सोमवार, 8 अगस्त 2011

"नजदीक आना होगा भारत-अमेरिका को"

     लग रहा है अब अमेरिका की धमक और ठसक का असर ख़त्म होनें के दिन नजदीक हैं| स्टैण्डर्ड एंड पुअर्स रेटिंग एजेंसी की हालिया रिपोर्ट तो यही कहती है| दुनिया के दरोगा की लगातार कमजोर होती वित्तीय स्थिति   उसे हर मोर्चे पर फ़ैल ही करेगी| फांके के दिनों में भी रक्षा मद में की गयी अनाप-शनाप शाह खर्ची, और पाकिस्तान जैसे फ़कीर टाइप देशों पर खरबों डालर की न्योछावर बाजी अब अमेरिका को महँगी पड़ रही है|
    कोई कुछ भी कहे आने वाले समय का दुनिया का नया दरोगा   चीन ही होगा| हमारा दुर्भाग्य यह है कि दुनिया का नया दरोगा चीन हमें कतई नहीं पसंद करेगा| हमें उसकी दरिया दिली की कुछ ज्यादा जरुरत भी नहीं है| फ़िलहाल हमारे दुश्मन मुल्क पाकिस्तान की उसके साथ गलबहियां स्पस्ट करती हैं कि वह हमारा कितना बड़ा शुभचिंतक हो सकता है| फिर भी हमें और दुनिया को यह समझना चाहिए कि अमेरिका को गिरते -गिरते काफी दिन लगेंगे| इन दिनों में यदि अमेरिका दुनिया में दुश्मन-दोस्त  की पहचान कर सका तो वह संभाल भी सकता है|
      दुनिया की तेज़ी से बढती अर्थव्यवस्था भारत, अमेरिका को इस वक्त सहारा दे सकता है| अमेरिका इस उम्मीद पर काम भी कर रहा है| लेकिन ऐसा करनें में उसनें देर भी कुछ कम नहीं की है| अभी तक हमारे दुश्मन पाकिस्तान जैसे खटमल देश को अपना खून पिला-पिला कर जीवित रखनें वाले अमेरिका की सोंच बदल रही है| अमेरिका की खस्ता हालत का अहसास होते ही यह खटमल आजकल चीन की चारपाई में घुस बैठा है|

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