उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे युवाओं पर बहुत दबाव होता है। इसी दबाव का सामना कर पानें में अक्षम तमाम युवा आये दिन आत्म हत्याएं कर रहे हैं। ये हम कैसी शिक्षा प्रणाली अंगीकार करते जा रहे हैं, जहाँ सफलता न हासिल कर पानें के सामनें जीवन असफल हो जाता है। असफलता के बाद भी सफल जीवन जिया जा सकता है। यदि ऐसी ही शिक्षा प्रणाली से हमारे आराध्य भगवान् राम भी शिक्षित हुए होते तो सोंचिये कि क्या राज्यारोहन से असफल हुए राम आत्महत्या न किये होते? लेकिन असफलता के बाद भी उन्होंने सफलता की जो कहानी गढ़ी उसके पीछे तत्कालीन शिक्षा प्रणाली का ही कमाल था। क्या आज हम उस तरह शिक्षा प्रणाली को नहीं अपना सकते?
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