उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने अन्ना हजारे जी को बहुत ही नेक सलाह दी है कि श्री अन्ना हजारे जी को २०१४ के लोकसभा चुनाव में भाग लेना चाहिए और फिर अपना लोकपाल बिल संसद में खुद ही पास कर लेना चाहिए| मेरा भी अपना निजी तौर पर मानना है कि अन्ना को ऐसा करना चाहिए| आखिर कब तक अन्ना और उनकी टीम भ्रष्ट नेताओं की परिक्रमा करती रहेगी? लेकिन मै माया जी की एक बात से सहमत नहीं हूँ कि अन्ना और उनकी टीम सिर्फ २०१४ का लोकसभा चुनाव ही लड़े| २०१२ का यूपी विधान सभा चुनाव क्यों नहीं? प्रदेशों में भी तो सशक्त लोकायुक्त की जरुरत है| ये काम भ्रष्ट राज्य सरकारें कहाँ करनें वाली हैं? जो पार्टियाँ अपराधियों को सर आँखों पर बैठाये हैं, और टिकटों की नीलामी करती हैं, क्या वे भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई मुहिम चला पाएंगी?
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