जो कण-कण में
जो प्रतिक्षण में,
छिति,जल,पावक
वायु, गगन में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
दशरथ के जो आयन में,
वाल्मीकि रामायण में,
तुलसी के जो मानस में,
भक्तों के जनमानस में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
"राजन" कैकय दुर्बुद्धी में,
निषादराज मनशुद्धी में,
भरत खड़ाऊ गद्दी में,
और केवट की सदबुद्धी में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
सीता के जो पतिव्रत में,
अनुसुइया के भी सत में,
लछिमन के सेवारत में,
जो भारत के जनमत में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
जो गीध जटायू सद्गति में,
शबरी आतिथ्य की सदमति में,
जो हनुमत की सेवागति में,
गाँधी बाबा की सन्मति में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
सुशील अवस्थी "राजन" मोबाइल- 09454699011
हमें प्राण से प्यारे हैं।
दशरथ के जो आयन में,
वाल्मीकि रामायण में,
तुलसी के जो मानस में,
भक्तों के जनमानस में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
"राजन" कैकय दुर्बुद्धी में,
निषादराज मनशुद्धी में,
भरत खड़ाऊ गद्दी में,
और केवट की सदबुद्धी में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
सीता के जो पतिव्रत में,
अनुसुइया के भी सत में,
लछिमन के सेवारत में,
जो भारत के जनमत में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
जो गीध जटायू सद्गति में,
शबरी आतिथ्य की सदमति में,
जो हनुमत की सेवागति में,
गाँधी बाबा की सन्मति में,
वो राम हमारे हैं,
हमें प्राण से प्यारे हैं।
सुशील अवस्थी "राजन" मोबाइल- 09454699011
बहुत सुन्दर रचना राजन जी....
जवाब देंहटाएंवो राम हमारे है..