बुधवार, 19 सितंबर 2012

चित्रकूट के घाट पर ......

    भगवान राम मेरे आराध्य हैं। अयोध्या जाकर अयोध्या नाथ प्रभु श्री राम के दर्शनों का तो कई बार संयोग बना, लेकिन चित्रकूट के कामदगिरी के नाथ प्रभु श्री राम के कामतानाथ स्वरूप के दर्शनों से मैं वंचित था। शीघ्र ही एक दिन सुबह सोकर उठा तो स्वतः ही मेरे मन में एक सुन्दर विचार जन्मा कि क्यों न आज चित्रकूट चला जाय ? अपनें मन की बात अपनी धर्म पत्नी से कही तो उन्होंने कई जिम्मेदारियों के निर्वहन की वजह से साथ चलनें में असमर्थता व्यक्त की, लेकिन मुझे जानें के लिए अभिप्रेरित किया। 
    अगली सुबह तीन बजे मैं बांदा होते हुए चित्रकूट पहुँच चुका था। थकावट की वजह से मैं राम घाट पर मन्दाकिनी नदी के किनारे खाली पड़ी एक सीट पर सो गया। जल्द उठकर मन्दाकिनी स्नान किया, और घाट पर बनें अनेंकों मंदिरों में दर्शन किया। मालूम पड़ा कि आज तो पुरुषोत्तम मास की अमावस्या है। हमारे धार्मिक आख्यानों में इस दिन सरयू, गंगा, मन्दाकिनी आदि नदियों में स्नान का बड़ा महत्त्व है। जिस दिन का इन पवित्र नदियों में स्नान हेतु धर्म परायण लोग करीब महीनों पहले से स्मरण कर अपनी यात्रा सुनिश्चित करते हैं, वह संयोग मेरे साथ अनायास ही बन पड़ा, जानकर मन गदगद हो उठा। 
      चित्रकूट के निकट ही स्थित चार धाम की यात्रा भी बड़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है। ये चार धाम हैं, अनुसुइया, गुप्त गोदावरी, स्फटिक सिला और सीताकुंड। इन धामों की यात्रा में भी बड़ी अलौकिक का अहसास हुआ। लेकिन गुप्त गोदावरी की गुफा और स्फटिक सिला के पत्थरों के स्पर्श की अलौकिकता से मन आह्लादित हो उठा। यह सोंचकर कि लाखों-लाखों वर्ष में इस धरती पर बड़े परिवर्तन हुए हैं, लेकिन ये पाषाण ज्यों के त्यों हैं। हो न हो यहाँ निवास करते वक्त मेरे आराध्य प्रभु श्री राम, मैया सीता और भैया लक्ष्मण नें इन पत्थरों का स्पर्श तो अवश्य किया होगा। और अब उन्हीं पत्थरों को खुद के द्वारा स्पर्श करनें के अहसास नें तन-मन को घंटों रोमांचित कर रखा। 
      अंत में मैं थका हारा सा कामता नाथ जी के दर्शनों को जा पहुंचा। लेकिन कामतानाथ जी की एक झलक नें मानों मेरी जन्मों की थकान का हरण सा कर लिया। जहाँ तो मुझे खड़े होनें मात्र से पीड़ा हो रही थी, वहीँ मन कामदगिरी की परिक्रमा करनें को मचल पड़ा। कामदगिरी की परिक्रमा के अलौकिक सुख को मेरे जैसे साधारण व्यक्ति द्वारा शब्दों में बयां कर पाना संभव नहीं है, उसे बस गूंगे का गुड समझा जाय। आप सभी राम भक्तों से निवेदन है कि एक बार चित्रकूट यात्रा अवश्य करें। 
आपका अपना- सुशील अवस्थी "राजन" मोबाइल - 9454699011

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