अब उत्तर प्रदेश की कमान एक युवा अखिलेश यादव के हाथ होगी। बेकारी, अशिक्षा, गरीबी, अन्याय, जातिवाद, धर्मवाद और भ्रष्टाचार की भट्ठी में तप रहे उत्तर प्रदेश को अपनें इस नए मुख्यमंत्री से बहुत उम्मीदें हैं। देखनें वाली बात यह होगी कि क्या अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी की परंपरागत छवि से अलग हटकर कुछ रचनात्मक कर पाएंगे? या फिर गुंडों माफियाओं की पार्टी कही जानें वाली पार्टी के नए डान बनकर रह जायेंगे।
सपा की सरकार आते ही जिस प्रकार चुनावी रंजिस की हिंसा बढ़ी है, उससे तो यही लग रहा है कि पुरानी समाजवादी "हल्ला बोल" संस्कृति नें फिर से यूपी में अपनें पैर पसारनें शुरू कर दिए हैं। जिससे शख्ती से निपटा जाना चाहिए। टूटी सड़कें, खाली खजाना, अंधकार में डूबा प्रदेश, भ्रष्टाचारियों और अपराधियों के बुलंद हौसले, आदि कुछ और चुनौतियाँ भी अपनें युवा सीएम् ka इन्तजार कर रही हैं। जिनसे हमारे नए मुख्यमंत्री जी को निपटना ही होगा।
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