लखनऊ : सत्ता में आने के बाद अखिलेश सरकार ने सबसे पहले दरोगा और
सिपाहियों को मनचाही तैनाती दी, ताकि वे मन से काम कर सकें। सूबे की शांति
और उन्नति के लिए यह एक बेहतर प्रयोग था, लेकिन कड़वा सच यह है कि अब खाकी
ही सरकार की मुश्किल बढ़ा रही है। बार-बार की चेतावनी और कार्रवाई के
बावजूद इनकी हरकतों पर कोई लगाम नहीं हैं। इन पर अंकुश लगाने की कोई भी
कवायद कारगर नहीं हो पा रही है।
इसी माह राजधानी के माल थाने में दरोगा कामता प्रसाद ने एक महिला से
दुराचार की कोशिश की तो महकमे में भूचाल आ गया। दरोगा के खिलाफ मुकदमा दर्ज
कर उसे जेल भेजा गया। तब प्रमुख सचिव गृह आरएम श्रीवास्तव और डीजीपी एसी
शर्मा ने पुलिस कर्मियों को आचरण और व्यवहार ठीक रखने की नसीहत दी, लेकिन
यह नसीहत कारगर नहीं हो पायी। माल थाने की घटना के बाद ही मुरादाबाद में एक
थानेदार द्वारा थाने में ही महिला रंगरूट की अस्मत लूटने की कोशिश की गयी।
फिर थानेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई। लगा कि पुलिसकर्मी सबक लेंगे और
ऐसी हरकतें दुबारा नहीं होंगी। पर वहशी वर्दी वालों पर कोई असर नहीं पड़ा।
एक पर एक इतनी घटनाएं हुई कि खाकी शर्मसार हो गयी। अफसरों की आवाज हलक में
ही फंस गयी। उन्हें अब कोई जवाब नहीं सूझ रहा है। डीजीपी एसी शर्मा
कार्रवाई की चेतावनी दे रहे हैं और सरकार ऐसे पुलिसकर्मियों को बर्खास्त
करने का मन बना रही है।
ताजा मामला कुशीनगर जिले में देखने को मिला जहां थानेदार ने एक महिला
को चौकीदार बनाने की लालच देकर दुष्कर्म किया। अब पुलिस उसके साथ इस घटना
में साझीदार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी का
प्रयास कर रही है। इन घटनाओं से जहां आम आदमी का पुलिस से भरोसा उठ रहा है,
वहीं सत्ताधारी दल को कोई जवाब नहीं सूझ रहा है। सपा के प्रदेश प्रवक्ता
राजेन्द्र चौधरी इस हालात को पिछली सरकार की देन बताते हैं और कहते हैं कि
"यह तो हमें बसपा सरकार ने विरासत में दिया है" लेकिन अब ऐसे लोगों के खिलाफ
कड़ी कार्रवाई हो रही है। पर सबसे अहम बात यह कि इन कार्रवाइयों के बावजूद
आए दिन किसी न किसी महिला की आबरू पर वर्दी वाले ही डाका डाल रहे हैं। बसपा
के प्रदेश प्रवक्ता स्वामी प्रसाद मौर्य कहते हैं कि "छह महीने में ही
गुंडाराज की असली सूरत सामने आ गयी है और प्रदेश की जनता त्राहि त्राहि
करने लगी है"
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