शनिवार, 26 नवंबर 2011

" पार्किंग और हम "

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पार्किंग की समस्या हल करनें के लिए कई भूमिगत और बहुमंजिला पार्किंग स्टैंडो का निर्माण किया गया है| हज़रत गंज में अत्याधुनिक बहुमंजिला पार्किंग भवन प्रारंभ भी हो चुका है| वही आलमबाग में निर्माण कार्य प्रगति पर है| व्यस्त बाज़ार अमीनाबाद का झंडेवाला पार्किंग स्थल इन सब में सबसे पुराना है, लेकिन काफी कम वाहन स्वामी उसमें पार्किंग करना पसंद करते हैं| सड़क पर आड़ी-तिरछी पार्किंग ही हमारी पहली पसंद है|झंडेवाला पार्किंग स्थल के बाहर ही सड़क पर नगर निगम का सस्ता पार्किंग स्टैंड सड़क जाम का महत्वपूर्ण कारक बना हुआ है| यदि करोडो रुपये से निर्मित हो रहे इन पार्किंग स्थलों पर हम गाडी खड़ा करना नहीं पसंद करेंगे, तो फिर क्या मतलब सार्वजनिक धन की बर्बादी का? 
अमीनाबाद में सड़क किनारे नगर निगम की पार्किंग ही बन रही जाम का कारण

आलमबाग में बन रही बहुमंजिला भूमिगत पार्किंग



क्या आलमबाग के नए पार्किंग स्थल से मिलेगी लोगों को राहत?


शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

" घर में दिग्विजयी है दुश्मन "


आज तीसरी बरसी है, २६/११ के घाव की|
आओ करें समीक्षा, अपनें भाव और स्वभाव की|
अपनें दुष्ट पडोसी को, क्या हम कोई सबक सिखा पाए?
या दुश्मन खोजो चुनकर मारो, ये अमरीकी ज्ञान सीख पाए?
क्या भूल गए हम निर्दोषो की, अप्रत्याशित जघन्य हत्याओं को?
अनाथ हुए अपनें बच्चों को, शुष्क मांग अबलाओं को?
लड़े अघोषित युद्ध जो हमसे, वे दुष्ट अभी तक जिन्दा हैं|
कसाब की होती मेहमान, नवाजी से हम सब शर्मिंदा हैं|
सीमा के उस पार जो बैठे, उन पर अपना जोर नहीं|
घर में दिग्विजयी है दुश्मन, क्या हम कायर कमजोर नहीं? 
सुशील अवस्थी "राजन", हमको नेता मिले कमीने|
आतंकवादियों के शुभचिंतक, हमरा चैन ये छीनें|
लातों के ये भूत भयंकर, बातों में उलझाएँ|
मेरी समस्या ज्यों की त्यों, अपनें मसलें सुलझाएं|
देश हमारा हमीं आपको करना होगा निदान|
सबक यही कि, अब मेरे वोट से न ताकत पाए शैतान|

मेरी प्यारी बिटिया रिशिका

मेरी प्यारी बिटिया रिशिका (२१ माह) के कुछ भाव पूर्ण फोटो









गुरुवार, 24 नवंबर 2011

" महापुरुषों का चटकनम मुखभंजनम "



      शरद पवार जी को हरमिंदर के थप्पड़ से असहज होनें की जरुरत नहीं है, इसे जनता जनार्दन का प्रसाद समझ कर उन्हें पूरे श्रद्धा-भाव से इस थप्पड़ को ग्रहण करना चाहिए| अन्य भ्रष्ट जन सेवकों को धर्यपूर्वक अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी चाहिए|  आप लोग तो जाति,धर्म,मज़हब,लिंग,क्षेत्र,भाषा के नाम पर अनेंकानेक प्रकार के भेद-भाव करते हो, लेकिन यकीन मानिये भारतीय जनता अपनें प्रसाद वितरण कार्यक्रम में किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं करेगी| सबको मिलेगा और बराबर मिलेगा यही भारत की पीड़ित-प्रताड़ित जनता का एक सूत्रीय नारा है| आइये यूपी की सरजमीं पर २०१२ में लगनें वाले विधान सभा चुनाव के महाकुंभ में यहाँ की जनता भी आप लोगों की सेवा करनें को आतुर है| ३२ रूपये और २६ रुपये देकर हमें रातों-रात अमीर बनानें वाले महापुरुषों के पुनीत कार्यों को हम सराहना चाहते हैं| अपनी चरण-पादुकाओं से हम ऐसे महापुरुषों का चटकनम मुखभंजनम कर अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहते हैं| कृपया पधारो म्हारे प्रदेश ....

रविवार, 13 नवंबर 2011

" हो रहा भारत निर्माण "




सारा भारत देश है कहता,
महंगाई ने ले ली जान|
पर सरकारी विज्ञापन कहता,
हो रहा भारत निर्माण|
भ्रष्ट,लुटेरे मौज उड़ाते,
कार छोंड विमान से जाते|
हमको आपको सीख बताते,
३२ रुपये खर्च करो तो,
बन जाओ अमीर महान|
हो रहा भारत निर्माण|
देश के खातिर जान लड़ाओ,
गोली,डंडा, जेल को जाओ,
राष्ट्रघात में बम बरसाओ,
निरीह जनों की जान ले जाओ,
आओ मेरी जेल में आओ,
बिरयानी उडाओ बन मेहमान|
हो रहा भारत निर्माण|
जातिवाद,धर्मवाद बढाओ,
"राजन" बस नेता बन जाओ,
आतंकियों की क़र पैरवी,
गाओ जन गन मन का गान|
हो रहा भारत निर्माण|

सिर्फ छले गए सवर्ण.....

     आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी बहुजन समाज पार्टी नें, ब्राह्मण सम्मलेन का आयोजन कर, ब्राह्मणों पर फिर से डोरे डालनें की कोशिश की| ब्राह्मण व सवर्ण समाज फिर से इस धोखेबाज़ पार्टी के मायाजाल में फसनें वाला नहीं है| सच्चाई तो यह है कि कानून व्यवस्था की स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश के सर्व समाज नें बसपा के हाथी को अपनें वोट का चारा खिलाकर सिर्फ इसलिए ताकतवर बनाया था, कि उन्हें उस समय यह उम्मीद दिख रही थी, कि हो न हो यह हाथी ही उनकी तत्कालीन सपाई गुंडों से रक्षा कर सकेगा| लेकिन अब यही हाथी  उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को रौंदे डाल रहा है| जिन ब्राह्मणों व सवर्ण समाज के लोगों नें २००७ के विधान सभा चुनाओं में पहली दफा हांथी के निशान वाला
बटन दबाया था, वे लोग तब से अपनी इस गलती का प्रायश्चित करनें का मौका तलाश रहे हैं|
        प्रायश्चित की आग में जल रहे ऐसे ब्राह्मणों व सवर्ण समाज के लोगों को पहला मौका तब मिला था जब २००९ में लोकसभा के चुनाव हुए| यह वह चुनाव था जिसमें हमारी मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया सुश्री मायावती जी की महत्वाकांक्षा  अपना विकराल रूप लेकर प्रधान मंत्री के पद का सपना संजो रही थी| जिसकी बानगी उस समय बसपा द्वारा दिए गए इस नारे में झलक रही थी कि " यूपी हुई हमारी है, अब दिल्ली की बारी है"| बसपा का इस तरह ख्वाब संजोना गलत भी नहीं था| क्योंकि जिस तरह २००७ के विधान सभा चुनाओं में ब्राह्मणों और सवर्ण समाज के लोगों नें इस पार्टी का साथ दिया था, उसकी आधी भी पुनरावृत्ति हो जाती तो केंद्र की राजनीति में इस पार्टी की भूमिका अति महत्वपूर्ण हो जाती, लेकिन सवर्ण समाज के इस पार्टी से हो चुके मोहभंग नें हमारी मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की " दिल के अरमां आंसुओं में बह गए " वाली स्थिति कर दी| तब इस पार्टी नें अपनें आधार वोट दलितों को अपनें से जोड़े रखनें के लिए, अपनी रणनीति में कुछ अप्रत्याशित बदलाव किये, मुख्यमंत्री के साथ हमेशा साये की तरह दिखनें वाले ब्राह्मण चेहरे सतीश चन्द्र मिश्र को परदे की पीछे की राजनीति में धकेल दिया गया|
     अब जब २०१२ के विधान सभा चुनाओं की गूँज इस पार्टी को फिर से सुनायी देनें लगी है, तब सवर्ण वोटों की "काठ की हांड़ी" को बसपाई रणनीतिकार फिर से झाड़-पोंछकर चढाने की जुगत में लग गए हैं| लेकिन अब ब्राह्मण व सवर्ण समाज भाजपा रूपी अपनें पूर्व घर में वापसी कर चुका है| दलित भी अब बसपा के असली स्वरूप से वाकिफ हो चुका है| इसलिए अब बसपा की इन जातिवादी राजनीतिक नौटंकियों का कहीं कोई असर नहीं पड़नें वाला|


 प्रमोद बाजपेई
सदस्य, प्रदेश कार्यसमिति,
भारतीय जनता पार्टी,
उत्तर प्रदेश,
9415021945  ,



गुरुवार, 10 नवंबर 2011

" सत्ता के बौराए स्वान,फिर भौंक रहे हैं यूपी में "

जातिवाद के आह्वान, कई दल हौंक रहे हैं यूपी में|
सत्ता के बौराए स्वान,फिर भौंक रहे हैं यूपी में|
                     महंगाई को लानेंवाले,
                     भ्रष्टाचार मिटानें वाले|
                     ठेका मेरे दुःख का लेकर,
                     दुःख अपना निपटानें वाले|
                     योग गुरु और भोग गुरु,
                     सब पौंच रहे यूपी में|
सत्ता के बौराए स्वान,फिर भौंक रहे हैं यूपी में|
                    दंगों के शातिर आरोपी,
                    इनके सिर पर उनकी टोपी|
                    छल-प्रपंच के मुख्य प्रवक्ता|
                    आतंकी हित साधक आशक्ता|
                    लाकर अपनी-अपनी धौकनी,
                    सब धौंक रहे हैं यूपी में|
सत्ता के बौराए स्वान, फिर भौंक रहे हैं यूपी में|
                   विधान सभा चुनाव नें,
                   देखो  बदला सबका रूप|
                   छलनी चलनी बोल रही,
                   और बोल रहा है सूप
                  "राजन" चुपा-चुप्प जनता से,
                   सब चौंक रहे हैं यूपी में||
सत्ता के बौराए स्वान, फिर भौंक रहे है यूपी में|

रविवार, 6 नवंबर 2011

" आज नहीं तो कभी न कभी "

हमनें अपनी बिटिया रिशिका को,
कुछ मिटटी के पात्र दिए|
खूब खुश है मेरी रिशिका,
घुमे दिन भर लिए-लिए|
जैसे चूल्हा,चाकी,बेलन,
पीढ़ा,तवा, भगोनें, कप|
अब तो दिनभर खाना बनता,
खाते  मज़ा उठाते सब|
उसे नहीं मालूम है भोली,
भार गृहस्थी का कैसा?
ठंडी पड़ जाती है रसोई,
जब पास नहीं होता पैसा|
महँगाई डायन के निर्मम पंजो से,
है "सुशील" अन्जान अभी|
लड़ेगी वह भी इस डायन से,
आज नहीं तो कभी न कभी|

शनिवार, 5 नवंबर 2011

यूपी का पगला

         अग्निशमन विभाग का काम आग लगाना है या बुझाना? राजधानी लखनऊ में डी.आई.जी. पद पर तैनात देवेन्द्र दत्त मिश्र नें अपनें सनसनीखेज़ आरोपों से प्रदेश  की राजनीति में जो भयावह आगजनी की है वह बेहद निंदनीय है| निंदनीय इसलिए भी क्योंकि ऐसा कर उन्होंने कोई नया रहस्योद्घाटन नहीं किया है| इस प्रदेश का हर खासो-आम नागरिक इस बात को अच्छी तरह जानता है कि हमारी सरकार कैसी है? आखिर इसे हमीं नें तो चुना है| हमारी मंसानुरूप कार्य कर रही सरकार और मुख्यमंत्री साहिबा पर भ्रष्टाचार 
के आरोप लगाना ...  मुझे तो किसी घ्रणित साजिश की बू आ रही है| वो तो अच्छा हुआ कि शासन-प्रशासन के सज्ञान आला-अधिकारियों नें मिश्र जी को पागल बताकर अस्पताल में भर्ती करा दिया नहीं तो ऐसे आदमी को तो सीधे जेल भेज देना चाहिए, जहाँ डाक्टर सचान जैसे पागलों का अति आधुनिक पद्धति से इलाज किया गया है| 
वैसे मुझे तो ये पागल कुछ-कुछ मनुवादी मानसिकता का लगता है| जिसनें मनोज गुप्ता,डाक्टर विनोद आर्य, डाक्टर वी पी सिंह और डाक्टर सचान प्रकरण से किसी प्रकार का सबक नहीं सीखा| और पगला गया| जब चुनाव सर पर हों तब इस प्रकार की बेसुरी बीन बजानें का क्या मतलब? हो न हो ये मनुवादी पागल कहीं न कहीं विरोधी पार्टियों से मिला हुआ है| ठीक वैसे ही जैसे विकिलीक्स का मालिक जुलियन असान्जे मिला था| देखिएगा एक न एक दिन इस पागल की मिलीभगत का भांडा हमारे अति काबिल कर्त्तव्य निष्ठ आला अधिकारी जरुर फोड़ेंगे| वैसे भी जाँच शुरू हो गयी है जल्द ही दूध में दूध और पानी में पानी हो ही जायेगा|  प्रेम से बोलो लोकतंत्र भगवान की जय| 

बुधवार, 2 नवंबर 2011

" अन्ना नहीं हजारों,हमको लाखों चाहिए "

भारत माता की जय बोले,
जाको चाहिए| 
अन्ना नहीं हजारों,
हमको लाखों चाहिए|
गाँव-गाँव तक फैली भ्रष्टता,
राजनीती में घुसी ध्रष्टता|
गोरे अंग्रेजों से मुक्त हुए,
जिन्हें भूरों से मुक्ति जरुरी,
अन्ना ताको चाहिए|
अन्ना नहीं हजारों,
हमको लाखों चाहिए|
देश चलायें ऐसे बन्दे,
जो हों सभ्य,"सुशील"|
पर चला रहें हैं,
हत्यारे,लम्पट,दुष्ट,कुशील|
वैसे ही दीपक जैसे,
घोर निशा को चाहिए|
अन्ना नहीं हजारों,
हमको लाखों चाहिए|
बढ़-चढ़कर मतदान से,
लोक का तंत्र भी निखरेगा|
वोट की चोट से
लम्पट जनप्रतिनिधि का,
अहंकार भी बिखरेगा|
इन पर द्रष्टि गडाओ वैसे,
जैसे पथ-भ्रष्ट पुत्र पर,
पिता को चाहिए|
अन्ना नहीं हजारों,
हमको लाखों चाहिए|

योगी का एक मंत्री.. जिसे निपटाने के लिए रचा गया बड़ा षडयंत्र हुआ नाकाम

  सुशील अवस्थी 'राजन' चित्र में एक पेशेंट है जिसे एक सज्जन कुछ पिला रहे हैं। दरसल ये चित्र आगरा के एक निजी अस्पताल का है। पेशेंट है ...