नवरात्रि के अंतिम दिन करीब-करीब सारे उत्तर भारत में कुंवारी कन्याओं को भोज कराकर सम्मानित किया जाता है। इसी क्रम में आज सुबह मेरे आवास पर भी मेरी धर्म पत्नी श्रीमती सोनी अवस्थी की अगुआई में कन्याओं को भोज दिया गया। मेरी 2 साल की प्यारी बिटिया रिशिका ने भी इस भोज का भरपूर आनंद लिया।
इस दौरान मै लगातार कन्या भ्रूण हत्या को लेकर सोंचता रहा। अगर हमारा समाज ऐसे ही कन्याओं की गर्भ में ही हत्या करता रहे, और नवरात्रि पर उन्हें भोज देकर सम्मानित करता रहे, तो क्या इसे हम अपनें समाज का दिवालिया पन नहीं कहेंगे? कन्याओं का वास्तविक सम्मान यही होगा कि हम उन्हें गर्भ में न मारकर इस खूबसूरत दुनिया में लायें, और बगैर किसी भेद-भाव के उन्हें पुष्पित पल्लवित होनें के समान अवसर उपलब्ध कराएँ।
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