बुधवार, 28 नवंबर 2012

आध्यात्म की जन्म भूमि भारत

भारत आध्यात्म की जन्म भूमि है। पाश्चात्य चमक-दमक से ऊब चुके लोग सदा ही यहाँ ज्ञान- वैराग्य और भक्ति की त्रिवेणी में डुबकी लगानें को आतुर रहे हैं। राम- कृष्ण - गौतम और नानक देव की लीला भूमि रही इस भारत भूमि का कण-कण उनके अनुयाइयों के लिए दिव्य है। जो सम्पूर्ण विश्व में फैले हुए हैं। हमारे महाकुम्भ में एक समय एक जगह लोगों की  महा जुटान का मर्म सारी दुनिया समझना चाहती है। हम ऐसे महान देश के नागरिक हैं, हम लोगों के दिलो - दिमाग से इसका एहसास ख़त्म सा होता जा रहा है, जो सर्वथा चिंतनीय है। एक ओर हमारी राष्ट्रीयता की पहचान गंगा आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है, तो दूसरी ओर हमारे तीर्थ स्थल अव्यवस्था और गंदगी के पर्याय बनते जा रहे हैं। जिसके जिम्मेदार हम सभी हैं। क्योंकि हमारी उदासीनता को हमारी सरकारें पहचानती हैं। आइये दुनिया की आध्यात्मिक जन्म भूमि को हम सभी सजा संवार कर रखनें का संकल्प व्यक्त करें, ताकि दुनिया हमें सम्मान भाव से देखे।
आपका अपना - सुशील अवस्थी "राजन" मो0- 09454699011

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