शनिवार, 8 सितंबर 2012

संपन्न देश की विपन्नता

   धन सम्पदा के मामले में भारत सदैव एक संपन्न राष्ट्र रहा है। यह हमारी सम्पन्नता की ही निशानी थी कि सारी दुनिया हमें "सोने की चिड़िया" कहकर संबोधित करती रही है। आज भी हमारी भारत माता का गर्भ अनेकानेक कीमती खनिज रत्नों से परिपूर्ण है। करीब-करीब साल भर जल से आप्लावित नदियाँ, जहाँ जल ऊर्जा का अतुलनीय श्रोत हैं, तो अपनी पूर्ण ऊर्जा और ऊष्मा से निरंतर दैदीप्यमान भगवान् सूर्यदेव अनंत सौर ऊर्जा का अभिन्न केंद्र हैं। हौले-हौले बहती मंद-सुगन्धित वायु हमें अक्षय पवन ऊर्जा का विकल्प उपलब्ध कराती है। सुरक्षा की द्रष्टि से जहाँ उत्तर में पर्वत राज हिमालय भारत पर कुद्रष्टि रखने वाले हमारे दुश्मनों की राह की सबसे बड़ी बाधा बनें हुए हैं, वहीँ तीन तरफ से बेशुमार जल राशि समेटे सागर देव भी दुश्मनों के अरमानों पर पानी फेरनें के लिए सदैव तैयार रहते हैं।
   सोनें की चिड़िया कहलानें वाले देश के लोगों की विपन्नता, ऊर्जा की अनंत संभावनाओं को समेटे देश के लोगों का अन्धकार के आगोश में जीवन यापन करना, प्राकृतिक रूप से पहाड़ों और सागरों से सुरक्षित बनाये गए भूभाग के लोगों पर निरंतर हो रहे आतंकी हमले, हमें सोचनें के लिए विवश करते हैं कि ऐसा क्यों? 

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