अब कलम से नहीं खून से बात करेगा। खुर्शीद जी के लगातार फैलते यश से प्रसन्न यूपी सरकार नें भी यश भारती पुरष्कार की रकम 5 लाख से बढाकर 11 लाख कर दी है, मैं तो अपनी सरकार से दरख्वास्त करता हूँ कि बढ़ी हुई राशि का प्रथम यश भारती पुरष्कार परम श्रद्धेय सलमान जी को ही प्रदान करे। क्योंकि फरुखाबाद यूपी में ही आता है। यहाँ से निर्वाचित हो आदरणीय सलमान जी नें यूपी को जो यश प्रदान किया है, उसे आनें वाली पीढियां युगों-युगों तक याद रखेंगी। विकलांगो का पैसा डकार जानें की जो जिजीविषा श्रीमान खुर्शीद जी के परिवार में दिखती है, ऐसा लोकोपकारी गुण भारतीय राजनीती के किसी भी दूसरे राजनीतिक परिवार में नहीं दिखता। इससे उनके विशेष घोटालेबाज़ हाजमें का भी पता चलता है, जो सर्वथा दुर्लभ है। इस अवसर पर मैं परम आदरणीय बाबू जी अर्थात बेनी प्रसाद वर्मा जी की इर्ष्या का भी जिक्र करना पासंगिक समझता हूँ। श्रीमान बेनी जी को लगा कि यूपी की सरज़मी पर कोई है जो यश भारती पुरष्कार का स्वाभाविक दावेदार बनता जा रहा है, सो उन्होंने झट से कह दिया कि 71 लाख की रकम पचा जाना कोई बड़े हाजमे का परिचायक नहीं है। मैं बड़ी विनम्रता से कहना चाहता हूँ कि वे किसी इतनें गिरे घोटाले का 71 हज़ार भी पचाकर दिखाएँ तो हम मानें। श्रीमान बाबु जी विकलांग वह जीव है जिसपर राह चलता व्यक्ति भी संवेदना ही प्रदर्शित करता है, लेकिन हमारे परमपूज्य प्रातः स्मरणीय कानून मंत्री श्रीमान सलमान खुर्शीद जी नें धनार्जन के लिए राजनीती में आनें को व्यग्र युवाओं को एक सुलभ मार्ग दिखाया है, कि किस तरह हम सभी युवा राजनीती में आकर इन उपेक्षित और असहाय विकलांगो के नाम पर धनार्जन कर सकते हैं। माननीय कानून मंत्री श्रीमान खुर्शीद जी की यह गोलमाल कथा जो भी नवोदित राजनेता पूरी श्रद्धा और विश्वास से सुनेगा, वह आगामी लोकसभा चुनावों में देश की किसी न किसी लोकसभा से कांग्रेस का टिकट अवश्य पायेगा। सिर्फ इतना ही नहीं विजयी होकर वह कांग्रेस की अगली महाभ्रष्ट सरकार में अति मलाईदार मंत्रालय पाकर लूट सको तो लूट सिद्धांत के सर्वोत्कृष्ट सिद्धांतों का प्रतिपादन कर इस देश के जन मानस पर अमित प्रभाव छोंडेगा। जिसे लोग अनंत काल तक याद रखेंगे। आपका अपना-सुशील अवस्थी "राजन" मोबाइल- 09454699011
सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
घोटाले का घुन
देश को खोखला करता आया, घोटाले का घुन रहा है।
अब तो हर मंत्री घोटाले के सपनें बुन रहा है।
क्या न कचोटती होगी स्वर्ग में शहीदों की आत्मा।
आज़ादी के बाद भी आम आदमी अपना सिर धुन रहा है।
बदल गया है समय काल और बदल गए हैं हम सब।
लुटना और लूटना अपनी नियति बन गयी है अब।
नीति और नैतिकता बन गयी भ्रष्टाचार की दासी।
चारों ओर है घुप्प अँधेरा फैली पड़ी उदासी।
ढपली अपनी राग भी अपना, कौन किसकी सुन रहा है।
आज़ादी के बाद भी आम आदमी अपना सिर धुन रहा है।
सुशील अवस्थी गैस को रोयें भई रसोई सूनी।
बिन मेहनत के वाड्रा जी की भई कमाई दूनी।
गैर क़ानूनी काम में लग गया जो था मंत्री क़ानूनी।
राजनीती को योगी भागा करके कुटिया सूनी।
बुरा न देखो बुरा न बोलो यही तरक्की का शगुन रहा है।
आज़ादी के बाद भी आम आदमी अपना सिर धुन रहा है।
शनिवार, 13 अक्तूबर 2012
शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012
बुधवार, 10 अक्तूबर 2012
हो रहा भारत निर्माण
आज कल देश और प्रदेश के हालात मुझे बहुत ठीक दिखाई देते हैं। गैस सिलेंडर पर बीबी की लम्बी किचकिच झेल कर जब टीवी का रिमोट संभालता हूँ,तो देखता हूँ कि केजरीवाल और बाबा रामदेव कांग्रेस विरोधी माहौल बनाये राष्ट्रद्रोह पर राष्ट्रद्रोह करते ही चले जा रहे हैं। क्या करें बेचारे जनता के बारे में जो सोंचते हैं। वैसे जनता के बारे में सोंचनें का काम हमारे प्रदेश की पूर्व और अपूर्व मुख्यमंत्री सुश्री बहन मायावती जी भी क्या खूब कर रही हैं, जनहित का ख्याल रखते हुए उन्होंने राजधानी लखनऊ में एक बड़ी रैली बुलाई और कहा कि ठीक अगले ही दिन वो केंद्र की सरकार को उनकी पार्टी द्वारा दिए जा रहे समर्थन पर पुनर्विचार करेंगी, मेरे जैसे गैस सिलेंडर की मार से आहात तमाम पत्नियों के पतियों को लगनें लगा, मानों कि दुःख भरे दिन बीते रे भैया। अब ये जनहित की ही तो बेबसी है कि नीतियों से असहमत होते हुए भी सपा और बसपा जैसी महान उत्तर प्रदेश और देश की शुभ चिन्तक पार्टियाँ राष्ट्र निर्माण में लगी कांग्रेस का निस्पृह भाव से साथ देती आ रही हैं। कभी कभी सोंचता हूँ कि क्या उत्तर प्रदेश और देश के लोग इन पार्टियों द्वारा किये जा रहे अनुपम कार्य का क़र्ज़ उतार सकेंगे? मुझे तो लगता है कि इस प्रदेश और देश के लोग इन दो भाई-बहन छाप पार्टियों सपा और बसपा या यूँ कहें मुलायम और मायावती के आजीवन ऋणी रहेंगे। फिर सोंचता हूँ प्रदेश और देश के लोग ऋणी रहें तो रहें,सुशील अवस्थी तो इन पार्टियों का एहसान उतार कर ही दम लेगा, आगामी लोकसभा चुनावों में इन भारत निर्माण में सन्नद्ध पार्टियों के वोट बैंक को सपरिवार वोट देकर लबालब कर दूंगा। क्या आप भी हमारा साथ देना चाहेंगे? साथ नहीं देंगे तो मैं आप सबको राष्ट्र द्रोही समझूंगा।
शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012
मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012
भगत के बस में हैं भगवान्
भगत के बस में हैं भगवान् ....... इस भजन को सिर्फ एक बार सुन भर लीजिये ...... किसनें गाया किसनें बजाया मुझे कुछ भी नहीं मालूम ..... अगर कुछ मालूम है तो सिर्फ इतना कि यह बड़ा ही प्यारा भजन है। यह भजन भगवान् श्री कृष्ण जी को सम्मुख रखकर लिखा और गाया गया है,,,,, परन्तु मैं ठहरा राम भक्त सो अपनें इष्ट की फोटो चस्पा कर दी है। अब और समय न जाया करिए।।।। और सुनिए प्रभु में आसक्ति पैदा कर देनें वाला यह प्यारा भजन .....भगत के बस में हैं भगवान्।।।।।।।।।।
गुरुवार, 27 सितंबर 2012
बुधवार, 26 सितंबर 2012
कांग्रेस का हाथ किसके साथ?
चुनाव के समय कांग्रेस पार्टी का नारा होता है कि "कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ" परन्तु सत्ता प्राप्ति के बाद वह अपनें ही ध्येय वाक्य "कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ" की माँ का नाका करनें पर तुल जाती है। आपको क्या लगता है कि कांग्रेस का हाथ चुनाव बाद किसके साथ हो लेता है? भ्रष्टाचारियों के साथ, आतंकवादियों के साथ या आम आदमी के साथ?
सोमवार, 24 सितंबर 2012
हिन्दुओं के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों ?
रविवार को खबर आई कि राधारानी मंदिर मथुरा में भगदड़, सोमवार को देवघर में तो आज मंगलवार को कानपुर के हनुमान मंदिर में भगदड़ की ख़बरें बताती है कि देश और प्रदेश की सरकारें हिन्दू तीर्थस्थलों और तीर्थ यात्रियों को लेकर बेहद लापरवाह हैं। मुस्लिम तीर्थ यात्रियों की हजयात्रा को लेकर बेहद संवेदनशील नजर आनें वाली सरकारें बहुसंख्यक हिन्दुओं के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों करती हैं?
शुक्रवार, 21 सितंबर 2012
सुनो मुलायम कांग्रेस छोंड़ो
सुनो मुलायम कांग्रेस छोंड़ो, जनता की आवाज़।
जनता न देगी फिर तुम्हरा 14 में साथ।
महंगाई खोर यह, खूब भ्रष्टाचार है।
संतो को ठग है कहती।
कसाब से प्यार है।
कहें अवस्थी बना लुटेरा, कांग्रेस का हाथ।
जनता न देगी फिर तुम्हरा 14 में साथ।
जनता न देगी फिर तुम्हरा 14 में साथ।
महंगाई खोर यह, खूब भ्रष्टाचार है।
संतो को ठग है कहती।
कसाब से प्यार है।
कहें अवस्थी बना लुटेरा, कांग्रेस का हाथ।
जनता न देगी फिर तुम्हरा 14 में साथ।
सुनों मुलायम .....
केंद्र सरकार और कांग्रेस को लेकर सारे देश और सभी समुदायों में आक्रोश है। महंगाई और भ्रष्टाचार नें हर देशवासी की कमर तोड़ी है, फिर वह चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, सिक्ख हो या ईसाई। लेकिन समाजवादी पार्टी इस भ्रष्ट और निकम्मी केंद्र सरकार को बचानें में लगी है। यह पार्टी एक तरफ तो fdi और महंगाई मुद्दे पर सड़कों पर उतर कर विरोध करती है, तो दूसरी तरफ आम आदमी का विश्वास खो चुकी कांग्रेस की केंद्र सरकार को बचानें का आश्वासन भी देती है। आम आदमी आज सबसे ज्यादा महंगाई से परेशान है न कि सपा द्वारा साम्प्रदायिक कही जानें वाली भाजपा से। लेकिन सपा नेता कांग्रेस सरकार को समर्थन के पीछे एक ही वजह बारम्बार गिना रहे हैं, और वह है सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर जो रखना है। महंगाई का दानव आम आदमी का जीवन निर्वहन कितना कठिन कर रहा है, शायद इसका जरा भी एहसास इन तथाकथित समाजवादियों को नहीं है।
गुरुवार, 20 सितंबर 2012
आज भारत बंद है
आज भारत बंद है। सभी पार्टियों के जेहन में मिशन 2014 चल रहा है। जनता भी प्रसन्न है कि चलो उसके दुःख दर्द को लेकर कहीं कुछ होता तो दिखा। कांग्रेस बंद के व्यापक असर से सकते में है, तो बीजेपी, सरकार के गिरनें और खुद के सिंहासन चढ़नें की संभावनाओं को लेकर आत्ममुग्ध है। केंद्र सरकार को लेकर सालों से डबल गेम खेल रही सपा और बसपा इस उधेड़बुन में जूझ रही हैं, कि क्या उत्तर प्रदेश की जनता को कुछ दिन और बेवकूफ बनाया जा सकता है या नहीं।
बुधवार, 19 सितंबर 2012
चित्रकूट के घाट पर ......
भगवान राम मेरे आराध्य हैं। अयोध्या जाकर अयोध्या नाथ प्रभु श्री राम के दर्शनों का तो कई बार संयोग बना, लेकिन चित्रकूट के कामदगिरी के नाथ प्रभु श्री राम के कामतानाथ स्वरूप के दर्शनों से मैं वंचित था। शीघ्र ही एक दिन सुबह सोकर उठा तो स्वतः ही मेरे मन में एक सुन्दर विचार जन्मा कि क्यों न आज चित्रकूट चला जाय ? अपनें मन की बात अपनी धर्म पत्नी से कही तो उन्होंने कई जिम्मेदारियों के निर्वहन की वजह से साथ चलनें में असमर्थता व्यक्त की, लेकिन मुझे जानें के लिए अभिप्रेरित किया।
अगली सुबह तीन बजे मैं बांदा होते हुए चित्रकूट पहुँच चुका था। थकावट की वजह से मैं राम घाट पर मन्दाकिनी नदी के किनारे खाली पड़ी एक सीट पर सो गया। जल्द उठकर मन्दाकिनी स्नान किया, और घाट पर बनें अनेंकों मंदिरों में दर्शन किया। मालूम पड़ा कि आज तो पुरुषोत्तम मास की अमावस्या है। हमारे धार्मिक आख्यानों में इस दिन सरयू, गंगा, मन्दाकिनी आदि नदियों में स्नान का बड़ा महत्त्व है। जिस दिन का इन पवित्र नदियों में स्नान हेतु धर्म परायण लोग करीब महीनों पहले से स्मरण कर अपनी यात्रा सुनिश्चित करते हैं, वह संयोग मेरे साथ अनायास ही बन पड़ा, जानकर मन गदगद हो उठा।
चित्रकूट के निकट ही स्थित चार धाम की यात्रा भी बड़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है। ये चार धाम हैं, अनुसुइया, गुप्त गोदावरी, स्फटिक सिला और सीताकुंड। इन धामों की यात्रा में भी बड़ी अलौकिक का अहसास हुआ। लेकिन गुप्त गोदावरी की गुफा और स्फटिक सिला के पत्थरों के स्पर्श की अलौकिकता से मन आह्लादित हो उठा। यह सोंचकर कि लाखों-लाखों वर्ष में इस धरती पर बड़े परिवर्तन हुए हैं, लेकिन ये पाषाण ज्यों के त्यों हैं। हो न हो यहाँ निवास करते वक्त मेरे आराध्य प्रभु श्री राम, मैया सीता और भैया लक्ष्मण नें इन पत्थरों का स्पर्श तो अवश्य किया होगा। और अब उन्हीं पत्थरों को खुद के द्वारा स्पर्श करनें के अहसास नें तन-मन को घंटों रोमांचित कर रखा।
अंत में मैं थका हारा सा कामता नाथ जी के दर्शनों को जा पहुंचा। लेकिन कामतानाथ जी की एक झलक नें मानों मेरी जन्मों की थकान का हरण सा कर लिया। जहाँ तो मुझे खड़े होनें मात्र से पीड़ा हो रही थी, वहीँ मन कामदगिरी की परिक्रमा करनें को मचल पड़ा। कामदगिरी की परिक्रमा के अलौकिक सुख को मेरे जैसे साधारण व्यक्ति द्वारा शब्दों में बयां कर पाना संभव नहीं है, उसे बस गूंगे का गुड समझा जाय। आप सभी राम भक्तों से निवेदन है कि एक बार चित्रकूट यात्रा अवश्य करें।
आपका अपना- सुशील अवस्थी "राजन" मोबाइल - 9454699011
शुक्रवार, 14 सितंबर 2012
कांग्रेस भारत छोंडो
कांग्रेस के नेतृत्व में चल रही यूपीए -2 की केंद्र सरकार नें देश को महंगाई, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था के सिवा कुछ नहीं दिया है। देश का आम आदमी इस नाकारा और नाजायज़ सरकार से किस कदर नाराज़ है शायद इसका अंदाज़ा पार्टी माता सोनिया गाँधी को नहीं है। सरकार की गलत नीतियों नें देश की अर्थव्यवस्था की तो ऐसी=तैसी कर ही दी है, समय =समय पर बेलगाम, बडबोले मंत्रियों और पार्टी नेताओं नें देश के आम आदमी का मजाक उड़ाकर मतदाताओं का भी खूब अनादर किया है।
इस सरकार नें भ्रष्टाचार के नित नए आयाम स्थापित किये हैं। आदर्श, कामनवेल्थ, 2 जी, जैसे बड़े घोटालों के खुल जानें से शर्मिंदा और सकुचाई कांग्रेस नें चलते = चलते कोयले घोटाले से अपना मुंह काला कर लिया है। अब यही काला मुंह लेकर यह देश वासियों से फिर से दिल्ली की गद्दी मांगनें जाएगी।
भ्रष्टाचार में निमग्न इन कांग्रेसियों पर जिसनें भी ऊँगली उठाई, इन हराम जादों नें उन लोगो पर हर तरह की जुल्म ज्यादती भी की। मतलब चोरी और सीनाजोरी का जो अभद्र सिद्धांत इस हरामजादी केंद्र सरकार नें प्रतिपादित किया है, उसकी दूसरी कोई मिसाल मिल पाना असंभव है। मैं सोनिया गाँधी के निर्वाचन क्षेत्र का बाशिंदा हूँ, और कांग्रेस से मेरा पैत्रक लगाव रहा है, मैनें तय किया है, कि मैं लोकसभा के आगामी चुनावों में राष्ट्रद्रोही हो चुकी कांग्रेस पार्टी को बिलकुल वोट नहीं दूंगा, बल्कि इस गद्दार पार्टी का विरोध करूँगा। आप बताएं क्या मैं गलत हूँ? अंग्रेजों भारत छोंडों के ऐतिहासिक नारे की तर्ज़ पर हर भारत वासी को अब राष्ट्र हित में एक नारे को अपनें ज़ेहन में रखनें की जरुरत है, और वह है कांग्रेस भारत छोंडो।
बुधवार, 12 सितंबर 2012
आजम खां साहब जरा मंत्रियों को संभालिए: मुलायम
कोलकाता 12 सितम्बर । (सुशील अवस्थी "राजन") सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश सरकार के कुछ मंत्रियों के कामकाज के तरीके पर फिर से नाखुशी जाहिर की है। उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश के छह महीने की सरकार की तारीफ की और कहा कि यूपी में सपा सरकार के फैसलों से पार्टी को लोकसभा चुनाव में निश्चित तौर पर फायदा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि अखिलेश सरकार में कुछ मंत्रियों का रवैया ठीक नहीं है, उन्हें सुधरना पड़ेगा। इसके बाद मुलायम मंच पर बैठे नगर विकास व संसदीय कार्य मंत्री आजम खां से मुखातिब हुए और बोले, आजम साहब आप इसे देखिए। बाद में, जब आजम खां के बोलने का मौका आया, तो उन्होंने नेताजी की चिंता को वाजिब करार देते हुए दूसरे मंत्रियों पर इस अनुशासनहीनता का ठीकरा फोड़ा और सुधार की उम्मीद जताई। समाजवादी पार्टी की बुधवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुलायम सिंह यादव जब मंत्रियों के कामकाज पर टिप्पणी करके आजम से मुखातिब हुए, तो एकबारगी सबकी नजरें उधर ही मुड़ गईं। अखिलेश सरकार के छह महीने के कार्यकाल में यह चौथा मौका है, जब सपा सुप्रीमो मंत्रियों के काम से नाखुश दिखे। दो बार लखनऊ में बंद कमरे में उन्होंने मंत्रियों को अनुशासन में रहने की नसीहत दी, तो दूसरी बार पत्रकारों से बातचीत में सार्वजनिक तौर पर मंत्रियों को सुधर जाने की हिदायत दी। बुधवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी बंद हॉल में उन्होंने मंत्रियों के पेंच कसे। अनुशासन कायम रखने की जिम्मेदारी के बाद जब आजम बोलने लगे, तो उन्होंने कहा, 'नेताजी ने जो कहा, वह बेहद गंभीर है। हम निश्चित तौर पर इसमें सुधार करेंगे।' आजम को जिम्मेदारी के मायने मंत्रियों को संभालने की जिम्मेदारी आजम खां को सौंपे जाने को लेकर पार्टी नेताओं में कई तरह की चर्चाएं रहीं। आजम भी उन मंत्रियों में शामिल है, जो गाहे-बगाहे सरकार के लिए मुश्किल खड़ी करते रहे हैं। एक नेता की टिप्पणी थी, मुलायम सियासत के माहिर खिलाड़ी हैं। उन्होंने आजम को जिम्मेदारी देकर सियासी चाल चली है। राहुल और पीएम पर बोला हमला समाजवादी पार्टी ने पहले कांग्रेस, फिर केंद्र में सत्तारूढ़ यूपीए सरकार, प्रधानमंत्री और फिर सीधे कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी पर हमला बोल दिया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पेश राजनीतिक-आर्थिक प्रस्ताव में साफ कहा गया कि गंभीर से गंभीर मसलों पर भी राहुल के विचार सुनने को नहीं मिले तो ये कैसे माना जाए कि देश उनके हाथ में सुरक्षित है। प्रस्ताव में मनमोहन सिंह को आर्थिक मोर्चे पर नाकाम बताया और कहा गया है कि जब भी पीएम कुछ कहते हैं महंगाई और बढ़ जाती है। अखिलेश की अगुवाई में चुनाव कुछ मंत्रियों से नाराजगी को छोड़ दें, तो राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मुलायम सिंह अखिलेश सरकार के कामकाज से गदगद नजर आए। इसका असर कार्यकारिणी के राजनीतिक प्रस्ताव में भी दिखा, जिसमें पार्टी ने मुख्यमंत्री अखिलेश की अगुआई में यूपी में लोकसभा का चुनाव अपने बल पर लड़ने का ऐलान किया। सपा ने उम्मीद जाहिर की है कि अखिलेश सरकार के अच्छे प्रदर्शन का लाभ अगले लोकसभा चुनावों में मिलना तय है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले यूपी के चुनाव मुलायम सिंह की अगुआई में लड़े जाते रहे हैं लेकिन इस बार अखिलेश की रहनुमाई में यूपी की सियासी जंग लड़ी जाएगी। कहा गया कि पिछले विधानसभा चुनावों में प्रदेश के 80 में से 50 लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा है और अब अखिलेश सरकार की कामयाबी से हम इससे अच्छे नतीजों की उम्मीद कर रहे हैं। |
रविवार, 9 सितंबर 2012
राहुल को जल्द दी जाए बड़ी जिम्मेदारी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार और कांग्रेस दोनों को सलाह दी है कि वह राहुल गांधी को जल्द ही कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपे। उन्होंने कहा है कि देश राहुल की तरफ बड़ी उम्मीदों से देख रहा है, उन्हें मौका मिलना चाहिए। इसमें देर करना उचित नहीं है। हालांकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित काग्रेस के कई बड़े नेता भी इस तरह की बात कह चुके हैं।
अखिलेश यादव ने राहुल गांधी को बड़ी जिम्मेदारी देने के सुझाव को अच्छा बताते हुए कहा कि काग्रेस को इस मामले को लटकाना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल को बड़ी जिम्मेदारी के साथ-साथ उन्हें देश की कमान संभालने का भी मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज देश का युवा राहुल की तरफ बड़ी उम्मीदों से देख रहा है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा इस मुद्दे पर अंतिम फैसला कांग्रेस को ही करना है। इस दौरान उन्होंने आगामी आम चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी और अन्य पार्टियों से भी तैयार रहने की बात कही है।
शनिवार, 8 सितंबर 2012
संपन्न देश की विपन्नता
धन सम्पदा के मामले में भारत सदैव एक संपन्न राष्ट्र रहा है। यह हमारी सम्पन्नता की ही निशानी थी कि सारी दुनिया हमें "सोने की चिड़िया" कहकर संबोधित करती रही है। आज भी हमारी भारत माता का गर्भ अनेकानेक कीमती खनिज रत्नों से परिपूर्ण है। करीब-करीब साल भर जल से आप्लावित नदियाँ, जहाँ जल ऊर्जा का अतुलनीय श्रोत हैं, तो अपनी पूर्ण ऊर्जा और ऊष्मा से निरंतर दैदीप्यमान भगवान् सूर्यदेव अनंत सौर ऊर्जा का अभिन्न केंद्र हैं। हौले-हौले बहती मंद-सुगन्धित वायु हमें अक्षय पवन ऊर्जा का विकल्प उपलब्ध कराती है। सुरक्षा की द्रष्टि से जहाँ उत्तर में पर्वत राज हिमालय भारत पर कुद्रष्टि रखने वाले हमारे दुश्मनों की राह की सबसे बड़ी बाधा बनें हुए हैं, वहीँ तीन तरफ से बेशुमार जल राशि समेटे सागर देव भी दुश्मनों के अरमानों पर पानी फेरनें के लिए सदैव तैयार रहते हैं।
सोनें की चिड़िया कहलानें वाले देश के लोगों की विपन्नता, ऊर्जा की अनंत संभावनाओं को समेटे देश के लोगों का अन्धकार के आगोश में जीवन यापन करना, प्राकृतिक रूप से पहाड़ों और सागरों से सुरक्षित बनाये गए भूभाग के लोगों पर निरंतर हो रहे आतंकी हमले, हमें सोचनें के लिए विवश करते हैं कि ऐसा क्यों?
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