गुरुवार, 23 अगस्त 2012

प्रेम भूषण जी द्वारा रामकथा

    लखनऊ, 24 अगस्त, आज रामकथा में काफी भीड़ उमड़ी थी। पूरा बलराम पुर गार्डेन रामभक्तों की भीड़ से अटा पड़ा था। महराज श्री प्रेम भूषण जी नें अपनी ओज पूर्ण वाणी से चित्रकूट में हुए राम-भरत मिलाप का मानों  सजीव चित्रण सा कर दिया। रामायण को सिर्फ पढ़नें की नहीं बल्कि अपनानें की जरुरत है। किसी परिवार में यदि भाइयों में भरत,राम,लक्ष्मण,शत्रुघ्न जैसा आपस में प्यार हो, तो समझो उस परिवार नें रामायण को अंगीकार कर लिया है। बजाय उनके जो दिन भर रामायण तो पढ़ें, मगर भाई-भाई में आपस में कटुता और वैमनस्यता भरी हो। कल महराज श्री शबरी प्रसंग अरण्यकाण्ड में प्रवेश करेंगे। पंडाल में बैठकर अपनें मोबाइल कैमरे से कुछ दृश्य मैनें उतारे हैं, कृपया दृष्टि प्रदान करें। 




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