रविवार, 13 नवंबर 2011

सिर्फ छले गए सवर्ण.....

     आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी बहुजन समाज पार्टी नें, ब्राह्मण सम्मलेन का आयोजन कर, ब्राह्मणों पर फिर से डोरे डालनें की कोशिश की| ब्राह्मण व सवर्ण समाज फिर से इस धोखेबाज़ पार्टी के मायाजाल में फसनें वाला नहीं है| सच्चाई तो यह है कि कानून व्यवस्था की स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश के सर्व समाज नें बसपा के हाथी को अपनें वोट का चारा खिलाकर सिर्फ इसलिए ताकतवर बनाया था, कि उन्हें उस समय यह उम्मीद दिख रही थी, कि हो न हो यह हाथी ही उनकी तत्कालीन सपाई गुंडों से रक्षा कर सकेगा| लेकिन अब यही हाथी  उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को रौंदे डाल रहा है| जिन ब्राह्मणों व सवर्ण समाज के लोगों नें २००७ के विधान सभा चुनाओं में पहली दफा हांथी के निशान वाला
बटन दबाया था, वे लोग तब से अपनी इस गलती का प्रायश्चित करनें का मौका तलाश रहे हैं|
        प्रायश्चित की आग में जल रहे ऐसे ब्राह्मणों व सवर्ण समाज के लोगों को पहला मौका तब मिला था जब २००९ में लोकसभा के चुनाव हुए| यह वह चुनाव था जिसमें हमारी मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया सुश्री मायावती जी की महत्वाकांक्षा  अपना विकराल रूप लेकर प्रधान मंत्री के पद का सपना संजो रही थी| जिसकी बानगी उस समय बसपा द्वारा दिए गए इस नारे में झलक रही थी कि " यूपी हुई हमारी है, अब दिल्ली की बारी है"| बसपा का इस तरह ख्वाब संजोना गलत भी नहीं था| क्योंकि जिस तरह २००७ के विधान सभा चुनाओं में ब्राह्मणों और सवर्ण समाज के लोगों नें इस पार्टी का साथ दिया था, उसकी आधी भी पुनरावृत्ति हो जाती तो केंद्र की राजनीति में इस पार्टी की भूमिका अति महत्वपूर्ण हो जाती, लेकिन सवर्ण समाज के इस पार्टी से हो चुके मोहभंग नें हमारी मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की " दिल के अरमां आंसुओं में बह गए " वाली स्थिति कर दी| तब इस पार्टी नें अपनें आधार वोट दलितों को अपनें से जोड़े रखनें के लिए, अपनी रणनीति में कुछ अप्रत्याशित बदलाव किये, मुख्यमंत्री के साथ हमेशा साये की तरह दिखनें वाले ब्राह्मण चेहरे सतीश चन्द्र मिश्र को परदे की पीछे की राजनीति में धकेल दिया गया|
     अब जब २०१२ के विधान सभा चुनाओं की गूँज इस पार्टी को फिर से सुनायी देनें लगी है, तब सवर्ण वोटों की "काठ की हांड़ी" को बसपाई रणनीतिकार फिर से झाड़-पोंछकर चढाने की जुगत में लग गए हैं| लेकिन अब ब्राह्मण व सवर्ण समाज भाजपा रूपी अपनें पूर्व घर में वापसी कर चुका है| दलित भी अब बसपा के असली स्वरूप से वाकिफ हो चुका है| इसलिए अब बसपा की इन जातिवादी राजनीतिक नौटंकियों का कहीं कोई असर नहीं पड़नें वाला|


 प्रमोद बाजपेई
सदस्य, प्रदेश कार्यसमिति,
भारतीय जनता पार्टी,
उत्तर प्रदेश,
9415021945  ,



1 टिप्पणी:

  1. aap ney to sahi kha lekin satish chandra mishra (shudul cast mishra) ko samjhany ki baat hay usney purey brahman samaj ka apmaan kiya hay aur jo unki maa thi unko to merney key baad bhi sakun nahi milparaha hay

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