पाकिस्तान सरकार आतंकवाद को बतौर राजकीय नीति के तहत इस्तेमाल कर रही है। सिर्फ उसकी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई ही आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है, ऐसा नहीं है, बल्कि पूरा का पूरा मुल्क आतंकवाद नाम के प्रोडक्ट का उत्पादन कर, उसकी गुणवत्ता मेंटेन कर, सारे विश्व में इसकी सप्लाई कर रहा है। दुनिया में कहीं आतंकवाद की घटना हो और उसमें पाकिस्तान का नाम न आये क्या कभी ऐसा हुआ है? लेकिन दुनिया के देशों को हम ये बात समझा पानें में असफल रहे हैं। हम इस कमीनें मुल्क को सिर्फ डोजियर पर डोजियर ही देते रहे हैं, और वह और पुख्ता सबूत की मांग दुहराता रहा है।
हमनें कसाब पकड़ा, पकिस्तान उसे अपना नागरिक माननें से इनकार करता रहा। हम उसे सिर्फ डोजियर देते रहे "डोज़" नहीं। हमारे भाग्यविधाता नेता भी मानते हैं कि वह डोजियर से माननें वाला देश नहीं है, फिर हम उसे डोजियर क्यों दिए जा रहे हैं? हम उसे एक बेहतरीन डोज़ देनें के बारे में क्यों नहीं सोंचते हैं? जिससे वह काँप उठे। लातों के भूत को हम बातों से मनानें की असफल कोशिश क्यों कर रहे हैं?
क्या कभी हमारे देश में ऐसा प्रधानमंत्री होगा जो पाकिस्तान की नापाक हरकतों के जवाब में उसे कड़वी और कभी न भुला पानें वाली डोज़ दे, डोजियर नहीं। कुछ वैसी डोज़ जैसी हमारी दमदार नेता इंदिरा गाँधी नें उसे बांग्लादेश के रूप में दी थी। जिसे ये कमीना देश आज तक न भूल सका है। उसी पार्टी और परिवार के आज के नेताओं को पाकिस्तान जैसे टिकिया चोर मुल्क के सामनें मिमियाते हुए देख कर बड़ा दुःख होता है। काश आज इंदिरा जी होती।
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