बुधवार, 31 अगस्त 2011

"चीन-पाक की चुनौती और अन्ना बाबा"

सुशील अवस्थी "राजन"    अन्ना बाबा की सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है,तो बेचारे मनीष तिवारी अब उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं| चकड़ कपिल सिब्बल राहुल जप से आनें वाली मुसीबतों से छुटकारा पाना चाहते हैं, लेकिन मै इन सब बातों से भी ज्यादा जरुरी बात आप लोगों से करना चाहता हूँ| चीन का एक ख़ुफ़िया जहाज अंदमान के निकट भारत की सामरिक गतिविधियों की निगरानी करता पाया गया है| अमेरिकी रक्षा सूत्रों से तो यह भी खबर आ रही है कि चीन नें भारतीय सीमा के निकट अपनी घातक मिसाइलों की तैनाती भी की है|
     हो सकता है इन ख़बरों के अपनें कुछ और मायनें भी हों, फिर भी हमारी ढीली-ढाली,लुंज-पुंज, केंद्र सरकार को सतर्क होनें की जरुरत है| देश आज भी चीन से १९६२ में मिली करारी शिकस्त नहीं भूल पाया है| चीन की पकिस्तान   से प्रगाढ़  होती मित्रता भी हमें अपनीं रक्षा तैयारियों को और चौकस होनें के लिए बाध्य  कर रही हैं| केंद्र सरकार देश को बताये कि   पाकिस्तान और चीन की ओर से मिल रही सामरिक चुनौती से निपटनें के लिए वह कुछ कर भी रही है, या नेहरू  के वंशज इतिहास दुहराए जानें की प्रतीक्षा कर रहे हैं| कुछ करो  और  बताओ, नहीं तो देश की जनता अपनें अन्ना बाबा से बात करेगी, और उनसे कहेगी बाबा कुछ करो.... बाबा फिर अनशन करनें योग्य हो चुके हैं|

मंगलवार, 30 अगस्त 2011

"चड्ढी पहन के ...."

       लखनऊ की कैंट विधान सभा सीट अब महत्त्वपूर्ण हो चुकी है, क्योंकि यूपी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जो इस सीट से अपनी किस्मत आजमा रही हैं| भाजपा की इस परंपरागत सीट पर सपा नें बेहद कमजोर श्रीमती सुरेश चौहान को अपना प्रत्याशी घोषित किया है| सुनिए आज मै इन प्रत्याशी महोदया के आवास गया, वहां जो नज़ारा मैनें देखा आप भी देखिये, श्रीमती  चौहान के पतिदेव लोगों से मिल रहे थे, वह भी सिर्फ चड्ढी पहन कर, बनियान भी उनके बदन पर नहीं थी| जबकि कुछ महिलाएं भी वहां अपनी फरियाद लिए खड़ी थी,श्रीमती चौहान जो इस समय गीतापल्ली वार्ड से पार्षद हैं, वहां अता-पता न था| क्या ये    लक्षण हैं भावी विधायक के? मेरी समझ में एक बात नहीं आयी, कि जब विधायकी श्रीमान चौहान जी को ही चड्ढी की तरह संभालनी है, तो फिर पार्टी नें टिकट श्रीमती चौहान को क्यों दिया?  

रविवार, 28 अगस्त 2011

"अन्ना आन्दोलन के मायनें"



(सुशील अवस्थी "राजन")   अन्ना के अनशन की समाप्ति के बाद लोगों के मन में कुछ सवाल उमड़ घुमड़ रहे है,कि अब क्या होगा? क्या भ्रष्टाचार मिट जायेगा? क्या आम आदमी के हिस्से में कुछ सहूलियतों का आगमन हो सकेगा? आदि आदि .....| मेरा अपना मानना है कि राष्ट्रीय परिद्रश्य पर अन्ना का आगमन अव्यवस्था से तपते-झुलसते हिन्दुस्तानियों के लिए एक ठंडी हवा के झोंके के समान है|बडे  आन्दोलन हमेशा एक नयी राजनीतिक व्यवस्था को जन्म देते हैं| जेपी आन्दोलन नें भी समाजवाद और कई समाजवादी नेताओं को जन्मा था| मुलायम, लालू, चन्द्र शेखर आदि नाम इसी आन्दोलन की उपज थे| ऐसे में यह मानना कि अन्ना आन्दोलन कुछ नहीं देगा हमारी भारी भूल होगी| अब व्यवस्था परिवर्तन का नया दौर शुरू होनेवाला है|
     जातिवाद,धर्मवाद और अपराधवाद की राजनीति करनें वालों के लिए आने वाले दिन बडे कष्टकारी हो सकते हैं| भले ही अन्ना और उनके लोग कोई राजनीतिक पार्टी बनायें या न बनायें, परन्तु चुनावी व्यवस्था उनकी निगाह जरुर रहेगी| अन्ना का सिर्फ एक बयान तय करेगा अगला प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री किस पार्टी का होगा| अन्ना का खुद यह कहना कि "नोट करो कि सदन में कौन सांसद क्या बोला अगले चुनावों में उसे सबक सिखाया जायेगा" बताता है कि परोक्ष रूप से ही सही आनें वाले दिनों में सत्ता केंद्र सोनिया निवास से निकल कर अन्ना कुटी स्थान्तरित होनें वाला है| उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को भी चिंतित होनें की जरुरत है| २०१२ में होनें वाले विधान सभा चुनावों में अन्ना  फैक्टर कोई असर नहीं छोड़ेगा सोंचना भी मूर्खता होगी| माया सरकार की छवि आम लोगों की बीच जातिवादी, भ्रष्टाचारी, और अहंकारी ही है| जबकि चुनें जानें से पहले लोग उन्हें एक सख्त प्रशासक के तौर पर देखते थे| जिसकी वजह से ही उन्हें यूपी की सत्ता  नसीब  हुई  थी|

शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

"माया जी तेरी माया"

      उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने अन्ना हजारे जी को बहुत ही नेक सलाह दी है कि श्री अन्ना हजारे जी को २०१४ के लोकसभा चुनाव में भाग लेना चाहिए और फिर अपना लोकपाल बिल संसद में खुद ही पास कर लेना चाहिए| मेरा भी अपना निजी तौर पर मानना है कि अन्ना को ऐसा करना चाहिए| आखिर कब तक अन्ना और उनकी टीम भ्रष्ट नेताओं की परिक्रमा करती रहेगी? लेकिन मै माया जी की एक बात से सहमत नहीं हूँ कि अन्ना और उनकी टीम सिर्फ २०१४ का लोकसभा चुनाव ही लड़े| २०१२ का यूपी विधान सभा चुनाव क्यों नहीं? प्रदेशों में भी तो सशक्त लोकायुक्त की जरुरत है| ये काम भ्रष्ट राज्य सरकारें कहाँ करनें वाली हैं? जो पार्टियाँ अपराधियों को सर आँखों पर बैठाये हैं, और टिकटों की नीलामी करती हैं, क्या वे भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई मुहिम चला पाएंगी?

बुधवार, 24 अगस्त 2011

अन्ना रूप में गाँधी जी का हुआ पुनः अवतार

अन्ना रूप में गाँधी जी का हुआ पुनः अवतार|
सारा देश लुटा रहा है इस गाँधी पर प्यार|
इस गाँधी पर प्यार, भगत,आज़ाद भी आयेंगे|
उस दिन काले अँगरेज़ भारत भूमि से जायेंगे| 
अब डायरों को करनी का फल भोगना ही होगा|
विदेश जा रहा धन काकोरी में रोकना ही होगा|
अल्फ्रेड पार्क गवाह बनेगा फिर आज़ाद की क़ुरबानी का|
जो हिंदुस्तान के काम न आये क्या करना ऐसी जवानी का|

                                      सुशील अवस्थी "राजन"

"रीता बहुगुणा जोशी की मुश्किलें"

     सुशील अवस्थी "राजन"    उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ की  कैंट विधान सभा क्षेत्र से विधायकी लड़ेंगी| उन्हें ऐसे समय प्रत्याशी घोषित किया गया है,जब अन्ना प्रकरण से लोग सबसे ज्यादा कांग्रेस से ही नाराज़ हैं| संभावना जताई जा रही है, कि जोशी दीदी का मुकाबला भाजपा विधायक सुरेश चन्द्र तिवारी से होगा| श्रीमान तिवारी जी लगातार  तीन दफा से इस सीट पर भाजपा की विजय पताका फहराते रहे हैं| इसलिए उन्हें हरा पाना आसान नहीं होगा| फ़िलहाल भाजपा नें अभी उन्हें अपना अधिकृत प्रत्याशी नहीं घोषित किया है| तिवारी विरोधियों का गुप्त आन्दोलन प्रगति पर है,कि उन्हें पार्टी टिकट से वंचित कर दे| फ़िलहाल ऐसा होनें की उम्मीदें काफी कम है फिर भी राजनीति में असंभव कुछ नहीं होता| पार्टी के ही उनके व्यक्तिगत विरोधियों का कहना है कि श्री तिवारी की जीत का अंतर लगातार सिकुड़ता गया है, इसलिए पार्टी को श्री तिवारी को टिकट देकर अपनी हार नहीं तय करनी चाहिए| रीता जोशी जैसी कद्दावर नेता का भय दिखाकर विरोधी कह रहे हैं,कि रीता के कद के नेता को लड़ाना भाजपा के लिए लाभ दायक रहेगा| लखनऊ के मेयर डॉ. दिनेश शर्मा को विरोधी उपयुक्त उम्मीदवार मान रहे हैं| फ़िलहाल मेरा अपना मानना कि श्री तिवारी को हरा पाना रीता जोशी के लिए भी आसान नहीं होगा| यह सही है कि सुरेश चन्द्र तिवारी से नाराज़ लोगों की संख्या कम नहीं है, दूसरी पार्टियों से ज्यादा उनके विरोधी उनकी अपनी पार्टी में हैं| तिवारी जी ऐसे लोगों को पहले भी मैनेज करते आये हैं| 
        रीता जी का इस सीट पर मोह यूँ ही नहीं है| २००९ के लोकसभा चुनाव में रीता जी लखनऊ सीट से "हार" का हार पहन चुकी हैं| जबकि जीत का हार भाजपा के लालजी टंडन के गले में आया था| उस चुनाव में रीता जोशी को कैंट सीट से ठीक-ठाक मत मिले थे| वह इस सीट पर विजयी मुद्रा में थी| लेकिन वे चुनाव पुरानें परिसीमन पर थे,जबकि इस बार उन्हें नए परिसीमन का सामना करना होगा| साथ ही २००९ से २०१२ में परिस्थितियां कांग्रेस के लिए ज्यादा जटिल ही होंगी| अन्ना और रामदेव प्रकरण से कांग्रेस के प्रति उपजी लोगों की नाराज़गी    २०१२ तक कम हो जाएगी,लगता नहीं है|
       इसी सीट पर सपा नें श्रीमती सुरेश चौहान को अपना प्रत्याशी घोषित कर रखा है| वह भी दिन रात एक किये हैं| गीता पल्ली वार्ड से सभासद श्रीमती चौहान की म्रदु भाषिता का जिक्र पूरे क्षेत्र में है| जबकि बसपा प्रत्याशी नवीन चन्द्र द्विवेदी पप्पू भी संघर्षरत हैं,लेकिन यहाँ बसपा की जीत के दूर-दूर तक कोई आसार नहीं हैं| अच्छा होता कांग्रेस श्रीमती जोशी को किसी एक सीट पर फंसानें के बजाय पूरे यूपी की चुनावी बागडोर सौपती|

सोमवार, 22 अगस्त 2011

"जन और तंत्र की ठना-ठनी"

                         

     सुशील अवस्थी "राजन"   अन्ना और उनके समर्थकों की सरकार से अनबन वास्तव में जन और तंत्र के बीच का टकराव है| वह तंत्र जो जन से ही जन्मा है, परन्तु खुद को खुदा समझ बैठा है| तंत्र जब भ्रष्ट और नाकारा हो जाता है,तब जन ही उसे दुरुस्त करता  है, जिसे क्रांति कहा जाता है| भारत में अन्ना हजारे के नेतृत्व में यही क्रांति जन्म ले रही है| इस लड़ाई में तंत्र का हारना हमेशा तय होता है,क्योंकि जन को तंत्र से नहीं बल्कि तंत्र को जन से ऊर्जा मिलती है| जन से प्राप्त संचित ऊर्जा से ही तंत्र हमेशा जन के खिलाफ दमनात्मक लड़ाई लड़ता है,लेकिन जैसे-जैसे तंत्र की संचित ऊर्जा का ह्रास होने लगता है, वह जन के सामनें घुटनें टेकता जाता है|
     दुर्भाग्य का विषय है कि हमारी भारत सरकार दुनिया के सबसे भ्रष्ट तंत्र का सबसे बड़ा नमूना बन चुकी है| यह सब हुआ है सरकार में शामिल कुछ प्रभावशाली कारिंदों के कारण| तंत्र के प्रभावशाली बनें रहनें के लिए के लिए सर्वाधिक जरुरी है कि उस पर जन का विश्वास  कायम रहे| विश्वास कायम रहनें के लिए जन हितकारी कार्य करनें होते हैं| हमारी यूपीए-२ की सरकार नें सिर्फ लूट कार्यों को अंजाम देनें व छुपानें में ही अपनी सारी ऊर्जा व्यय की है| ऐसे में तो यही होना था जो हो रहा है|
      यह हमारे जन की लोकतंत्र पर गहन आस्था ही है जो पिछले ७-८ दिनों से भीड़ का बहुत बड़ा हिस्सा राजधानी दिल्ली की सड़कों पर भजन कीर्तन में रत है| नहीं तो तंत्र कुछ ही घंटों में जन के जूते तले आ जाये| अब तंत्र को अपनें कान,आँख खोल लेनें चाहिए| अन्ना के स्वास्थ्य पर यदि किसी प्रकार की आंच आयी तो तंत्र का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है|

रविवार, 21 अगस्त 2011

"अन्ना का आन्दोलन और जातिवादी विलाप"



      आज स्टार न्यूज़ पर उदितराज जी को  तडकते-भड़कते आप सबनें देखा होगा| उनकी पीड़ा यह थी कि अन्ना की टीम में अधिकांश शीर्ष नेता ऊंची जातियों के हैं| दलित क्यों नहीं है| महामाननीय  उदित राज जी नें फ़रमाया कि  इससे भी ज्यादा भीड़ वाली रैली वो इसी मैदान में कर चुके हैं| मीडिया के इस बयान पर उदित जी को घोर आपत्ति है कि यह सारे देश का आन्दोलन है| आप लोग उदितराज जी को कुछ समझाना चाहेंगे| आपकी बात को मै उदित जी तक पहुचाऊँगा|

शनिवार, 20 अगस्त 2011

"आइये आपका इन्तजार है"

     सुशील अवस्थी "राजन"  जन लोकपाल के लिए केंद्र सरकार से पंगा ले रही टीम अन्ना चुनाओं में क्यों नहीं भाग लेना चाहती है? इस टीम की हालत नायक फिल्म के अनिल कपूर जैसी ही है| सब जानते हैं कि राजनीती गटर जैसी हो चुकी है| कोई इसमें उतरना नहीं चाहता है| मै टीम अन्ना से जानना चाहता हूँ कि सीधे राजनीति में भाग लेकर, अपनी सरकार बनाकर, आप खुद जनहितकारी काम क्यों नहीं करना चाहते हैं? आप लोग क्यों भ्रष्टाचारियों, चोरों, लुटेरों लम्पटों और बलात्कारी महापुरुषों पर दबाव कायम कर उनसे अच्छा काम कराना चाहते हैं? क्यों उनसे ये पाप करवाते हो अन्ना? इन स्वनाम धन्य दुष्कर्मी महापुरुषों का भी अपना समाज है, अगर ये भूल चूक या आपके दबाव में कोई अच्छा काम कर बैठे, तो क्या मुंह दिखायेंगे अपने भ्रष्ट समाज में? इनके लोग इन पर थूंकेंगे|
     अच्छे सभ्य लोगों को चुनाव लड़ना  इतना कष्टकारी क्यों लगता है? हार से डर लगता है? हारते तो हमारे कलयुगी महापुरुष भी हैं| जब अपराधी,लुटेरे लड़ते हैं तो जो बड़ा अपराधी लुटेरा होता है वह जीतता है| जब चार अच्छे लड़ेंगे तो जो ज्यादा अच्छा होगा वह जीतेगा| व्यवस्था परिवर्तन का सबसे बड़ा अश्त्र है सत्ता, बशर्ते सत्ता मिलनें के बाद भी आप इमानदार बनें रह सकें, जो कि संभव नहीं है| आइये अन्ना के अनुयाइयों देश को आपका इन्तजार है| लोगों में आशा उम्मीदों का ज्वार उठाकर मुंह न फेरो| सक्रिय राजनीती में उतरकर अपना आत्मबल भी नापो और देश का भी भला करो हम सबको आपका इंतजार है| अन्ना हजारे जिंदाबाद|

गुरुवार, 18 अगस्त 2011

घुप्प अँधेरे में आशा की किरण "अन्ना"




     भ्रष्टाचार भारत की असाध्य बीमारी बन चुकी है| लोगों नें तो इससे मुक्ति का सपना तक देखना बंद कर दिया था| सभी को लगनें लगा था कि भ्रष्टाचार के साथ-साथ जीना और मरना ही हम भारतीयों की नियति है| देश में शायद ही कोई विभाग हो जहाँ आम आदमी को अपना काम करवानें के लिए रिश्वत न देनी पड़ती हो| जीवित तो जीवित मृत लोगों को भी यहाँ भ्रष्टता के सामनें घुटनें टेकनें पड़ते हैं| दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों का पोस्टमार्टम भी यहाँ तब शुरू होता है जब भ्रष्टाचार का दानव रिश्वत पाता है| भ्रष्टता दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की नश-नश में समाहित हो चुकी है| खुद रिश्वत बाजों को भी रिश्वत देनी पड़ रही है| ऐसे घुप्प अंधकार में जब लोगों को अन्ना नाम की रौशनी की एक किरण दिखी, तो सारा देश पतिंगों की माफिक इस रौशनी के श्रोत से चिपक गया|
                                                                                                 सुशील अवस्थी "राजन"

बुधवार, 17 अगस्त 2011

"अन्ना तुझे तिलक लगाऊ,कांग्रेस को जड़ से मिटाऊ"


अन्ना तुझे तिलक लगाऊ,
कांग्रेस को जड़ से मिटाऊ|
कपिल सिब्बलवा बोला,
कटुक बचनवा,
जलिगा मनिसवा देखि तोर ऊंच असनवा|
इनिके मुंह में ताला जड़वाऊ|
कांग्रेस को जड से मिटाऊं|
मुन्नु-मुन्नु सदन बोला नौकर मनमोहना,
मोरे अधिकार छीनें अन्ना तुझे सोहे ना|
सोनिया घर झाड़ू लगवाऊ|
कांग्रेस को जड़ से मिटाऊ|
                                                 सुशील अवस्थी "राजन" 

मंगलवार, 16 अगस्त 2011

लोकतंत्र की हत्या

अन्ना हजारे के मुद्दे पर भारत सरकार  व कांग्रेस द्वारा अपनाया जा रहा रवैया लोकतंत्र का गला घोटनें की कोशिश है| जिसका प्रत्येक भारतीय विरोध करता है| इस असंवेदनशील सरकार को अब सत्ता में बने रहनें का कोई अधिकार नहीं है|

सोमवार, 15 अगस्त 2011

"अन्ना हजारे की हुई गिरफ़्तारी"




अन्ना हजारे की हुई गिरफ़्तारी,
गरम हुई कांग्रेस बेचारी,
भ्रष्टाचार झेलना
बनी रहेगी जनता की लाचारी,
शांति पूर्ण प्रदर्शन
सरकार को नहीं बर्दाश्त,
आपात काल की शुरुआत,
कांग्रेस का लास्ट,
जनता बनी मूक दर्शक,
देखो क्या करते हैं  
हमारे मति भ्रष्ट पथ प्रदर्शक,
                                                     सुशील अवस्थी "राजन"


सुभाष,भगत,आजाद का सपना, भारत भव्य बनाना है|




आज़ादी बचाओ यज्ञ में हमको, अपनी आहुति पहुँचाना है|
सुभाष,भगत,आजाद का सपना, भारत भव्य बनाना है|
        गोरे अंग्रेजों से मुक्ति मिली, भूरे फिर से हाबी हैं|
        ईमानदार आदमी भटक रहा, बेईमानों संग सत्ता चाभी है|
        लोकतंत्र के अमृत कलश में जिनको , कलुषित विष घुलवाना है|
        हमें शपथ भारत माता की, उनको सबक सिखाना है|
सुभाष,भगत,आजाद का सपना भारत भव्य बनाना है|
        आजाद मुल्क में कुछ हिजड़े आज़ादी हमसे छीन रहे|
        बने शिखंडी भाग्य  विधाता सरकारी धन है बीन रहे|  
        लूट तंत्र की जो करे मुखालफत उन्हें जेल भिजवाना है|
        जय गाँधी... मै गांधीवादी गाते झूठा गाना है|
सुभाष,भगत,आजाद का सपना, भारत भव्य बनाना है|
        कहते सुनों अवस्थी "राजन" अन्ना आज का गाँधी है|
        यूपी बिहार न दिल्ली की, ये  पूरे भारत की आंधी है|
        कांप उठे हैं अत्याचारी, सूना कमीनों का मयखाना है|
        नहीं देर करनी है हमको, अन्ना संग कदम बढ़ाना है|
सुभाष,भगत,आजाद का सपना भारत भव्य बनाना है|

शनिवार, 13 अगस्त 2011

मै तो अन्ना के साथ हूँ और आप?

     मै तो अन्ना के साथ हूँ और आप? कांग्रेसी कहते हैं कि अन्ना ठीक आदमी नहीं हैं| लेकिन जो ऐसा कह रहे हैं वो अन्ना पर आरोप लगानें योग्य नहीं हैं| आइये अन्ना के लोकपाल को समर्थन दें|  
                                                                                                        सुशील अवस्थी "राजन"

मंगलवार, 9 अगस्त 2011

क्या आप तैयार हैं?

सुशील अवस्थी "राजन"   भ्रष्टाचारियों, चोरों, निकम्मों, और अपराधियों की रहनुमाई में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है, और दुनिया की दूसरी तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्था है| क्या कभी आपनें सोंचा, यदि इस देश की बागडोर राष्ट्र भक्त और ईमानदार लोगों के हाँथ आ जाय तब क्या होगा? हम दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में जानें जा सकते हैं| 
      ऐसा करनें के लिए ब्रह्माण्ड के किसी दूसरे ग्रह से कोई नहीं आएगा, हमको आपको ही कुछ करना होगा| लोकतान्त्रिक व्यवस्था में सारी ताकत जनता के हाँथ होती है| हमें अपनी उसी ताकत का इस्तेमाल कर अपनें देश के भवितव्य को संवारना होगा| और वह ताकत निहित है हमारे वोट की ताकत में|
      हमें कसम खानी होगी कि हम अपनी इस ताकत को किसी भ्रष्टाचारी,बलात्कारी,अपराधी को नहीं सौपेंगे| हम अपनी इस ताकत का दान सिर्फ उसी को देंगे, जो ईमानदार छवि का होगा| निष्पक्ष और निःस्वार्थ मतदान ही भारत को सामर्थ्यशाली बनाएगा| क्या आप तैयार हैं? यदि हाँ, तो औरों को भी तैयार करिए|

सोमवार, 8 अगस्त 2011

"नजदीक आना होगा भारत-अमेरिका को"

     लग रहा है अब अमेरिका की धमक और ठसक का असर ख़त्म होनें के दिन नजदीक हैं| स्टैण्डर्ड एंड पुअर्स रेटिंग एजेंसी की हालिया रिपोर्ट तो यही कहती है| दुनिया के दरोगा की लगातार कमजोर होती वित्तीय स्थिति   उसे हर मोर्चे पर फ़ैल ही करेगी| फांके के दिनों में भी रक्षा मद में की गयी अनाप-शनाप शाह खर्ची, और पाकिस्तान जैसे फ़कीर टाइप देशों पर खरबों डालर की न्योछावर बाजी अब अमेरिका को महँगी पड़ रही है|
    कोई कुछ भी कहे आने वाले समय का दुनिया का नया दरोगा   चीन ही होगा| हमारा दुर्भाग्य यह है कि दुनिया का नया दरोगा चीन हमें कतई नहीं पसंद करेगा| हमें उसकी दरिया दिली की कुछ ज्यादा जरुरत भी नहीं है| फ़िलहाल हमारे दुश्मन मुल्क पाकिस्तान की उसके साथ गलबहियां स्पस्ट करती हैं कि वह हमारा कितना बड़ा शुभचिंतक हो सकता है| फिर भी हमें और दुनिया को यह समझना चाहिए कि अमेरिका को गिरते -गिरते काफी दिन लगेंगे| इन दिनों में यदि अमेरिका दुनिया में दुश्मन-दोस्त  की पहचान कर सका तो वह संभाल भी सकता है|
      दुनिया की तेज़ी से बढती अर्थव्यवस्था भारत, अमेरिका को इस वक्त सहारा दे सकता है| अमेरिका इस उम्मीद पर काम भी कर रहा है| लेकिन ऐसा करनें में उसनें देर भी कुछ कम नहीं की है| अभी तक हमारे दुश्मन पाकिस्तान जैसे खटमल देश को अपना खून पिला-पिला कर जीवित रखनें वाले अमेरिका की सोंच बदल रही है| अमेरिका की खस्ता हालत का अहसास होते ही यह खटमल आजकल चीन की चारपाई में घुस बैठा है|

मंगलवार, 2 अगस्त 2011

"UPP; एक रूप ये भी"

        आपनें पुलिस को गालियाँ बकते, या फिर लाठियां चलाते तो देखा होगा, लेकिन कभी उनकी दुश्वारियों को करीब से नहीं देखा होगा| जर्जर भवन और उसमें खुद ही खाना-पकाना आसान नहीं है| यूपी के उन्नाव जनपद की रसूलाबाद पुलिस चौकी का यह वीडियो आपको इन जवानों के एक दूसरे रूप से रूबरू कराएगा|

"मेरी प्यारी बिट्टू"






"सावन, सांप और दूध"


       (सुशील अवस्थी "राजन")  सावन का महीना भोले शंकर की जय-जयकार  का महीना है| अपनें देश में इसी महीनें में लोग साँपों को दूध पिलाते हैं| किसी भी शिव मंदिर के आस-पास इस तरह के द्रश्य आम बात है| साँपों को दूध क्यों? सांप से तो सिर्फ विष ही मिलेगा| विष हमारे आप के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है? अपनें आस-पास प्रचलित मुहावरे और कहावतों में भी तो सांप को खतरनाक ही बताया गया है, जैसे आस्तीन का सांप, सांप को चाहे जितना दूध पिलाओ मौका पड्नें पर डसेगा ही ...आदि आदि| फिर ये परंपरा क्यों?
     सांप किसानों के शत्रु चूहों का सफाया करता है, कहीं इसीलिये तो नहीं, कृषि प्रधान देश भारत के लोग उसका शुक्रिया अदा करते हैं? भगवान् शिव साँपों को अपनें शरीर पर आभूषणों की तरह धारण करते हैं, हो सकता इसीलिये लोग उसकी उपासना करते हों? लेकिन ऐसा करनेवाले शिव पुत्र गणेश को ढोनेवाले चूहे के प्रति इतनें असहिष्णु क्यों हैं? मुझे तो लगता है,  लाभ ही किसी के पूज्य, और हानि किसी के अपूज्य होनें में महती भूमिका निभाते हैं|
    कुछ और साँपों पर भी निगाह डालिए, हमारे नेता भी कोई कम खतरनाक प्रजाति के सांप नहीं हैं| अपनी वाणी और कर्म से सब जगह सिर्फ विष ही तो टपकाते हैं, फिर भी हम उन्हें दूध ही तो पिलाते हैं| इन्हें सिर्फ सांप नहीं बल्कि आस्तीन का सांप कहा जाना ज्यादा न्याय संगत लगता है| शिव जी के सांप तो चूहे निपटाकर किसी न किसी तरह का हम लोगों को फायदा देते हैं, पर ये आस्तीन के साँपों का हमारे फायदे में क्या योगदान है? जानना जरुरी है| मैं जानने की कोशिश करता हूँ, आप भी करिए| वैसे पाकिस्तान भी एक जहरीला सांप ही है, जिसे हमारे देशी सांप उसके संवर्धन के लिए दूध भिजवाते रहते हैं| हमारा ही दूध पीकर जीवित ये "ना"पाक सांप, आये दिन भारत के खिलाफ ही विष वमन किया करता है| परन्तु जान पर बन आनें  पर, कुपित भारतीय, साँपों का सर भी बड़ी विशेषज्ञता से कुचलते हैं| साँपों को यह बात भी ठीक से समझनी चाहिए|

योगी का एक मंत्री.. जिसे निपटाने के लिए रचा गया बड़ा षडयंत्र हुआ नाकाम

  सुशील अवस्थी 'राजन' चित्र में एक पेशेंट है जिसे एक सज्जन कुछ पिला रहे हैं। दरसल ये चित्र आगरा के एक निजी अस्पताल का है। पेशेंट है ...