अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन के "राजनैतिक विकल्प" परिवर्तन नें आजकल मेरे मन मष्तिष्क व्यग्र कर रखा है। मन पूंछ रहा है की क्या अन्ना और उनकी टीम नें ऐसा कर उचित किया या अनुचित ? यदि अन्ना आन्दोलन राजनैतिक दल बना तो क्या भारतीय जनता वोट से भी उनकी मदद करेगी ? क्या अन्ना पार्टी भारतीय राजनीती के अखाड़े में धनबल, बाहुबल, जातिबल, धर्मबल, अपराधबल के दम पर टिकी हमारी राजनैतिक पार्टियों का सामना कर सकेगी?
किसी भी आन्दोलन का राजनैतिक हो जाना कोई गैर क़ानूनी कार्य तो नहीं ? अगला सवाल राजनैतिक सफलता या असफलता की अटकलों पर आधारित है, हो सकता है की अन्ना का राजनैतिक विकल्प का प्रयास असफल ही साबित हो जाये, तो क्या इसी भय से कोई सकारात्मक कार्य करनें से बचा जाय । यूँ तो दीपक पर सदा रात भारी रही, पर उजाले के लिए जंग जारी रही" तर्ज़ पर क्या हमें अन्ना और उनकी टीम का समर्थन नहीं करना चाहिए ?
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