यह है मेरी 3 साल की बेटी रिशिका, आजकल यह अपनी मम्मी की नक़ल कर साडी पहनती है, और मेरी माँ बननें की एक्टिंग करती है। मुझको सुशील बउवा कहती है। इसका मेरे प्रति लाड दुलार देख कर कभी कभी मुझे लगता है कि कहीं यह सचमुच में मेरी स्वर्गवासी माता जी तो नहीं हैं, जो इस जन्म में मेरी लाडली बेटी बनकर आ पधारी हों। आप लोगों का इस विषय में क्या अभिमत है?
रविवार, 29 जुलाई 2012
बुधवार, 25 जुलाई 2012
सरकार की मुश्किल बढ़ा रही खाकी
लखनऊ : सत्ता में आने के बाद अखिलेश सरकार ने सबसे पहले दरोगा और
सिपाहियों को मनचाही तैनाती दी, ताकि वे मन से काम कर सकें। सूबे की शांति
और उन्नति के लिए यह एक बेहतर प्रयोग था, लेकिन कड़वा सच यह है कि अब खाकी
ही सरकार की मुश्किल बढ़ा रही है। बार-बार की चेतावनी और कार्रवाई के
बावजूद इनकी हरकतों पर कोई लगाम नहीं हैं। इन पर अंकुश लगाने की कोई भी
कवायद कारगर नहीं हो पा रही है।
इसी माह राजधानी के माल थाने में दरोगा कामता प्रसाद ने एक महिला से
दुराचार की कोशिश की तो महकमे में भूचाल आ गया। दरोगा के खिलाफ मुकदमा दर्ज
कर उसे जेल भेजा गया। तब प्रमुख सचिव गृह आरएम श्रीवास्तव और डीजीपी एसी
शर्मा ने पुलिस कर्मियों को आचरण और व्यवहार ठीक रखने की नसीहत दी, लेकिन
यह नसीहत कारगर नहीं हो पायी। माल थाने की घटना के बाद ही मुरादाबाद में एक
थानेदार द्वारा थाने में ही महिला रंगरूट की अस्मत लूटने की कोशिश की गयी।
फिर थानेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई। लगा कि पुलिसकर्मी सबक लेंगे और
ऐसी हरकतें दुबारा नहीं होंगी। पर वहशी वर्दी वालों पर कोई असर नहीं पड़ा।
एक पर एक इतनी घटनाएं हुई कि खाकी शर्मसार हो गयी। अफसरों की आवाज हलक में
ही फंस गयी। उन्हें अब कोई जवाब नहीं सूझ रहा है। डीजीपी एसी शर्मा
कार्रवाई की चेतावनी दे रहे हैं और सरकार ऐसे पुलिसकर्मियों को बर्खास्त
करने का मन बना रही है।
ताजा मामला कुशीनगर जिले में देखने को मिला जहां थानेदार ने एक महिला
को चौकीदार बनाने की लालच देकर दुष्कर्म किया। अब पुलिस उसके साथ इस घटना
में साझीदार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी का
प्रयास कर रही है। इन घटनाओं से जहां आम आदमी का पुलिस से भरोसा उठ रहा है,
वहीं सत्ताधारी दल को कोई जवाब नहीं सूझ रहा है। सपा के प्रदेश प्रवक्ता
राजेन्द्र चौधरी इस हालात को पिछली सरकार की देन बताते हैं और कहते हैं कि
"यह तो हमें बसपा सरकार ने विरासत में दिया है" लेकिन अब ऐसे लोगों के खिलाफ
कड़ी कार्रवाई हो रही है। पर सबसे अहम बात यह कि इन कार्रवाइयों के बावजूद
आए दिन किसी न किसी महिला की आबरू पर वर्दी वाले ही डाका डाल रहे हैं। बसपा
के प्रदेश प्रवक्ता स्वामी प्रसाद मौर्य कहते हैं कि "छह महीने में ही
गुंडाराज की असली सूरत सामने आ गयी है और प्रदेश की जनता त्राहि त्राहि
करने लगी है"
मंगलवार, 24 जुलाई 2012
केशुभाई ने मोदी को कहा 'राक्षस'
सूरत। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई
पटेल ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी है। मोदी को सड़ा फल बताने
वाले पटेल ने अब उनको राक्षस करार दिया है। पटेल ने कहा कि आम आदमी की
दिक्कत के लिए मोदी ही जिम्मेदार है। सूरत में एक रैली में पटेल ने कहा कि
पुरानी कहानियों में बताया गया है कि राक्षस की सासे पक्षी में अटकी होती
है।
राक्षस के खिलाफ जंग जीतने के लिए हीरो को पक्षी को मारना होता था। इसी
तरह मोदी की जिंदगी हमारे वोट में हैं। उन्हें वोट मत दो वह अपने आप खत्म
हो जाएंगे। केशुभाई ने कहा कि कुछ लोगों ने उन्हें सलाह दी कि इस उम्र में
उन्हें चुप बैठना चाहिए, क्योंकि राजनीतिक करियर में उन्होंने सब कुछ पा
लिया है लेकिन मैंने लोगों को मुश्किल में देखा है। ऐसे हालात में मैं घर
में चुपचाप नहीं बैठे रह सकता।
2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने मोदी को राजधर्म का पालन करने को कहा
था। राज्य के हालात और लोगों की मुश्किलों को देखते हुए मैंने यह निष्कर्ष
निकाला कि मुझे प्रजा धर्म निभाना चाहिए। केशुभाई को हटाकर मोदी को गुजरात
का मुख्यमंत्री बनाया गया था। तब से वे मोदी से नाराज चल रहे हैं। दिसंबर
में विधानसभा चुनाव से पहले केशभाई नई पार्टी बना लेंगे। उनकी पार्टी को
मोदी विरोधी सुरेश मेहता,गोरधन झाड़पिया,काशीराम राणा और फकीर वाघेला का
समर्थन मिलेगा।
बुधवार, 18 जुलाई 2012
नहीं रहे राजेश खन्ना
मुंबई: सुपरस्टार राजेश खन्ना का लंबी बीमारी के बाद मुंबई स्थित
उनके आवास पर निधन हो गया है। उनके निधन की खबर आते ही उनके घर के बाहर
फैन्स का जमावड़ा लगना शुरू हो गया, जिसकी वजह से उनके बंगले की सुरक्षा
बढ़ा दी गई है। उनका अंतिम संस्कार कल किया जाएगा।
70 के दशक के सुपरस्टार पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे और दो दिन पहले ही वह अस्पताल में रहकर घर लौटे थे। उन्हें कमजोरी के कारण अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उनसे अलग रह रही उनकी पत्नी डिंपल कपाड़िया सहित पूरा परिवार उनके साथ था। इससे पहले 20 जून को खबर आई थी कि खन्ना ने भोजन करना बंद कर दिया जिसके बाद उनकी हालत खराब होती चली गई।
स्कूली जीवन से ही स्टेज और अभिनय के शौकीन रहे राजेश खन्ना का जन्म अविभाजित भारत में पंजाब राज्य के अमृतसर में वर्ष 1942 की 29 दिसंबर को हुआ था, और उनका असली नाम जतिन खन्ना था। उन्होंने वर्ष 1966 में 'आखिरी खत' नामक फिल्म से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की थी, और इसके बाद 'राज', 'बहारों के सपने', 'औरत के रूप' जैसी कई फिल्में उन्होंने कीं, लेकिन उन्हें असली कामयाबी वर्ष 1969 में आई 'आराधना' से मिली, जिसके बाद वह सचमुच सुपरस्टार हो गए, और एक के बाद एक 14 सुपरहिट फिल्में दीं।
वर्ष 1971 में भी राजेश ने 'कटी पतंग', 'आनन्द', 'आन मिलो सजना', 'महबूब की मेहंदी', 'हाथी मेरे साथी', 'अंदाज' आदि फिल्मों से कामयाबी का परचम लहराए रखा, और इसके बाद के वक्त में भी उनकी 'दो रास्ते', 'दुश्मन', 'बावर्ची', 'मेरे जीवनसाथी', 'जोरू का गुलाम', 'अनुराग', 'दाग', 'नमकहराम', और 'हमशक्ल' फिल्में बेहद कामयाब रहीं। इसी दौर में राजेश को तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला, जबकि वह कुल 14 बार इस श्रेणी में नामांकन पाने में कामयाब रहे थे। उन्हें पहली बार वर्ष 1971 में उन्हें फिल्म 'सच्चा झूठा' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। दूसरी बार वर्ष 1972 में आनन्द के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना गया, जबकि तीसरी बार वर्ष 1975 में फिल्म आविष्कार के लिए वह पुरस्कृत हुए।
वर्ष 1980 के बाद राजेश खन्ना का दौर खत्म होने लगा, और आखिरकार वह भी अपने कई समकालीन साथियों की तरह राजनीति में उतर आए और वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट से कांग्रेस की टिकट पर सांसद चुने गए। वर्ष 1994 में उन्होंने एक बार फिर फिल्म 'खुदाई' से पर्दे पर वापसी की कोशिश की, और 'आ अब लौट चलें', 'क्या दिल ने कहा', 'जाना', और 'वफा' जैसी फिल्मों में अभिनय किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
70 के दशक के सुपरस्टार पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे और दो दिन पहले ही वह अस्पताल में रहकर घर लौटे थे। उन्हें कमजोरी के कारण अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उनसे अलग रह रही उनकी पत्नी डिंपल कपाड़िया सहित पूरा परिवार उनके साथ था। इससे पहले 20 जून को खबर आई थी कि खन्ना ने भोजन करना बंद कर दिया जिसके बाद उनकी हालत खराब होती चली गई।
स्कूली जीवन से ही स्टेज और अभिनय के शौकीन रहे राजेश खन्ना का जन्म अविभाजित भारत में पंजाब राज्य के अमृतसर में वर्ष 1942 की 29 दिसंबर को हुआ था, और उनका असली नाम जतिन खन्ना था। उन्होंने वर्ष 1966 में 'आखिरी खत' नामक फिल्म से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की थी, और इसके बाद 'राज', 'बहारों के सपने', 'औरत के रूप' जैसी कई फिल्में उन्होंने कीं, लेकिन उन्हें असली कामयाबी वर्ष 1969 में आई 'आराधना' से मिली, जिसके बाद वह सचमुच सुपरस्टार हो गए, और एक के बाद एक 14 सुपरहिट फिल्में दीं।
वर्ष 1971 में भी राजेश ने 'कटी पतंग', 'आनन्द', 'आन मिलो सजना', 'महबूब की मेहंदी', 'हाथी मेरे साथी', 'अंदाज' आदि फिल्मों से कामयाबी का परचम लहराए रखा, और इसके बाद के वक्त में भी उनकी 'दो रास्ते', 'दुश्मन', 'बावर्ची', 'मेरे जीवनसाथी', 'जोरू का गुलाम', 'अनुराग', 'दाग', 'नमकहराम', और 'हमशक्ल' फिल्में बेहद कामयाब रहीं। इसी दौर में राजेश को तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला, जबकि वह कुल 14 बार इस श्रेणी में नामांकन पाने में कामयाब रहे थे। उन्हें पहली बार वर्ष 1971 में उन्हें फिल्म 'सच्चा झूठा' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। दूसरी बार वर्ष 1972 में आनन्द के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना गया, जबकि तीसरी बार वर्ष 1975 में फिल्म आविष्कार के लिए वह पुरस्कृत हुए।
वर्ष 1980 के बाद राजेश खन्ना का दौर खत्म होने लगा, और आखिरकार वह भी अपने कई समकालीन साथियों की तरह राजनीति में उतर आए और वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट से कांग्रेस की टिकट पर सांसद चुने गए। वर्ष 1994 में उन्होंने एक बार फिर फिल्म 'खुदाई' से पर्दे पर वापसी की कोशिश की, और 'आ अब लौट चलें', 'क्या दिल ने कहा', 'जाना', और 'वफा' जैसी फिल्मों में अभिनय किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
मंगलवार, 17 जुलाई 2012
जिस्म-2 : सेंसर बोर्ड ने 'ए' देने से भी किया इंकार
मुंबई, जागरण डॉट कॉम। रिलीज से पहले जिस्म-2 चर्चा में बनी हुई
है। चर्चा का केंद्र है पोर्न स्टार सनी लिओन। भारतीय मूल की अमेरिकी पोर्न
स्टार लिओन पूजा भंट्ट की इस फिल्म में दिखाई देंगी। लेकिन दिखाई तो तब
देंगी, जब फिल्म रिलीज होगी। जी हां, सेंसर बोर्ड से दुश्मनी लेकर पूजा ने
ठीक नहीं किया। हुआ यूं था कि सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म के प्रमोशन के लिए
सन्नी लिओन पर फिल्माए गए गाने और दृश्यों को नेशनल टेलीविजन पर दिखाने की
अनुमति नहीं दी थी। उसका कहना था कि ये पूरी तरह एडल्ट और अश्लील हैं। पूजा
ने इस पर यू-टर्न मारते हुए फिल्म के ये हॉट सीन यू-ट्यूब पर रिलीज कर दिए
थे। अब जब फिल्म के बड़ी स्क्रीन पर रिलीज होने की बारी आई तो सेंसर बोर्ड
ने इसे ए सर्टिफिकेट देने से भी इंकार कर दिया है। पूजा के लिए मुश्किल
बहुत बढ़ गई है। कहा जा रहा है कि अब भंट्ट कैंप सेंसर के इस फैसले को
चुनौती देगा। फिल्म पूजा और डिनो मोरिया ने मिलकर बनाई है। अब दोनों सेंसर
की रिवाइजिंग कमेटी में जाएंगे।
बता दें कि महेश भंट्ट द्वारा लिखित और पूजा भंट्ट द्वारा निर्देशित इस
फिल्म में सनी लिओन ने पोर्न स्टार की ही भूमिका निभाई है। जाहिर है जब
फिल्म के केंद्र में ही पोर्न स्टार है तो फिल्म कैसी होगी। इसमें सनी लिओन
के एक से बढ़कर एक बोल्ड सीन हैं। सनी पूरी फिल्म में ब्रा-पैंटी, बिकनी
में ही दिखाई दी हैं। फिल्म में रणदीप हुडा के साथ उनका एक गाना है, जो
गर्मागर्म दृश्यों से भरपूर है। इसके अलावा एक बेहद बोल्ड मसाज सीन भी है।
सेंसर बोर्ड को ऐसे तमाम दृश्यों पर आपत्ति है और वह इन्हें काटने के बाद
ही सर्टिफिकेट देने को तैयार है। पूजा का कहना है कि यदि ये सीन काट दिए गए
तो फिर फिल्म में कुछ नहीं रह जाएगा। खबर है कि इस मसले को लेकर पूजा की
सेंसर के अधिकारियों से जमकर बहस हुई, लेकिन वे राजी नहीं हुए। पूजा भी जिद
पर अड़ी हुई हैं। अब देखना यह है कि फिल्म रिलीज कब और कैसे होती है। फिल्म
के 3 अगस्त को रिलीज होने की घोषणा की गई थी।
मंगलवार, 10 जुलाई 2012
काश आज इंदिरा जी होती....
पाकिस्तान सरकार आतंकवाद को बतौर राजकीय नीति के तहत इस्तेमाल कर रही है। सिर्फ उसकी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई ही आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है, ऐसा नहीं है, बल्कि पूरा का पूरा मुल्क आतंकवाद नाम के प्रोडक्ट का उत्पादन कर, उसकी गुणवत्ता मेंटेन कर, सारे विश्व में इसकी सप्लाई कर रहा है। दुनिया में कहीं आतंकवाद की घटना हो और उसमें पाकिस्तान का नाम न आये क्या कभी ऐसा हुआ है? लेकिन दुनिया के देशों को हम ये बात समझा पानें में असफल रहे हैं। हम इस कमीनें मुल्क को सिर्फ डोजियर पर डोजियर ही देते रहे हैं, और वह और पुख्ता सबूत की मांग दुहराता रहा है।
हमनें कसाब पकड़ा, पकिस्तान उसे अपना नागरिक माननें से इनकार करता रहा। हम उसे सिर्फ डोजियर देते रहे "डोज़" नहीं। हमारे भाग्यविधाता नेता भी मानते हैं कि वह डोजियर से माननें वाला देश नहीं है, फिर हम उसे डोजियर क्यों दिए जा रहे हैं? हम उसे एक बेहतरीन डोज़ देनें के बारे में क्यों नहीं सोंचते हैं? जिससे वह काँप उठे। लातों के भूत को हम बातों से मनानें की असफल कोशिश क्यों कर रहे हैं?
क्या कभी हमारे देश में ऐसा प्रधानमंत्री होगा जो पाकिस्तान की नापाक हरकतों के जवाब में उसे कड़वी और कभी न भुला पानें वाली डोज़ दे, डोजियर नहीं। कुछ वैसी डोज़ जैसी हमारी दमदार नेता इंदिरा गाँधी नें उसे बांग्लादेश के रूप में दी थी। जिसे ये कमीना देश आज तक न भूल सका है। उसी पार्टी और परिवार के आज के नेताओं को पाकिस्तान जैसे टिकिया चोर मुल्क के सामनें मिमियाते हुए देख कर बड़ा दुःख होता है। काश आज इंदिरा जी होती।
शनिवार, 7 जुलाई 2012
नेताओं और अफसरों ने की लैला के साथ अय्याशी!
मुंबई। बालीवुड अभिनेत्री लैला खान के ओशीवारा स्थित घर से मुंबई पुलिस को कुछ अहम सबूत हाथ लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक पुलिस को उसके ओशीवारा स्थित घर से करीब 1000 फोटो बरामद हुए। इन फोटो में लैला और उसके परिजनों के साथ कई नेता और पुलिस अधिकारी दिखाई दे रहे हैं। पुलिस को शक है कि लैला खान और उसकी मा हवाला के रैकेट से जुड़ी थीं तथा हवाला में पैसा ट्रासफर करवाने के लिए वह कई नेताओं के संपर्क में थी। इस मामले में मुंबई और किश्तवाड़ पुलिस ने परवेज टाक से पूछताछ की।
लैला के सौतेले पिता नादिर पटेल की शिकायत पर ओशिवरा पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज किया है। लेकिन इस मामले की जाच मुंबई क्राइम ब्राच को सौंपी गई है।
सूत्रों के मुताबिक लैला के पाकिस्तानी होने का दावा गलत है। दरअसल उसका जन्म मुंबई के गोलीबार इलाके में हुआ था। वह अपने पहले पिता नादिर पटेल की संतान है। उसका असली नाम रेशमा पटेल है। जब नादिर ने दूसरी शादी की, तो उसकी मा सलीमा बेगम ने भी दूसरी शादी कर ली। उसके राशन कार्ड सहित कुछ सरकारी दस्तावेजों से भी यह पता चलता है कि वह पाकिस्तानी नहीं बल्कि भारतीय नागरिक ही है।
गुरुवार, 5 जुलाई 2012
यूपी की पल्टू सरकार
लगता है कि उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार निर्णय लेकर पलट जानें का नया विश्व कीर्तिमान बनानें के लिए काम कर रही है। विकास निधि से कार खरीदनें के प्रकरण नें, हमारी सरकार की विश्वसनीयता को, जनता की निगाह में धूमिल करनें का काम किया है।| इससे पहले माल और दुकानों को शाम 7 बजे बंद कर बिजली बचानें के निर्णय की पहले ही थू थू हो चुकी है। वहां भी इस सरकार नें बेहतरीन गुलाटी मारी थी।
आज लोग जानना चाहते है कि इन सभी पलटू निर्णयों के पीछे आखिर है कौन? मोहन सिंह जी नें कहा है कि सब नौकरशाही का काम है। जब अखिलेश जी मुख्यमंत्री बनें थे, तभी मेरे जैसे आम आदमी नें उन्हें इसी ब्लॉग के जरिये "मा0 अखिलेश यादव को यूपी के आम आदमी का खुला पत्र" लेख लिखकर नौकरशाही से सतर्क रहनें की सलाह दी थी। उस समय मा0 मुख्यमंत्री जी को दी गयी मेरी सलाह को आप हुबहू पढ़ सकते हैं।
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कौन ऐसा हिन्दू होगा जो अपने जीवन काल में एक बार अपने मुंह से यह न बोलता होगा कि राम नाम सत्य है। हाँ ये भी हो सकता है कि वह अपने पूर...